चातुर्मास के लिए साध्वीजी भगवंत का हुआ भव्य मंगल प्रवेश

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झाबुआ लाइव के लिए पारा से राज सरतलिया की रिपोर्ट-
शुक्रवार को भक्ताम्बर एवं नवकारसी के पश्चात सकल श्रीसंघ पारा अन्य ग्रामों एवं नगरों से आये गुरुभक्त राणापुर मार्ग पर चातुर्मास के लिए पधारे साध्वी मसा अविचालदृष्टा श्रीजी आदिठाणा-7 की भव्य अगवानी कर शोभा यात्रा में शामिल हुए। पारा जैन समाज ने उत्साह के साथ चातुर्मास मंगल प्रवेश की शोभायात्रा साध्वीजी के साथ नगर के मुख्य मार्गो से निकाली। शोभायात्रा में परिषद के युवक लोक संत आचार्य जयंत सेन सूरीश्वरजी की प्रतिमा पालकी में लिए कंधे पर उठा कर चल रहे थे। वही महिलाएं मंगल कलश लेकर अगवानी की शोभा बढ़ा रही थी। अगवानी की इस शोभा यात्रा में उमड़े समाज जन गुरुदेव के जयकारे के साथ नृत्य करते चल रहे थे। इस मंगल प्रवेश कार्यक्रम में जहां बालिकाएं परिषद की ड्रेस कोड में थी वहीं पुरुष सफेद वस्त्र पहने थे। साध्वीजी मसा के चातुर्मास मंगल प्रवेश ओर अगवानी के लिए अलीराजपुर, खट्टाली, जोबट, बोरी, राणापुर, झाबुआ, राजगढ़, लेडगांव आदि के साथ ही गुजरात एवं राजस्थान के भी कई गुरुभक्त शोभायात्रा में शामिल हुए। चातुर्मास प्रवेश की इस शोभायात्रा में समाज के प्रत्येक घर से गहुली की गई। बाद में यह शोभा यात्रा आदेश्वर, पाश्र्वनाथ, सीमंधर धाम मंदिर प्रांगण पहुंचकर एक धर्मसभा में बदल गई। मंगल प्रवेश की इस धर्म सभा में सर्वप्रथम अथितियों एवं श्रीसंघ के वरिष्ठों ने लोक संत पुण्य सम्राट गुरुदेव के चित्र पर दीप प्रज्ज्वलित कर माल्यार्पण किया। इसके बाद श्रीसंघ के महामंत्री राजेन्द्र कोठारी ने सामूहिक गुरुवंदन करवाया। चातुर्मास समिति के प्रचारमंत्री सुशील छाजेड़ ने बताया कि धर्मसभा की शुरुआत महिला परिषद की वर्षा छाजेड़ और रानी भंडारी ने स्वागत गीत गाकर की। बालिका परिषद से आयुषी छाजेड़ ने जयंत गुरुवार आ जाओ एक बार, गाकर धर्म सभा को भाव विभोर कर दिया। साध्वीजी अविचल दृष्टाजी के मंगलाचरण के बाद श्रीसंघ अध्यक्ष मनोहर छाजेड़ ने स्वागत भाषण दिया। इस अवसर पर उपस्थित अतिथि जवाहरलाल ककड़ीवाला आलीराजपुर, ज्ञानचंद जैन जोबट, संजय मेहता झाबुआ तथा महिला परिषद की राष्ट्रीय शिक्षा मंत्री पुष्पा भंडारी मनावर ने भी जयंत गुरु के गुणों का बखान करते अपने विचार व्यक्त किये। धर्म सभा में सर्वप्रथम 1992 में दीक्षा लेने वाली पारा के सियाल परिवार की बेटी साध्वी चिन्तानकला श्रीजी तथा उनकी गुरुणी दर्शित कला श्रीजी ने चातुर्मास के महत्व को बताते पारा श्रीसंघ की धार्मिक आयोजनों के लिए प्रशंसा करते पारा को अपारा बताया। पारा चातुर्मास हेतु पधारी वरिष्ठंम साध्वीजी अविचल दृष्टाश्रीजी ने पुण्य सम्राट जयंत गुरुदेव की कई रोचक बातें याद करते हुए चातुर्मास के महत्व को प्रतिपादित करते जीवन के सत्य को परिभाषित करते कहा की। बीज को पेड बनने के लिए जमीन में गाडा जाता है वहां बहुत कष्ट होता है काफी जद्दोजहद और संघर्षों के बाद वह फूटकर बाहर निकलता है। बाहर भी उसे बारिश, सर्दी और लू के थपेडों का सामना करना पडता है। इसमें जो टिका रहता है, वह लोगों को फल, छाया, प्राणवायु और ईंधन, सबकुछ देने में समर्थ हो जाता है। यही जीवन का सत्य है।
जयंत सेन सूरी विराजे पालकी में जो दीक्षा दानेश्वरी, साहित्य साधना के सम्मेद शिखर 1986 के पारा चातुर्मास से लेकर अब तक कई बार पारा को आशीर्वाद देते आ चुके थे देवलोकगमन के पश्चात अगवानी की इस शोभायात्रा में प्रतिमा के रूप में पालकी में विराजे थे। इस दृश्य को देखकर कई भक्तों की आंखों के अश्रुधारा बह निकली। प्रतिमा की पालकी को अपने कंधों पर उठाने की भक्तो में होड़ सी लगी थी। अगवानी की इस शोभा यात्रा में पालकी में विराजित जयंत सेन गुरु की प्रतिमा का दर्शन लाभ समूचे पारा ने लिया। धर्म सभा मे पूण्य सम्राट जयंत सेन सूरीश्वरजी की वासक्षेप पूजा का लाभ धनराज मल व्होरा परिवार ने लिया। साध्वी अविचल दृष्टाश्री जी को काम्बली ओढाने का लाभ संघवी वाली बाई सागरमल छाजेड़ परिवार ने लिया। पारा में शुक्रवार को पहली बार हुई जयंत सेनसूरीजी की आरती का लाभ प्रकाश तलेसरा परिवार ने लिया। अब प्रतिदिन गुरुज्ञान मंदिर में सुबह और शाम को लोक संत की आरती होगी। धर्म सभा का संचालन परिषद अध्यक्ष सुरेश कोठारी ने किया। अंत मे पारा परिषद की ओर से प्रभावना भी वितरीत की गई।