108 महंत गोविंददास महाराज के देवलोक गमन से शोक में डूबे भक्त

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img-20161016-wa0008झाबुआ लाइव के लिए पारा से राज सरतलिया की रिपोर्ट-
नगर में इच्छापूर्ण हनुमान मंदिर नवापाड़ा 108 महंत गोविंददास महाराज का देवलोक गमन रविवार को हो गया। महंत के देवलोक गमन की सूचना नगर में मंदिर के सेवक ठाकुरसिंह ने उनके भक्त और अनुयायी को दी तो नगर में हर व्यक्ति शोक में डूब गया और महंत के अंतिम दर्शन के लिए नवापाड़ा मंदिर पर आने लगे दोपहर तक मंदिर पर महंत जी के सैकड़ो भक्त पारा, बोरी, राणापुर, झाबुआ कालीदेवी, दसई आदि कई गांव नगर से आये और उनके अंतिम दर्शन किए। महंत जी की अंतिम यात्रा नवापाड़ा मंदिर से प्रारंभ होकर पारा के सदर बाजार से राम मंदिर गली, बस स्टैंड, होली चौक होते हुए बोरी रोड पर से पुन: नवापाड़ा इछापूर्ण हनुमान मंदिर प्रांगण में आई और फिर मंदिर के पीछे संत समाज ने पूरे विधि विधान और मंत्रोचार के साथ अग्नि संस्कार किया महंतजी को मुखाग्नि 108 महंत गरुड़दास त्यागी महाराज के शिष्य नारायणदास महंत हनुमान मंदिर बोरी गुरु भाई द्वारा दी गई।
108 महंत गोविन्द दास जी महाराज का परिचय
मंहत जी का नवापाड़ा हनुमान मंदिर पर आगमन सन् 2006 में हुआ और महंत यहां पर हनुमान जी महाराज की सेवा पूजा धार्मिक अनुष्ठान करने लगे मंदिर प्रांगण में महंत जी ने एक सुंदर बगीचा बनाया जिसमे कई तरह के फूल और धार्मिक महत्व के पेड़ और पौधे अपनी देख रेख में बड़े किए और कुछ वर्षों में बहुत ही सुंदर बगीचा तैयार कर दिया महंत की सेवा पूजा से नवापाड़ा के लोगों में हनुमान जी महाराज के प्रति भक्ति जाग उठी और वनवासी बंधु और महिलाएं भी रामचरित मानस जैसे महान ग्रंथ का परायण करने लगे है। सन 2012 में रामानंदाचार्य जयंती के अवसर पर गोविन्द दास को महंत पद प्रदान कर चादर विधि आयोजित की गई थी। महंत पद प्राप्त होने के बाद महंत गोविन्द दास ने श्री इछापूर्ण हनुमान मंदिर पर प्रति एकादशी अखंड रामायण का परायण कर पूर्णाहुति पर कन्या भोज और भंडारा करवाया और हनुमान जयंती पर कलश यात्रा और भंडारा तथा प्रतिवर्ष दीपावली के बाद अन्नकूट महोत्सव सुन्दरकांड जैसे कई धार्मिक अनुष्ठान होते रहते रहे महंत जी ने नवापाड़ा मंदिर पर रहते हुए हरिद्वार, इलाहाबाद, नासिक, उज्जैन कुंभ में भक्तों के सहयोग से अपनी उपस्थिति प्रदान की और भंडारे करवाए। महंत के देवलोक गमन पर पीपलखूंटा वाले सन्त रत्न 108 महंत श्री दयारामदास जी महाराज ने भी शोक प्रकट किया और कोटेश्वर तीर्थ और रानपुर से फौजी बाबा बोरी, वन, कवडा से भी कई संत महात्मा अग्नि संस्कार में पधारे।