राष्ट्रीय बाजार में पेटलावद मंडी को किया शामिलकिसानों की फसलें पूरे भारत में बिकेगी ई-ऑप्शंस से

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झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
भारत सरकार ने पेटलावद मंडी को पायलेट परियोजना के तहत राष्ट्रीय कृषि बाजार में जोडऩे की स्वीकृति प्रदान की। मप्र में अब तक केवल भोपाल मंडी ही राष्ट्रीय कृषि बाजार योजना से जुड़ी है। इंदौर संभाग में पेटलावद मंडी और सेंधवा मंडी का इस योजना में चयन हुआ है। क्षेत्र में विभिन्न किस्मों के चने और विभिन्न जिंसों का उत्पादन बहुतायत में होता है। इस योजना की शुरुआत में चने का व्यापार देशभर के व्यापारी या किसान कहीं से भी पेटलावद मंडी से कर सकेंगे। धीरे-धीरे समस्त अनाज, फल और सब्जियों का व्यापार भी इसी प्रकार ई-मंडी द्वारा किया जा सकेगा।
आधुनिक रूप से होगा व्यापार
राष्ट्रीय स्तर का इलेक्ट्रॉनिक व्यापार वेब पोर्टल है जिसे भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा विकसित किया जा रहा है। इसका उद्देश्य देश के विभिन्न राज्यों में स्थित कृषि उपज मंडी श्रृंखला को इंटरनेट के माध्यम से जोड़कर एकीकृत राष्ट्रीय कृषि बाजार बनाना है। राष्ट्रीय कृषि बाजार का लक्ष्य है कि पूरा देश एक मंडी क्षेत्र बने, ताकि एक स्थान से दूसरे स्थान के लिए कृषि उत्पादन की आवाजाही तथा विपणन आसानी से कम से कम समय में हो। इसका सीधा लाभ कृषकों, व्यापारियों तथा ग्राहकों को मिलेगा। यह सब करते समय स्थानीय कृषि उपज मंडी के हित को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगाए क्योंकि पूरा व्यापार मंडी के माध्यम से ही होगा। राष्ट्रीय कृषि बाजार के लिए पेटलावद मंडी का चयन मापदंडों के आधार पर किया गया है। यहां से मिलने वाले राजस्व, पेटलावद क्षेत्र की फसल उत्पादन क्षमता और अन्य फलों की खेती अधिक देखते हुए किया गया है। वहीं पेटलावद मंडी के सुचारु संचालन के चलते इसका चयन किया गया है। राष्ट्रीय कृषि बाजार से जुडऩे पर क्षेत्र के किसानों को लाभ होगा, क्योंकि उनकी उपज के विक्रय पर अधिक दाम मिलने की संभावना है। मंडी अध्यक्ष भरतलाल पाटीदार के मुताबिक क्षेत्र के लिए ये बड़ी उपलब्धि है। इसका सीधा लाभ किसानों को मिलेगा। इससे फसलों का उचित दाम मिलेगा। मंडी सचिव उत्सवलाल गुप्ता व लेखापाल सत्यनारायण व्यास के मुताबिक पेटलावद मंडी में पूर्व में कॉटन प्रोजेक्ट मंजूर हुआ था, जो पूर्ण कर लिया गया। वहीं अन्य योजनाएं भी मंडी में चल रही हैं। उसके साथ ही बामनिया और सारंगी उपमंडी का भी विकास किया जा रहा है। इन सबके चलते पेटलावद मंडी को राष्ट्रीय कृषि बाजार में स्थान मिला है।
सब्जी मंडी का भी होगा कायाकल्प
पेटलावद कृषि उपज मंडी में सब्जी मंडी स्थापित करने के लिए मंडी बोर्ड ने 2 करोड़ रुपए स्वीकृत किए है। कृषि मंडी प्रांगण में ही सब्जी मंडी का निर्माण लगभग 2 एकड क्षेत्र में किया जाएगा। इसमें शेड निर्माण, लाइटिंग, दुकानें और प्लेटफॉर्म का निर्माण भी होगा। इससे थोक सब्जी व्यवसाय के साथ रिटेल सब्जी की दुकानें भी मंडी प्रांगण में लग पाएंगी और पेटलावद की एक बड़ी समस्या का हल निकल जाएगा। माही परियोजना के माध्यम से खेतों तक पहुंच रहे पानी का भरपूर लाभ लेकर किसान सब्जियों का भी भरपूर उत्पादन कर रहे है। क्षेत्र के सब्जी उत्पादक बड़े शहरों तक सब्जियां व फल निर्यात करते हैंए परंतु स्थानीय स्तर पर सब्जी मंडी की व्यवस्था नहीं होने से छोटे व सीमांत कृषक जो प्रतिदिन सब्जी बेचकर गुजारा करते हैंए ऐसे लोगों को अपनी सब्जी को बेचने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस परिस्थिति को देखकर मंडी प्रशासन और जनप्रतिनिधियों ने विभागीय तौर पर सब्जी मंडी के लिए प्राक्कलन तैयार कर राशि की मांग की। इसके बाद विभाग ने दो करोड़ की राशि सब्जी मंडी के विकास के लिए स्वीकृत कर दी। क्षेत्र में टमाटर का भी भरपूर उत्पादन होता है लेकिन उचित बाजार नहीं मिल पाने के कारण किसानों को सही भाव नहीं मिल पाता है। इस कारण किसानों को लाभ नहीं मिल पाता। इस वर्ष भी किसानों को टमाटर का उचित भाव नहीं मिलने से भारी नुकसान हुआ था। इसे देखते हुए मंडी प्रशासन ने मंडी प्रांगण में ही टमाटर जैसी फसल का भी बाजार बनाने के लिए यह प्रयास किया है। मंडी अध्यक्ष भरतलाल पाटीदार और सचिव उत्सवलाल गुप्ता के मुताबिक सब्जी मंडी के लिए मुख्य मंडी में ही पृथक स्थान चिन्हित कर सब्जी विक्रेताओं को छोटी दुकानें बनाकर दी जाएंगी। साथ ही मंडी में समस्त प्राथमिक सुविधाएं भी देंगे।