ढोल-धमाको के साथ हुई आचार्य श्री की आगवानी
आचार्य पुष्पदंत सागर जी महाराज का नगर मे मंगल प्रवेष
राणापुर से के नाहर की रिपोर्ट ॥॥ दि. जैन आचार्य प.पु. श्री 108 पुष्पदंत सागर जी महराज ससंघ, क्षुल्लक श्री 105 उकारसागर जी महाराज का नगर मे मंगल प्रवेष हुआ। आचार्य श्री रात्री रजला रूककर सुबह नगर मे पधारे समाजजन आचार्य श्री आगवानी करने पारा फाटे पर पहुचे ढोल धमाको के साथ नगर षोभायात्रा निकाली गई। जगह अक्षत, श्रीफल भेट कर दर्षन किये गये। दि. जैन दषा हुमड समाज मदिंर मे आर्चाय श्री ने प्रवचन दिये। वही आचार्य श्री अहार लाभ मदनलाल खेमचंद अग्रवाल, क्षुल्लक जी का लालचंद जी हंसराज अग्रवाल परिवार को मिला। षाम को पाॅच बजे दाहोद की ओर विहार किया।
ज्ञान मांगने नही चीज नही ज्ञान को जगाना पडता हैः- आचार्य श्री
उन्होने बताय की अपने आप स पुछो की वह कोन सा ऐसा खलनायक है जो हमे गलत मार्ग पर ले जात है दुसरे की बुराईया कान से डालता है वह सबसे जल्दी आपका दोस्त बन जाता है। मन मे भी ईष्या होतो विचारो मे भी ईष्या, राग को पालने से हमारा ही नुकसान हुआ है। हम कितने पुण्यषाली हमारा जन्म जैन कुल मे हुआ है। मनुष्य एंव समाज के आपसी महत्व बताया की देवो की समाज नही होती क्योकि वहा ईन्द्रदेव है। केवल इंसानो मे ही समाज होती है मनुष्य ही समाज मे रहकर अपने धर्म की रक्षा कर सकता है।