झाबुुआ Live अलर्ट: अब मैं 39 साल का हो चला हूं…!!

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एक नजर में-
– 1980-82 में पुल का निर्माण
– 8 मीटर है चौड़ाई
– करीब 17 फीट ऊंचाई है
– 4 पिल्लर लगे है

Salman Shaikh@ Jhabua Live
पेटलावद। गत 39 साल से हजारो वाहन दिनरात मेरे सीने ऊपर से गुजर रहे है। एक दशक से बढ़े यातायात के दबाव के बीच ओवरलोड वाहनों ने मेरा दम निकाल दिया। कुछ कसर जिम्मेदारो की उदासीनता ने निकाल ली। अब मैं 39 साल का हो चला हूं। साल में एक आध बार पैचवर्क भी होता है, लेकिन यह मेरी व नागरिको की सुरक्षा के लिए पर्याप्त नहीं। जिम्मेदार जनप्रतिनिधि-अफसर मेरा विकल्प अब तक तलाश नहीं पाए है।
जी हां, सागर-अहमदाबाद स्टेट हाईवे पर पंपावती नदी पर स्थित पुल पर यातायात के भारी दबाव के चलते दिन में कई बार जाम की स्थिति बनती है। पुल की चौड़ाई भी कम होने से यहां टै्रफिक दिनभर रेंगता है। पिछले 5-10 सालो में शबाब पर आई पंपावती नदी के पानी के थपेड़े भी झेल चुका पुल आंतरिक रूप से कमजोर लगने लगा है। अब इसके विकल्प की तलाश जरूरी है।
टू लेन पुल है जरूरत-
बढ़ते टैफिक के लिहाज से पंपावती नदी के इस पुल का अब विल्प बेहद जरूरी हो गया है। बढ़ते नगर की यह जरूरत भी है। जनप्रतिनिधि व प्रशासन को इसे चुनौती के रूप में लेकर कार्ययोजना तैयार करना चाहिए। समय अब बहुत आगे निकल चुका है, अगर वक्त पर इस पुल का विकल्प तलाश लिया गया तो ही ठीक होगा, नही तो एक बड़ी मुश्किल यहां खड़ी हो सकती है।
39 साल पहले-
लगभग साढ़े 3 दशक पहले क्षैत्र की करीब 5 से 8 हजार आबादी के यातायात के लिए सेतु विभाग ने सन् 1980 और 82 के करीब इस पुल का निर्माण कराया था। इसके बाद लोनिवि ने इस पुल को अपने अधिन ले लिया था। तब वाहनो की संख्या फिलहाल की 25 फीसदी भी नही थी। ऐसे हालत में वन-वे पुल पर्याप्त था। 39 साल पुराने इस पुल में बारिश में हर बार यही स्थिति बनती है और इसका खामियाजा आम जनता को उठाना पड़ता है। बावजूद इसके यहां सुधार या नवनिर्माण के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती है।
ये है आज के हालात-
नगर की फिलहाल आबादी 25 से 30 हजार के आसपास है। उस लिहाज से नगर व बाहरी वाहनो की संख्या में भारी इजाफा हुआ है। सिंगल पुल को टू-लेन बनाना जरूरी है। लोनिवि व एमपीआरडीसी के बीच उलझा है। लगातार पुल का एक हिस्सा क्षतिग्र्रस्त होता जा रहा है और यहां से गुजरने वाले वाहनों के दबाव के कारण सडक़ धंसकती जा रही है। ऐसे में पुल पर आवागमन करने वालो के लिए बेहद खतरनाक सफर हो गया है। यहां बीते सालो में कई दुर्घटनाएं भी हो चुकी है।
आगे क्या-
अचानक पुल पर किसी बड़ी समस्या पैदा होने पर यातायात ठप्प होने की आशंका है। लो निर्माण विभाग टू-लेन पुल की डीपीआर बना सकता है। पुल के नजदीक से निकलने वाले रोड़ जो दुल्लाखेड़ी से पहले पेटलावद रोड़ पर मिल रहा है, उसे बनाने में जल्द विभागीय कार्रवाई में लाना चाहिए। जनप्रतिनिधि व प्रशासनिक महकमें के जल्द एक्शन प्लान बना लेने से कम से कम आने वाले सालो में सुविधा मिलने की उम्मीद बंध जाएगी।
अमूमन 20 साल तक रहती है मियाद-
इंजीनियरो के मुताबिक किसी भी पुल का निर्माण करने के बाद उसकी मियाद की एक समय-सीमा रहती है। निर्माण के बाद पुल को अमूमन 20 तक देखने की जरूरत नही होती है, लेकिन इस पुल को 39 साल होने आ गए अब इसकी मियाद भी खत्म हो चुकी है। इसकी देखरेख की जो टोल कंपनी और एमपीआरडीसी की थी, लेकिन देखरेख के नाम पर केवल खानापूर्ति की गई और इसी का नतीजा रहा कि यह जर्जर और कई जगह से क्षतिग्रस्त हो चुका है। जिम्मेदार अफसरो ने टोल कंपनी को इसके लिए कोई विशेष दिशा-निर्देश जारी नही किए, जिससे कि इस पुल में सुधार आ सके।
24 घंटे चलता है ट्रैफिक-
नगर का इंदौर, उज्जैन, रतलाम, धार जिले 10 से अधिक शहरो की आवाजाही इस पुल से होती है। वहीं यही मार्ग गुजरात और राजस्थान की ओर जाता है, जिससे यह दिनरात व्यस्त रहता है। तीना राज्यो को जोडऩे वाले इस मार्ग पर 24 घंटे ट्रैफिक रहता है। यहां किसी वाहन के खराब होने की स्थिति में ज्यादा परेशानी दूसरे वाहनो को उठानी पड़ती है।
बेहतर काम कराएंगे-
विधायक वालसिंह मैड़ा ने चर्चा में बताया शहर की यातायात व्यवस्था के बेहतर व्यवस्था के लिए सभी विभागो से समन्वय कर काम कराएंगे।