आत्मा के स्पर्श का अनुभव जिसे हो गया उसकी सोच विचार की गति भी अलग हो जाती : निरूपमदृष्टा श्रीजी

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झाबुआ लाइव के लिए पारा से राज सरतलिया की रिपोर्ट-
चार्तुमासिक प्रवचन देते हुए परम प्रभावी साध्वीजी भगवंत अविचलदृष्टा की शिष्या साध्वी निरूपमदृष्टा श्रीजी ने कहा कि हमारे भीतर आत्मा के ज्ञान का प्रकाश भरा हुआ है। आत्मा के स्पर्श का अनुभव जिसे हो गया उसकी सोच विचार की गति भी अलग हो जाती है। हमारी दृष्टी में परिवर्तन की जरूरत है। शांति समाधि संतोष की अनुभुति होना जीवन की सबसे बडी उपलब्धि है। मन स्वच्छ पवित्र व निर्मल रहना चाहिए। हमें दूसरों की तरफ नहीं अपनी ओर देखना चाहिए, हमें किसी से शिकायत नहीं होनी चाहिए। जीवन का उद्देश्य यह होना चाहिए की किसी जीव से शिकायत नहीं और धर्म की किफायत नहीं। चार माह का यह चार्तुमास हमें यह सीखाता है कि जीवन को कैसे बदले, क्रोध, अहंकार छल, कपट, निंदा, द्वेष की भावना को दूर कैसे करें। चातुर्मास तथा इसमें होने वाले जप एवं तप अहम के पोषण के लिये नहीए अपितु आत्मा के पोषण के लिये होना चाहिए।
लोकसंत पुण्य सम्राट ने करीब 55 वर्ष पूर्व नमस्कार महामंत्र की आराधना की शुरुआत करवाई थी। पारा का परिषद परिवार भी गुरुदेव के आशीर्वाद से 35 वर्षो से इस तप आराधना का सफल संचालन करते आ रहा है। इसी तारतम्य में इस वर्ष भी रविवार से नौ दिवसीय इस आराधना का शुभारंभ होगा। पारा में विराजित साध्वीजी भगवंतो की निश्रा में लाभार्थीयों द्वारा नवकार मंत्र के चित्र के साथ अखंड दीपक से नौ दिनों तक चलने वाली इस आराधना में 68 तीर्थो की भाव यात्रा भी की जाएगी।
नवकार आराधना
इस तप आराधना में सभी तपस्वी सफेद वस्त्र धारण कर गुरु ज्ञानमंदिर में नवकार मंत्र की 20 पक्की माला का जाप तथा अन्य दैनिक क्रियाएं करेंगे। साथ ही सामूहिक एकासने का आयोजन स्थानीय नवकार भवन में किया जाएगा। पुण्य सम्राट आचार्य देवेश श्रीमद विजय जयंत सेन सूरीश्वरजी के आज्ञानुसार पारा में इस वर्ष पूज्य साध्वी अविचलदृष्टाश्रीजी आदिठाणा 7 का भव्य चार्तुमास चल रहा है। चार्तुमास के प्रारंभ होने के पूर्व ही नगर में तपस्याओं का दौर शुरु हो गया था। पूर्व में अंकित मनोहर छाजेड़ एवं आयुषी पारस कांठेड़ 8 उपवास, मंजू मनोहर छाजेड़ 12 उपवास तथा महेंद्र प्रकाश छाजेड़ 16 उपवास की अपनी तपस्या पूर्ण कर चुके हैं। वहीं मनोरमा सुरेश कोठारी, जीवनबाला जितेंद्र कोठारी तथा श्रेयांशी मनोज भंडारी भी वर्षीतप आराधना में लीन है। अमृता अखिलेश छाजेड़ आज अपने 26 उपवास पूर्ण कर चुकी हैं इनके अलावा मंगला महेश कांठी, शोभा सुरेश भंडारी, मीना पारस कांठेड़, माला मनीष छाजेड़, सीमा मनीष ब्होरा तथा शालीनी अर्पित कोठारी भी बड़ी तपस्या की ओर अग्रसर है। वहीं 44 दिवसीय सिद्धि तप में भी 38 श्रावक-श्राविकाएं अपना भाव बनाए हुए हैं।