गुरुवार से प्रारंभ होगी सात दिवसीय भागवत कथा

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07pet-06fझाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
गुरूवार को भव्य कलश यात्रा के साथ सात दिवसीय भागवत कथा का शुभारंभ होगा। समिति ने उक्त भागवत कथा 12 सितम्बर को नगर में हुए हादसे के निमित करवाई जा रही है। भागवत कथा में पं. कमल किशेरजी नागर द्वारा अपने श्री मुख से सात दिन तक भागवत कथा का अमृत पान करवाया जाएगा. भागवत कथा की सभी तैयारियां पूर्ण हो चुकी है। कथा स्थल पर गुरूवार को जिला पंचायत अध्यक्ष कलावती भूरिया, पूर्व विधायक वालसिंह मेडा, एसडीएम सीएस सोलंकी, सीएमओ एलएस डोडिया, स्वच्छता निरीक्षक आनंद विजय सिंह राठौर आदि पहुंचे, जिन्होंने व्यवस्था का जायजा लिया और तैयारियों के संबंध में जानकारी ली।
श्रद्धांजलि चौक हो कर जाएगी कलश यात्रा-
निलकंठेश्वर महादेव मंदिर से कलश यात्रा गुरूवार सुबह 8 बजे प्रारंभ होगी जो की श्रद्धांजलि चौक पहुंचेगी जहां पर मौन श्रद्धांजलि देने के बाद नगर के मुख्य मार्ग से होते हुए कथा स्थल पर पहुंचेगी, जहां पर विधि विधान से भागवत कथा का शुभारंभ होगा।
भागवत कथा का उद्ेश्य और प्रयोग-
भागवत कथा के माध्यम से 12 सितम्बर के हादसे में मृत आत्माओं की शांति के लिए भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है जिसमें विशेष प्रयोग भी किए जा रहे है जिसके तहत भागवत कथा स्थल से 12 सितम्बर की घटना स्थल तक एक कच्चे सूत से जोड़ा गया है जिसके लिए मंडी प्रांगण से लेकर नया बस स्टैंड तक 3 किमी लम्बे सूत बिछाया गया, जिसका महत्व बताते हुए पं. नरेंद्र नंदन दवे ने बताया की उक्त सूत का प्रयोग पितृदोष निवारण के लिए किया गया है। क्योंकि भागवत में स्पष्ट किया गया है कि दुंदीकारी की मुक्ति नहीं हो रही थी, जिसके लिए गङ्क्षकर्ण द्वारा भागवत कथा का वाचन किया गया और उसे के बाद दुंदीकारी को मुक्ति मिली।
अभी से आ गए श्रद्धालु-
भागवत कथा प्रारंभ होने के एक दिन पूर्व ही श्रद्धालु भागवत कथा सुनने पेटलावद पहुंच गए है. यहां पर कई श्रद्वालु मालवा क्षेत्र और उज्जैन की और से आ रहे है. श्रद्वालुओं से चर्चा की गई तङ्क्ष उनका कहना है कि हम कथा का श्रवण करने आए है. पूरे सात दिन हम यहीं रहेगें. तथा कथा का श्रवण करेगेंं,कई श्रद्वालुओं ने बताया की हम कई बार इस प्रकार कथा सुनने जा चुके है. कथा का श्रवण करने के साथ पांडाल में ही हम रात्री विश्राम करते है और प्रतिदिन यहीं रहते है। इस प्रकार की आस्था देख कर क्षेेत्र के लोग भी अभीभूत हुए।