ये कैसी नाईंसाफी है; गरीबो का सबकुछ तोड़ दिया और रसूखदारों की ओर ध्यान तक नही दिया ?

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सलमान शैख़@ झाबुआ Live
पेटलावद। सीएम कमलनाथ के निर्देश में प्रदेशभर में भू-माफियाओ पर प्रशासन का बूल्डोजर चल रहा है, यही बल्डोजर पेटलावद में भी राजस्व, नगर पालिका और पुलिस विभाग ने गत दिनो चलाया था। एक दो दिन दिन तो ऐसा लगा अब अतिक्रमणकारियों की खैर नहीं लेकिन दो-चार दिन बाद पूरी मुहिम फुस्स होती नजर आई।
सभी को यह भरोसा था कि अब प्रशासन का डंडा सभी पर चलेगा। रोज अतिक्रमण मुहिम चलाकर क्षैत्रों में जो अतिक्रमण से नागरिको को परेशानी हो रही है उससे निजात दिलाई जाएगी। मगर दूसरे, तीसरे और चौथे दिन अतिक्रमण मुहिम में आलाधिकारियों द्वारा बड़ो को सराहा और छोटो को धुत्कारा की तर्ज पर मुहिम चलाते नजर आए।
दरअसल, रूपगढ़ मार्ग, नया बस स्टैंड पर जितने भी छोटे तबके के गरीब व्यापारी थे जिनकी रोजी रोटी उसी से जुड़ी थी जो अपने बच्चो का पेट रोज अपने व्यवसाय से कमाकर भरते थे। उन्हें अतिक्रमण मुहिम में बड़ी बेतरतीब से हटाया गया। वहीं जैसे ही मुहिम शहर के आंतरिक इलाकों में पहुंची और आलाधिकारियों ने कुछ स्थानो पर कार्रवाई कर मुहिम को विराम दे दिया। अगर मुहिम बिना भेदभाव के चलाई जाती जो कई बड़े प्रतिष्ठान अतिक्रमण की चपेट में आ सकते थे लेकिन प्रशासनिक अमले ने बड़ो को सराहा और छोटो को धुत्कारा।
अब जिम्मेदार अधिकारी भी अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ते नजर आ रहे है। प्रतिदिन अतिक्रमण मुहिम चलाने की बात अधिकारी दूसरी पारी में मुहिम चलाते नजर ही नही आए।
अभी तक मुहिम के कोई अते-पते नही है, क्योकि अब बारी थी असल में मुहिम पर अमल करने की लेकिन प्रशासन रसूखदारों के सामने पंगु नजर आने लगा है और गरीबो की जोरू सब की भाभी कहावत चरितार्थ होती नजर आई।
आखिर गरीबो की झोपड़े तोडऩे वाले इन रसूखदारों की तरफ क्यों नही झांकते?
सडक चौड़ीकरण और अतिक्रमण के नाम पर जब वर्षो से रह रहे गरीबो के झोपड़े और दुक़ाने तोडऩे में जरा भी नही हिचकिचाने वाले प्रशासन के कर्ताधर्ता आखिर इन रसूखदारों की और झांकते क्यों नहीं.. ऐसा तो संभव ही नहीं है कि उन्हें यहां की सडक़ो पर अवैध अतिक्रमण की जानकारी न हों, लेकिन जब अवैध काली कमाई का हिस्सा खुद—ब—खुद जेब तक पहुंच रहा हो, तो फिर किसकी पड़ी है, बाजार को बचाने की..अब यहां सबसे फिक्रमंद बात यह रही कि मानो कभी खुदा—न—खास्ता इन संकरी गलियों वाले भीड़ भरे बाजार में भयावह आग लग गई, तो फिर जहां चारपहिया छोटे वाहन तक नहीं पहुंचेगा कैसे..? कैसे आग बुझाएगा..? ये आशंका यूं ही नहीं। पिछले कुछ सालों पहले भी ऐसी कई घटनाएं घटित हो चुकी है। यदि कोई बड़ा हादसा हो जाए, तो फिर करने के लिए सरकार और अधिकारियों के पास सिर्फ जांच—पड़ताल ही रह जाएगी…।
ये सब वर्षो की अवैध हरकतों का जीता—जागता उदाहरण है.. दौलत की काली कमाई के हवसी जुनून में सुरक्षा का भी कबाड़ा निकाल दिया.. लोगो की जान की अब किसी को परवाह नहीं, सबको ऊपरी कमाई का खूनी जुनून जो सवार है…भले ही ऊपरी काली कमाई के मकसद से अवैध अतिक्रमण की घिनोनी इमारतें तानी गई हो, लेकिन जब भी कोई प्राकृतिक प्रकोप बरसता है तो फिर निर्दोषो को बचाना टेड़ी खीर साबित हो सकता है..देर तो काफी हो गई है..अगर अब भी नही संभले, तो फिर इन मार्गो का भगवान ही मालिक होगा।
ये पक्का अतिक्रमण क्यों नही हटा?
सीएम के निर्देश पर नगर में बाहर-बाहर अतिक्रमण मुहिम चली। सीएम के इस निर्देश का पालन अधिकारीयों ने भेदभाव पुर्ण तरीके से किया। कहीं कहीं तो ऐसा लगा मानों कुछ कर्मचरीयों को अपनी निजी दुश्मनी निकालने का मौका मिल गया हो। इस मुहिम से अब नगर के प्रमुख मार्ग पहले से कई अधिक छोडे दिखने लगे है। लेकिन अब भी कुछ पक्के निर्माण जोकि अतिक्रमण की श्रेणी में आ रहे है उनका नही हटाया गया है। गुमटीधारी रघु, लाला, आदिल, अनवर, अरबाज, वसीम, पप्पू आदि ने बताया कि अब भी पक्का अतिक्रमण शान से खड़ा सीएम के इस अभियान को मुंह चीड़ा रहा है। यहां के अधिकारीयों ने अतिक्रमण के नाम पर केवल गरीबो को ही तबाह किया है।
शासकीय दुकान पर निर्माण कर आगे बढ़ा लिया, फिर भी कार्रवाई नही—
नगर पंचायत द्वारा बनाई गई सोसायटी के सामने दुकानों के गलीयारों को दुकानदारों ने दीवारे खड़ी कर अतिक्रमण की चपेट में लेकर दुकाने चार फिट तक आगे बड़ा ली। यहां भी करवाई करने की लोगो ने मांग अधिकारीयों से की थी। जबकि जिला मुख्यालय पर इसी तरह के अतिक्रमण को सख्ती के साथ हटाया गया। इसी तरह थांदला मार्ग पर नाले पर हुए अतिक्रमण को लेकर नगरवासीयों ने अधिकारीयों से कारवाई करने को कहा, लेकिन कोई कार्रवाई नही की। इसी तरह कई ऐसे स्थान है जहां पक्के निर्माण है जो पेटलावद के अधिकारीयों के पास नगरजनो ने आवेदन देकर इनकी जांच करने के लिए मांग की, लेकिन इन अधिकारियो को यह भी नही दिखाई दिये। बस इन्हे तो गरीबो के आशीयाने ही दिखाई दिये। लेकिन मुहिम के इस तरह अचानक ठंडे हो जाने से गुमटीधारीयों में आक्रोश है उनका कहना है कि बाकी बचा अतिक्रमण नही हटता है तो वह वापस अपने स्थान पर गुमटी लगाकर बेठ जायेंगे।
अधिकारियों के जवाब भी पढ़िए:
इस सम्बंध में एसडीएम एमएल मालवीय से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि नपं नगर में शासकीय भूमि पर अतिक्रमणों को चिह्नित करकर हमे सूचना देगी तभी हम टीम बनाकर उस भूमि को कब्जेधारियों से छुड़ा पाएंगे।
– इस सम्बंध में सीएमओ एलएस राठौड़ से चर्चा की तो उन्होंने मीटिंग का हवाला देते हुए अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया।