चांद के हुए दीदार, कल माहे रमजान का पहला रोजा…

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सलमान शेख@पेटलावद

बुराइयों से तौबा कर अल्लाह की इबादत करने और गरीबों की गरीबी का एहसास पैदा करने वाले माह रमजान का मुस्लिमों में खास महत्व है। आसमान पर रमजान का चांद नजर आते ही हर तरफ खुशियां छा गई। मुस्लिम बाहुल्य इलाके में सभी एक-दूसरे को मुबारकबाद देते नजर आए।

उम्मीद थी कि रविवार को रमजान का चांद दिखाई देगा, देर शाम तक समाजबंधु शहर स्थित मस्जिद पर निगाहे लगाए रहे, लेकिन चांद नहीं दिखा। जिसके बाद आज सोमवार को मगरीब की नमाज के बाद समाजजनो को चांद के दीदार हो गए और शहर में चांद दिखने का ऐलान किया गया। कल मंगलवार को समाजबंधु पहला रोजा रखकर इबादत में मश्गुल हो जाएंगे। पवित्र माह रमजान शुरु होते ही मस्जिदों में विशेष इबादत का सिलसिला शुरू हो गया है। चांद दिखने के एलान के साथ ही आज रात ईशा की नमाज के बाद से ही तराबीह शुरू हो जाएगी। कई दिन पहले से इस माह की तैयारी में मुस्लिम समुदाय जुटा हुआ था। रमजान माह शुरू होते ही मुस्लिम समुदाय के लोगों की पूरी दिनचर्या परिवर्तित हो जाएगी। सुबह जल्द उठने से लेकर रात में इबादत का सिलसिला चलेगा। एक माह तक इबादतगाहों पर तराबीह (विशेष नमाज) भी शुरू हो जाएगी। इसके लिए मस्जिदों को साफ-सुथरा तैयार किया गया है।

खास बात-

शहर के ईमाम अब्दुल खालिक साहब ने बताया रोजे की हालत में गुस्सा नहीं करना चाहिए। रोजा नाम ही सब्र का है। रोजा सीख देता है कि इंसानों को सब पर रहम करना चाहिए। किसी बात पर गुस्सा आए तो भी सब्र करना चाहिए। सब्र का बदला जन्नत है।

लाउड स्पीकर से बताते हैं सहरई का वक्त-

नगर में सहरई का वक्त बताने के लिए लाउड स्पीकर से वक्त बताते हैं व सहरई का वक्त खत्म होने की इत्तिला दी जाती है। यह कार्य मस्जिद से किया जाता है। अन्य स्थानों पर अलग-अलग परंपराओं के हिसाब से सूचना दी जाती है।

यह भी जाने-

– शहर में 150 परिवार हैं मुस्लिम समाज के।

– करीब डेढ़ हजार जनसंख्या हैं मुस्लिम समाज की।

– शहर की दो मस्जिदों में रोजाना रात 9 से 10.30 बजे तक अदा होगी तरावीह की नमाज।

– एक हाफिज और एक शहर के पेश ईमाम पढाएंगे तरावीह की नमाज।

– पंपावती नदी किनारे स्थित मस्जिद में 27 दिन तक कुरआन शरीफ से अदा होगी तरावीह की नमाज।

कैसे रखते हैं रोजा-

रात के आखिरी पहर सुबह सादिक से पहले सहरई (हल्का खाना खाकर) करके रोजे की नीयत करके रोजा रखा जाता है। रोजा सिर्फ भूखे प्यासे रहने का नाम नहीं है। रोजा आंख, हाथ-पैर, दिल, मुंह सभी का होता है, ताकि रोजा रखने वाला इंसान हमेशा बुराई से तौबा करता रहे और बुराइयों से बचता रहे। रोजा सूरज निकलने से लेकर सूरज डूबने तक का होता है। इस दौरान वह कुछ भी खा-पी नहीं सकता। रोजे की शुरुआत में फजिर की नमाज होती है। रोजा खोलने के वक्त मगरिब की नमाज होती है।

6 जुन को आखरी रोजा-

आज 7 मई को पहला रोजा खोला जाएगा। आखरी रोजा 6 जून को खुलेगा। इसके बाद ईद की घोषणा की जाएगी। मई से लेकर जून तक भीषण गर्मी में चलने वाले रोजे की अवधि 15 घंटे से भी ज्यादा समय की रहेगी।