रेत खदान की एनओसी का यह है सच

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अलीराजपुर लाइव डेस्क ॥ अलीराजपुर जिले की झोलिया (रठोडी) रेत खदान का आंवटन रद्द हो जाने के बाद अब पड़ताल मे कई तरह के सवाल खडे हो रहे है । सवाल यह भी खडा हो रहा है कि आखिर किसकी रुची इस खदान को हथियाने मे थी । इस पूरे मामले की पडताल अलीराजपुर लाइव की पडताल मे सामने आई है कुछ सवाल भी खडे हो रहे है पढिऐ आप भी इस खास पड़ताल में ।

 

एनओसी की जानकारी छिपाकर क्यो हथियाई गयी खदान?

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अलीराजपुर लाइव को मिली जानकारी के अनुसार अलीराजपुर डीएफओ के पत्र क्रमाक 1363 दिनांक 03/06/14 के द्वारा डीएफओ अलीराजपुर के जरिऐ इस खदान की एनओसी जारी की गई थी ओर उसी दिन कलेक्टर कार्यालय की खनिज शाखा मे इसे प्राप्त भी किया गया था । लेकिन जब 7 जून 2014 को खदान की नीलामी शुरु हुई तो बार बार यह कहा जाता रहा कि झोलिया खदान की एनओसी जारी नही की गई है यह बात बार बार माइक से एनाउंस भी की जाती रही जिसका प्रमाण ” अलीराजपुर” लाइव के पास उपलब्ध है । बाद मे यह खदान मुकामसिंह को कथित रुप से आंवटित कर दी गई?

 

सबसे बडा सवाल किसकी लाभ था खदान लेने में  ?

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एनओसी डीएफओ अलीराजपुर द्वारा जारी होने के बावजूद भी यह माइक से बार बार कहना कि एनओसी प्राप्त नही हुई है यह सवाल खडा करता है कि किसके कहने पर यह सब कुछ हो रहा था ओर किसकी रुची थी ? अभी एक समाचार पत्र बार बार यह लिख रहा है कि अलीराजपुर डीएफओ की खदान मे रुची थी लेकिन तथ्यो पर अगर गोर करे तो यह बात गलत साबित होती है दरअसल अगर डीएफओ को खदान मे रुची होती तो वह नीलामी के समय अलीराजपुर मे मोजूद रहते ओर एनओसी 3 जून को एनओसी की जारी करने की बजाय 7 जून को एन वक्त पर करते ? अलीराजपुर लाइव के पास इस बात के सबूत मोजूद है कि अलीराजपुर डीएफओ श्री आर एस सिकरवार दिनांक 4 जून 2014 को भोपाल की प्रशाशनिक अकादमी मे बांस मिशन के नेशनल सेमिनार का हिस्सा बनने भोपाल रवाना हो चुके थे ओर 8 जून को वापिस लोटे ।श्री सिकरवार के भोपाल सेमिनार मे मोजूद होने के सबूत भी अलीराजपुर लाइव के पास मोजूद है । अब फिर से वही सवाल उठता है कि आखिर किसकी रुची इस खदान मे थी ? क्या उस शख्स की जो डीएफओ अलीराजपुर को निजी वाहन मे बैठाकर साइड विजिट करवाने 98 किमी की यात्रा पर ले गया था जिसका रिकाड॔ भी मोजूद है ।

 

यह है देवगढ बारिया वन विभाग की आपत्ति का सच

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झोलिया मामले मे खदान को हथियाने मे वंचित हो चुके लोगो द्वारा यह दुष्प्रचार किया जा रहा है कि गुजरात के देवगढ बारिया के डीएफओ द्वारा खदान की लीज निरस्ती का कोई आग्रह नही किया गया लेकिन इसकी हकीकत भी अलीराजपुर लाइव के पास मोजूद है पहली बात तो यह कि डीएफओ नामक पद वहाँ होता ही नही है दुसरी हकीकत यह है कि दिनांक 2/07/14 को डीएफओ अलीराजपुर ओर देवगढ बारिया के तत्कालीन जिम्मेदार अधिकारी आर एच सुबेरा की मुलाकात देवगढ बारिया के वन विभाग मुख्यालय मे हुई थी जिसमे “रतनमहाल अभयारण्य ” की सीमा से 10 किलोमीटर रेडीयल (सीधी) दुरी से एमपी की कठिठवाडा ओर आजादनगर तहसील मे “ईको सेंसीटीव” झोन के तहत आने वाले गांवो की सुची का आदान प्रदान हुआ साथ ही अलीराजपुर डीएफओ से यह आग्रह वहाँ के अधिकारी आर एच सुबेरा ने किया की झोलिया (रठोडी ) की रेत खदान को निरस्त कर दिया जाये क्योकि सुप्रीम कोट॔ के याचिका क्र सिविल 202/1995 निण॔य दिनांक 04/08/2006 के तहत सुरक्षित झोन के प्रावधानो के तहत उत्खनन नही हो सकता । ओर डीएफओ उस दिन देवगढ बारिया गये थे यह वनविभाग की आफिसीयल वेबसाइट फर डीएफओ अलीराजपुर की आनलाइन डायरी मे देखा जा सकता है

 

इस खदान के अन्य पहलू यह भी

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1)-डीएफओ ने सीआ के तहत कोई एनओसी जारी नही की है जबकि खान पानम नदी पर है ।

 

2)-वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 29 के तहत डीएफओ ने कोई एनओसी जारी नही की है ।

 

3)-जिस क्षैत्र का पानी अभयारण्य मे जाता है उस क्षैत्र पर एसवीएल की एनओसी जरुरी है जिस पर किसी ने आज तक आवेदन नही किया ।

 

मामले मे उठते सवाल  ?

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1)-बार बार कुछ लोग डीएफओ की हिस्सेदारी की बात कह रहे है लेकिन हिस्सेदारी की बात किससे की गई इसका कोई प्रमाण मोजूद नही है ।

 

2)-कहा जा रहा है कि कथित रुप से डीएफओ बारिया ने पत्र लिखा है जो मुकामसिंह को मिल गया है तो इस हाइटेक युग मे इतने दिनो बाद भी अलीराजपुर डीएफओ को क्यो नही मिला ?

 

बडा सवाल यह भी है ?

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देश का सबसे बडा आदिवासी जिला होने के बावजूद भी मेजर मिनरल की कोई भी खदान आदिवासी के नाम पर क्यो नही ?

 

डीएफओ ने भविष्य के लिऐ यह लिखा

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डीएफओ ने भविष्य में एनओसी जारी करने से पहले 3 दस्तावेज अनिवार्य करने को कहा है ताकि वास्तविक खदान मालिक को ही खदान का अधिकार /अधिकार मिले

 

1)-आवेदक का आईडी प्रुफ

2)-आवेदक का एडृस प्रुफ

3)-आवेदक का मोके पर क्षैत्र     सीमांकन का प्रमाण पत्र  …॥

 

“पूरे मामले पर यह बोले जिम्मेदार”

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” मेरे द्वारा एनओसी नियमानुसार जारी की गई 3 जून को कलेक्टरोरेट भेजी गई तथा माननीय सुप्रीम कोट॔ के आदेश के संदभ॔ में वनविभाग देवगढ बारिया (गुजरात) से प्राप्त अभिलेखों ओर अनुरोध के आधार पर एनओसी निरस्त की गई है ”

” आर एस सिकरवार डीएफओ अलीराजपुर  “

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