मंत्र दीक्षा कार्यक्रम में जुटे श्रावक-श्राविकाएं

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हरीश राठौड़, पेटलावद
मंत्र वह होता है जो मन रूपी वीणा के तार को झंकृत कर दे। णमोकार महामंत्र में किसी व्यक्ति या ईश्वर विशेष को नहीं वरन विशेष गुण संपन्न व विशेष योग्यता संपन्न परम पवित्र आत्माओं की स्तुति व नमन किया जाता है। इसके विधिवत सम्यक और निरंतर जप से मस्तिष्क में विशेष तरंग पैदा होकर चित्त में पवित्रता, शांति,प्रसन्नता और उल्लास का भाव जागृत होता है। उक्त आशय के विचार जैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्मसंघ के 11वें अनुशास्ता महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वी कीर्तिलताजी ने मंत्र दीक्षा कार्यक्रम के दौराना तेरापंथ भवन में उपस्थित ज्ञानशाला के बच्चों व श्रावक श्राविकाओं के समक्ष व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जैन धर्म व जैन परंपरा में णमोकार महामंत्र का सर्वोपरि महत्व अत्यंत प्राचीन समय से रहा है, इसमें अनन्त साधकों की साधना बोलती है। अनन्त काल की जीव की जन्ममरण की यात्रा में जीव को मोह व मूढ़ता के प्रभाव से अब तक स्थाई मंजिल नही मिली। इस मंत्र के प्रभाव से आत्मा पर लगे कषाय अर्थात क्रोध, मान, माया, लोभ कमजोर होकर आत्मा निर्मल बनकर आंतरिक शक्तियों का जागरण होता है। इस अवसर पर मंत्र दीक्षा कार्यक्रम संचालन करते हुए साध्वी शांतिलता ने कहा कि मंत्र दीक्षा संस्कारों की दीक्षा है। कार्यक्रम मंगलाचरण तेरापंथ युवक परिषद और महिला मंडल ने किया। ज्ञानशाला पेटलावद व ज्ञानशाला करवड़ के बच्चों ने गीत का संगन किया। साथ ही आज के कार्यक्रम में तेरापंथ युवक परिषद के नवमनोनीत अध्यक्ष प्रमोद मेहता ने अपनी कार्यकारणी की घोषणा करते हुए अपनी भावनाएं व्यक्त की। तेरापंथी सभा के अध्यक्ष झमकलाल भंडारी,तेरापंथी महिला मंडल मीना मेहता, अणुव्रत समिति अध्यक्ष पंकज जे.पटवा ने अपने भाव रखे। अभिभाषक राजेंद्र मूणत ने सभी पदाधिकारियों को दायित्व निर्वाह की शपथ ग्रहण करवाई। तेरापंथ युवक परिषद के शपथ ग्रहण समारोह का संचालन राजेश वोरा ने किया। आभार ज्ञापन सचिव मूणत ने किया, सभी उपस्थित बच्चों को तेयुप की ओर से माला व मंत्र दीक्षा पुस्तिका भेंट की गई।