पेटलावद ब्लास्ट की छठी बरसी को भी भूले जनता के हितेषी, लोगो से मिलना तो दूर श्रद्धांजलि देना भी भूले शिवराज और कमलनाथ

- Advertisement -

सलमान शैख़@ झाबुआ Live
मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के पेटलावद में हुए ब्लास्ट को आज 6 साल हो गये हैं। पिछले 6 वर्ष पहले यानि 12 सितंबर 2015 को थांदला रोड स्थित एक मकान में अवैध रूप से रखे बारूद व रासायनिक खाद में हुए विस्फोट में 79 लोगो की जाने चली गई थी। इस दर्दनाक हादसे में पीड़ित लोगो को राहत पहुँचाने के लिए उस समय भी सीएम रहे शिवराजसिंह चौहान ने कई वादे किये और आश्वासन भी दिए, जो आज तक अधूरे हैं। वहीं इस हादसे की छठी बरसी पर भी बीते वर्षों की तरह कई अंचल के नेताओं ने पेटलावद पहुंचकर श्रद्धांजलि अर्पित की, लेकिन आज फिर छठी बरसी पर जनता के हितेषी प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने हादसे में मारे गए लोगो को श्रद्धांजलि दी और न ही उनसे मिलने के लिए पेटलावद पहुंचे। वहीं 15 महीनों के सीएम रहे कमलनाथ भी सीएम शिवराज से पीछे नही है। कमलनाथ भी आज श्रद्धांजलि देना भूल गए। आपको बता दे कि अपने आप को पीड़ित परिवार का सदस्य कहने वाले मामा शिवराज पेटलावद हादसे की पिछली बरसियो पर भी दिवंगतो को श्रद्धांजली देना भूले थे।
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या? मुख्यमंत्री या उनके मंत्री या प्रभारी मंत्री यहां आकर श्रद्धांजली नही दे सकते थे? सरकार की घोषणाओ की जमीनी हकीकत नही देख सकते थे? यहां आना तो दूर खुद सीएम शिवराजसिंह चौहान अपने फेसबुक और ट्वीटर अकाउंट तक पर पेटलावद के मृत लोगो को पहली बरसी पर याद कर श्रद्धांजली देना भूल गए।
हादसे के बाद जहां आज तक सरकार की खोखली घोषणाएं जमीन पर नहीं उतरी, वहीं इस तरह इतने बड़े हादसे की बरसी को ही भुला देना घटना से पीड़ित लोगों के दिलों पर गहरी चोट है। सीएम शिवराज और उनके मंत्रियों के इस रवैये को लेकर लोगों में आक्रोश भी है।
आज रविवार को घटनास्थल और श्रद्धांजलि चौक पर कई जनप्रतिनिधि, नेता, सामाजिक संगठन और विद्यार्थी पहुंचे। मोमबत्ती जलाकर, अगरबत्ती लगाकर और पुष्प अर्पित कर मृतकों को याद किया गया। आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों ने श्रद्धांजलि अर्पित की। वहीं अजजा मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष कलसिंह भाभर, विधायक वालसिंह मेडा भी अपने साथियों के साथ हादसे में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देने पहुंचे, लेकिन सरकार के किसी भी मंत्री और देश और प्रदेश स्तर के सभी दलों के बड़े नेताओ को इस दर्दनाक हादसे की याद नहीं आई। इसकी वजह शायद अभी आलीराजपुर जिले में चुनाव है तो सभी वहीं की तैयारी में जुटे है, झाबुआ जिले में चुनाव नही है या फिर विधानसभा चुनाव या नपं आदि कोई चुनाव नही है, इसलिए सभी विपक्षी दलों के बड़े नेताओं को यहां अपनी राजनीतिक रोटियां सेकनी नही मिलेगी।

बड़ी विडंबना वाली बात है कि किसी भी नेता चाहे वह सरकार से जुड़ा हो या विपक्षी दल से जुड़ा हो, किसी ने भी अपने ट्विटर या फेसबुक साइट्स पर छठी बरसी पर ब्लास्ट में दिवंगत हुए 79 बेकसूर लोगो को श्रद्धांजलि देना मुनासिब समझा हो। सभी को बड़े-बड़े नेताओं की पुण्यतिथि, जन्मजयंती याद रहती है और सोशल मीडया पर अपने चित्र सहित बेनर आदि पोस्ट करते है, लेकिन प्रदेश में हुए इतने बड़े हादसे को कोई याद नही रखता। जो बीत गया सो बीत गया। एक बात यह भी है कि अब सभी नेता प्रदेश की सबसे बड़ी विस्फोटक घटना को भूल चुके है, पेटलावद को मिले उस दर्द को भूल चुके है, जो इसी राजनीति के कारण पेटलावदवासियों को मिले है।