स्कूल चले हम अभियान जिले के उकाला फलिये में हुआ फ्लॉप : ग्रामीण बच्चों का अहम पल

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दिनभर मवेशियों के चौपालों के साथ रहते हैं नौनिहाल
इस तरह झुंड में खेलते रहते है बच्चे
गांवों में घूम-फिरकर बीतते है वक्त

झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
यह सुनने में बड़ा अजीब लगेगा कि इस 21वीं सदी के हाईटेक मोबाइल- कप्यूटर युग में बच्चों को आज भी शिक्षा का उजाला नसीब नहीं हो पा रहा है। स्थानीय प्रतिनिधियों की लापरवाही के साथ जिले के जिम्मेदार अफसरों द्वारा मॉनिटरिंग नहीं करना भी स्कूल चलें अभियान को जमीनी स्तर पर फिसड्डी साबित करने में अहम भूमिका निभा रहा है। जी हां, आदिवासी अंचल में जमीनी हालत की पोल खोलती यह खबर ग्राम पंचायत मोहनकोट के मोरझरिया के उकाला फलिया की है, जहां के बच्चे आंगनवाड़ी और प्राथमिक शाला न होने के कारण मवेशी चराने और खेलकूद में अपना अहम पल बर्बाद कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार पेटलावद जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत मोहनकोट में शिक्षा व्यवस्था का बुरा हाल है। इस ग्राम पंचायत के मोरझरिया ग्राम के उकाला फलिये के तमाम सुख सुविधाओं से कोसों दूर है। तालाब और पहाड़ी के एक तरफ करीब 2 किमी की दूरी में बने 70 घरों के 124 से ज्यादा बच्चों की दिनचर्या काफी, किताब पैन-पैंसिल के सहारे नहीं बल्कि गाय-बैल और बकरियों को चराने के साथ शुरू होती है। सुबह से लेकर देर शाम तक केवल खेलकूद और छोटे भाई-बहनों की चौकीदारी में इनका समय निकल जाता है। अपवाद स्वरूप इक्का दुक्का बच्चे ऐसे भी है जो दूर होस्टल में या स्कूल जाकर अध्ययनरत है लेकिन स्थानीय स्तर पर कोई सुविधा न होने के कारण लगभग पूरे फलिये के बच्चों को न आंगनवड़ी का लाभ मिल रहा है और न ही प्राथमिक शिक्षा का। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि लाखों-करोड़ों की योजनाएं बनाने वाले की आंखे यहा के बच्चों की तकलीफ क्यों नही देख सकी। ऐसे में शासन द्वारा चलाए जाने वाले विभिन्न अभियानों की सार्थकता पर प्रश्न चिन्ह लगा रहा है।
स्कूल 4 किमी दूरी पर कैसे जाए बच्चे?
शिक्षा देने के लिये इस फलिये से करीब 4 किमी दूर पर एक माध्यमिक स्कूल तो है लेकिन यहां के नन्हे बच्चे वहां तक पहुंच ही नहीं पाते, वही आंगनवाड़ी भी इतनी ही दूरी पर स्थित है। ग्राम के भमरू खराड़ी ने बताया कि हमारे इस उकाला फलियें में कोई सुविधा नही है केवल रोड बना है। स्कूल और आंगनवाड़ी नहीं है जिससे बच्चों ने कभी स्कूल का मुंह तक नहीं देखा। हमने कई बार ग्राम सभा में भी लिखवाया लेकिन समस्या खत्म नही हुई। इसी फलिये के चेनसिंग ने बताया कि पिछले वर्ष यहां की समस्या को लेकर पेटलावद में मुख्यमंत्री को भी शिकायत पत्र सौंपा था लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई है, ग्रामीणों के नौनिहाल मवेशी चराने व खेलकूद में अपना अहम वक्त बर्बाद कर रहे हैं और जिम्मेदार शिक्षा विभाग यहां की सुध लेने को तैयार नहीं है।