30 उपवास पूर्ण करने पर निकली शोभायात्रा

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झाबुआ लाइव के लिए राणापुर एमके गोयल की रिपोर्ट-
शुक्रवार को बारिश की रिमझिम फुहारों के बीच तपस्वी की शोभायात्रा निकली । मानो स्वयं इंद्र भी तपस्वी की अनुमोदना कर रहे हो। गलिया तपस्वी की जय जयकार से गूंज उठी। मनीषा विनय नाहर ने 30 उपवास की तपस्या पूर्ण की। तप अनुमोदना में विविध आयोजन हुए। तपस्वी की शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा सुभाष चौपाटी, पुराना बस स्टैंड, एमजी रोड होते हुए राजेन्द्र भवन पहुंची। शोभायात्रा में तपस्वी को एक सुसज्जित कार में बिठाया गया था। प्रमुख चौराहो पर गरबे किये गए। बारिश की बौछारे भी युवाओ का जोश कम नही कर पाई। शोभायात्रा में नप अध्यक्ष कैलाश डामोर, पूर्व नप अध्यक्ष गोविन्द अजनार, भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष मनोहर सेठिया, जिला मंत्री थावरसिंह भूरिया सहित कई गणमान्य शामिल हुए।
तप अनुमोदन व अभिनन्दन सभा राजेन्द्र भवन में हुई।
साध्वी मंडल को सविधि वंदन किया गया। गुरु वंदन मानकुंवर जैन ने करवाया। साध्वी श्री के मंगलाचरण से सभा की शुरुआत हुई। डिंपल मेहत ने तपस्या गीत प्रस्तुत किया। चन्द्रसेन कटारिया एदिलीप सकलेचाएनवयुवक परिषद के शाखा अध्यक्ष तरुण सकलेचा, संजय अग्रवाल, तोषी जैन ने तप अनुमोदन में विचार व्यक्त किये। अपने उद्बोधन में साध्वी चारित्रकला श्रीजी ने जीवन में धर्म जब समाहित हो जाता है तब अधर्म खत्म हो जाता है। विषयों की आसक्ति के चलते दिल में अधर्म का प्रवेश होता है। इन्द्रिय नियंत्रण के माध्यम से अधर्म को रोका जा सकता है। मुमुक्षु डिंपल बहन का बहुमान मलका तलेरा, निर्मला कटारिया, सुभद्रा नागोरी, अनीता बांठिया आदि ने किया। साध्वी श्री चारित्र कला श्रीजी की वर्धमान तप की 71वीं ओली के पारणे की बोली 108 आयम्बिल में लेने वाली उर्मिला कटारिया का बहुमान हंसा नाहर, शांता व्होरा,मंजु सकलेचा ने किया। तपस्वी मनीषा का श्री संघ की ओर से बहुमान प्रदीप भंसाली, रमणलाल कटारिया, नारायण लाखाजी, शांतिलाल सकलेचा ने किया। अभिनंदन पत्र अनिल सेठ, सजनलाल कटारिया, कमलेश कटारिया आदि ने भेंट किया। अखिल भारतीय राजेन्द्र जैन नवयुवक, महिला-तरुण, बालिका परिषद, वेयावच समिति की ओर से तपस्वी का बहुमान हुआ। रमेश नाहर, दिलीप सकलेचा, सुरेश समीर, विनय कटारिया, जेपी सालेचा, मनीष जैन, नीलेश मामा सहित अन्य समाजजन उपस्थित रहे। संचालन कमलेश नाहर ने किया।आभार विनय नाहर ने माना। नाहर परिवार की ओर से स्वामी वात्सल्य हुआ।

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