माही का पानी ओवरफ्लो व नहरों से लिकेज होकर घुसा खेतों में, किसान परेशान

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झाबुआ लाइव के पेटलावद से हरीश राठोड़ की रिपोर्ट

माही नहर के पानी न आने से किसानो को दिक्कते उठाना पड़ रही है। वहीं दूसरी ओर ग्रामीण किसान माही नहर के ओवरफ्लो होने के कारण खेत में घुस रहे पानी से चिंतित बने हुए है। 
ऐसा ही एक मामला पेटलावद विकासखण्ड के ग्राम बरवेट में आज सुबह देखने में आया। जहां यहां से गुजर रही माही की नहर आगे से पानी ज्यादा छोडऩे की वजह से ओवरफ्लो हो गई और किसानो के खेतो में पानी घुस गया। जिससे फसले खराब होने की आशंका है। 
यहीं नही नहर ओवरफ्लो होने के कारण कई जगह से लीकेज भी हो गई। यहीं नही नहर का पानी ग्राम में भी घुस गया और पेटलावद रोड़ पर करीब 1 फीट तक जलभराव हो गया। जिसके कारण ग्रामीण रहवासी खासे परेशान है। ग्रामीणो ने इसकी सूचना अधिकारियो को दी, इसके बाद अधिकारी भी मौके पर निरीक्षण करने पहुंचे और नहर में पानी कम करवाया। दो-चार जगह ऐसी स्थिति बन गई है कि नहर फूट सकती है।

बार-बार आ रही समस्या का बड़ा कारण..क्षैत्र की सबसे बड़ी परियोजना में हो रहा जमकर भ्रष्टाचार:
अपको बता दे कि माही नहर क्षेत्र की सबसे बड़ी परियोजना है। जिससे क्षेत्र के किसानो की तक़दीर बदलने के लिए योजना में लाया गया था। जब से नहर आई है क्षेत्र के किसानो को इसका लाभ भी हो रहा था। माही डेम में क्षमता से ज्यादा पानी होने से कुछ साल पहले नहरों का विस्तार कर बावड़ी से रायपुरिया कोदली तक माही का पानी पहुचाने के लिए कार्य प्रगति पर है।
निर्माण के लिए करोड़े रूपए आए, लेकिन कांक्रीट 1 सेमी भी नही किया:
यही नही आखरी छोर तक पानी पहुचे इसके लिए बरवेट क्षेत्र की नहरों की उंचाई 2 से तीन फीट तक बढ़ाई गई। जिसमे ठेकेदार और अधिकारी की मिली भगत से गुणवत्ताहीन कार्य किया। निर्माण के लिए करोडो रुपये का आए पर उसके ऊपर सीमेंट कांक्रीट 1 सेमी भी नहीं किया। नतीजे में बढ़ाई गई उंचाई जहां देखो वहा पर उखड रही है। कहीं-कहीं तो सीमेंट कांक्रीट कार्य ऐसा हुआ है कि सिर्फ रेत और गिट्टी ही दिखती है, सीमेंट का तो नामो निशान नही दिख रहा है। एक दो जगह तो 10 हार्सपावर का पानी निकल रहा था।

अब इसे अधिकारियो की लापरवाही कहे या ग्रामीण किसानो की बदकिस्मती, क्योंकि इसमें किसान ही परेशान हो रहा है। जहां पानी की सख्त जरूरत है वहां अभी तक अधिकारियो की लापरवाही की वजह से माही नहर का पानी नही पहुंचा है, जिससे किसान फिर से संकट में आ गए है, क्योंकि जिन खेतो में रबी की बोवनी हो चुकी है, उन खेतो में अब सिंचाई के लिए पानी की जरूरत है और अधिकारियो की लापरवाही की वजह से पानी ऐसे ही मिट्टी में मिल रहा है और खेत प्यासे नजर आ रहे है। 
वहीं जहां किसानो के खेतो में बोवनी हो चुकी है और पहले पानी के बाद बीज का अंकुरण भी हो चुका है, उसे अब कम ही पानी की आवश्यकता है, लेकिन नहर ओवरफ्लो होने के कारण उन खेतो में जलभराव की स्थिति बन रही है, जिससे फसल के खराब होने की आशंका है। 
अब इन दोनो स्थिति में किसान ही को मार पड़ रही है, अधिकारी तो सिर्फ अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए किसी तकनीकी खराबी का सहारा ले लेंगे और जवाब में मामले को दिखवाते है कहकर इसे ठंडे बस्ते में डाल देंगे। उधर..नेता, जनप्रतिनिधि किसानो को हो रही इस समस्या पर राजनीति करने लग जाएंगे। बस नही होगा तो किसान की समस्याओ का निराकरण..
अब सवाल यह है कि क्या? जिम्मेदार इस छोटी घटना से सबक लेंगे या फिर और किसी बड़ी घटना के बाद एक्शन में आएंगे। फिलहाल ग्रामीण किसानो की परेशानी समझने वाले नेता, अधिकारी, जनप्रतिनिधि सभी चेन की नींद ले रहे है। ऐसा लग रहा है मानो उन्हें किसानो की समस्या और परेशानियो से कोई फर्क ही नही है।