उमड़े शिवभक्त, झूमकर नाचे श्रद्धालु, जगह-जगह किया गया स्वागत, गूंजे बोल बम के स्वर

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सलमान शैख़@ पेटलावद
पालकी में सवार भगवान महादेव, झांकी को निहारते लोग, डीजे व भजनो की धुन पर थिरकते युवा, जगह-जगह होता स्वागत। कुछ ऐसा ही नजारा नगर में सोमवार देर शाम दिखाई दिया। नगर में निलकंठेश्वर मित्र मंडल के तत्वाधान में भगवान निलकंठेश्वर महादेव की शाही पालकी यात्रा निकाली गई। महांकाल की शाही सवारी के लिए मित्र मंडल ने शहर को सजाया था। सवारी मार्ग पर भगवा ध्वजाओं के साथ रंगबिरंगी झंडिया सजाई गई थी।
सावन माह की समाप्ति पर निकली शाही सवारी के दौरान पूरा नगर भोले शंभू-भोले नाथ और जय महांकाल के नारो से गूंज उठा। भोलेनाथ की सवारी जब नगर के बीच से गुजरी तो नागरिको ने अपने घरो के बाद दीपक जलाकर स्वागत किया। शाही सवारी में देर रात बड़ी संख्या में भक्तो की भीड़ उमड़ी। इससे शहर धर्ममय हो गया। सबसे आगे नन्हें युवा चल रहे तो उनके पीछे बैंड-बाजे पर युवा थिरकते हुए और जयघोष लगाते हुए चल रहे थे। शोभायात्रा का जगह-जगह सामाजिक संगठनो ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया।
ये रहे आकर्षण का केंद्र-
– बाबा महांकाल की शाही पालकी
– धर्मध्वजा के साथ 20 घुड़सवार
– राजस्थान के प्रसिद्ध नाचने वाले ऊंट
– नाचने वाली घोडिय़ा
– कड़ा बीम तोप
– मप्र के प्रसिद्ध अखाड़ा करतब
– नासीक की मशहूर ढोल पार्टी
– झाबुआ जिले के सुप्रसिद्ध जनता बैंड
– मान गए उस्ताद ढोल पार्टी और श्रीराम डीजे, साई राज डीजे ने भी अपनी-अपनी प्रस्तुतियां दी और आकर्षण का केंद्र बने।
इन मार्गो से गुजरी सवारी-
यात्रा की शुरूआत निलकंठेश्वर महादेव मंदिर से प्रारंभ होकर नया बस स्टैंड, सिर्वी मोहल्ले, जवाहर मार्ग, गणेश चौक, अंबिका चौक, सुभाष मार्ग, भेरूचौक, भोई मोहल्ला, गांधी चौक, कुम्हार मोहल्ला, साई मंदिर होते हुए पुन: मंदिर प्रांगण पहुंची।
देर रात हुई महाआरती-
नगर भ्रमण करने के बाद भगवान महादेव रात 12 बजे मंदिर परिसर में पहुंचे। जहां महाआरती का आयोजन किया गया। ढोल-ढमाकों और नगाड़ो की थाप पर महाआरती हुई। महाआरती के बाद महाप्रसादी का वितरण भी किया गया।
प्रशासन भी था चौकन्ना-
प्रशासन की ओर से एसडीओपी श्रीमती बबिता बामनिया, टीआई दिनेश शर्मा, एसआई कमलसिंह सहित पुलिस जवानो ने पूरे रास्ते सुरक्षा की कमान संभाल रखी थी। पेटलावद के अतिरिक्त आसपास से भी पुलिस बल यहां तैनात था। सम्पूर्ण रास्तें में एसडीओपी श्रीमती बामनिया ने पूरी कमान अपने हाथों में दल-बल के साथ संभाल रखी है।