आदिवासी वेशभूषा वाले चुनावी काका, चुनावी काकी के पोस्टर पर भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा ने ली आपत्ति

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झाबुआ डेस्क। जिला प्रशासन झाबुआ द्वारा लोकसभा  निर्वाचन 2024 में  मतदाताओं में मतदान के प्रति जागरूकता  बढाने के लिए   प्रचार -प्रसार हेतु पोस्टर का विमोचन किया  है।  मतदाता जागरूकता के लिए आदिवासी वेशभूषा वाले चुनावी काका, चुनावी काकी के पोस्टर का विमोचन पिछले दिनों किया गया। इसे लेकर अंचल में आदिवासी सामाजिक संगठन भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा ने एसडीएम कार्यालय पेटलावद में ज्ञापन देकर मुख्य निर्वाचन आयोग आयुक्त नई दिल्ली को आपत्ति दर्ज  करवाई  है।

भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा युनिट मध्यप्रदेश के प्रदेश संयोजक धर्मेन्द्र डामोर ने बताया कि लोकसभा निर्वाचन 2024 की आदर्श आचरण संहिता का हम सामाजिक संगठन के समस्त पदाधिकारी कार्यकर्ता ओर सदस्य सम्मान और पालन करते हैं । संवैधानिक रूप से हमारी  आपत्ति यह है कि जिला  निर्वाचन पदाधिकारी झाबुआ के नाम से निर्मित और विमोचित की गई पोस्टर प्रचार सामग्री में चुनावी काका के नाम से चित्रांकित किया गया चित्र हमारे भील समुदाय के लोकधर्म संस्कृति के आराध्य देव मुकुटधारी बाबा बुड़वा – मोटाधणी – बड़ादेव का है । साथ ही चुनावी काकी के नाम से निर्मित -प्रचारित चित्र हमारी भीली संस्कृति के पहनावे अन्तर्गत भीली महिला का चित्र है। विमोचित-प्रसारित दोनों ही चित्र में जंगली जानवरों के मुख (मुंह ) सहित जानवरों के अंगों का समावेश पोस्टर के चित्रों  में किया गया है ।   उक्त दोनों ही निर्मित-विमोचित चित्र पोस्टर सामग्री से हमारे भील समुदाय की महान लोक-संस्कृति का  घोर अपमान हुआ है ।

पश्चिमी भारत स्थित भील सांस्कृतिक क्षेत्र में आयोजित होने वाले सांस्कृतिक  आयोजनों एवम्  भगोरिया हाटों में मुकुटधारी बाबा बुड़वा -मोटाधणी – बड़ादेव का वेश धारण कर  भील युवा ढोल कि औजस्वी सुरीली तान पर , बाबा बुड़वा को समर्पित भाव से पारम्परिक नृत्य करते है। विमोचित पोस्टर में जो चित्रांकन हुआ है उसमें भीली लोककला के मूल स्वरूप के साथ छेड़छाड़ की जाकर उसमें जंगली जानवरों के मुख (मुंह) -अंग आदि जोड़कर , महान भीली लोक संस्कृति का घोर अपमान किया गया है, जो कि भील समुदाय सहित समस्त आदिवासी वर्ग को अस्वीकार है । उक्त कृत्य में किसी गैर आदिवासी अधिकारी कर्मचारी कि आदिवासी भीली संस्कृति के विरूद्ध पूर्वाग्रह से पीड़ित मानसिकता परिलक्षित होती है ।

ज्ञापन मे कहा पश्चिमी भारत का आदिवासी विस्तार जो कि भील सांस्कृतिक क्षेत्र  (भीलप्रदेश) होकर  महान  आदिवासी भीली लोक परम्परा , रीति रिवाज और संस्कृति के कारण विख्यात  है। इस  क्षेत्र में निवासरत सम्पूर्ण आदिवासी वर्ग  सहित  भील समुदाय , जिला झाबुआ से जारी इस पोस्टर से आहत होकर अपमानित हुआ है। ज्ञापन में मांग की कि इस चित्र को डिजाईन करने में शामिल  व्यक्ति (अधिकारी -कर्मचारी ) पर अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के अन्तर्गत एट्रोसिटी एक्ट मुकदमा दायर किया जाऐ । ज्ञापन देने में भीलप्रदेश मुक्ति मोर्चा -युनिट मध्यप्रदेश के प्रदेश संयोजक धर्मेन्द्र डामोर, सामाजिक युनिट के जिला प्रभारी संदीप वहुनिया, सामाजिक कार्यकर्ता पवन मेड़ा, धनराज मेड़ा, गोलू गरवाल, गणेश मकवाणा, शेखर कटारा  आदि उपस्थित रहे ।