शोचालय निर्माण नहीं डिब्बा लेकर शोच जाने को मजबूर ग्रामीण

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झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठोड़ की रिपोर्ट-

डिब्बा लेकर शोच करने जाते ग्रामीण
डिब्बा लेकर शोच करने जाते ग्रामीण

स्वच्छता अभियान ओर शोचालय निर्माण पर पानी की तरह राशि बहाई जा रही है। विशेषकर आदिवासी अंचल मे शेचालय निर्माण के लिए लक्ष्य निर्धारित करते हुए प्रशासन द्वारा माॅनिटरिंग की जा रही है किंतु पेटलावद ब्लाॅक मे स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियो ओर जनप्रतिनिधियो की आपसी खींचतान या यूं कहे कि सांठगांठ कई पंचायते शोचालय विहीन है। विकासखंड की ग्राम पंचायत कुडवास मे लगभग 700 से अधिक परिवार है। सूत्रो की मानें तो 600 से अधिक हितग्राहियो को शेचालय निर्माण की स्वीकृति भी मिल चुकी है किंतु स्वच्छता अभियान के लगभग 14 माह बीतने के बाद भी कुडवास मे शोचालय निर्माण प्रारंभ नहीं हो सका है। गोरतलब है कि पेटलावद के ब्लाॅक गोपालपुरा पंचायत मे खुले मे शेच मुक्त घोशित किया गया है ओर यह घोषणा जिला स्तर के अधिकारियो की लगातार माॅनिटरिंग ओर भोतिक सत्यापन के बाद ही हुई है जिसका सीधा मतलब यह है कि जिला स्तर के अधिकारी विकासखंड मे घूमकर शोचालय के निर्माण की स्थिति का लगातार आंकलन कर रहे है, तो क्या इन अधिकारियो को कुडवास मे एक भी शोचालय बनने की जानकारी नहीं मिली, समझ से परे है।
फरवरी अंत तक करना है लक्ष्य पूर्ति
जिला पंचायत के सीइओ अनुराग चोधरी जो कि वर्तमान मे जिले के प्रभारी कलेक्टर भी है, द्वारा फरवरी माह के अंत तक छह हजार शोचालय निर्माण का लक्ष्य पेटलावद विकासखंड को दिया है किंतु अंतिम सप्ताह मे बकोल सीइओ पेटलावद के अनुसार 2 से ढाई हजार शोचालय ही बन पाए है। अर्थात पूरे क्षेत्र मे लगभग 70 फीसदी से भी कम लक्ष्य की पूर्ति हुइ है जिसका सीधा मतलब यह है कि स्थानीय प्रशासन जनहित कार्यो मे रुचि नहीं दिखा रहा है
ग्रामीण हो रहे परेशान
शोचालय नहीं बनने से जहां सरकारी योजनाओ को पलीता लग रहा है वही ग्रामीण खुले मे शोच जाने को मजबूर है। ग्राम पंचायत कुड़वास, देवली, भीलकोटड़ा आदि कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां स्वच्छता अभियान की गूंज नहीं पहुंची है। कागजो पर जरुर हितग्राही चयनित कर लिए गए है लेकिन भोतिक धरातल पर स्थिति ठीक विपरीत है ओर ग्रामीण लोग डिब्बा लेकर अभी भी खुले मे शोच के लिए मजबूर है।

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