शरद पूर्णिमा पर सुर-ताल ने छेड़ी तान, देर रात नहीं थमे पैर

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17pet-06f 17pet-07gझाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट
शरद पूर्णिमा पर रविवार की रात अमृत की बूंदों के बीच सुर और ताल की जुगल बंदी के बीच गरबा रास ने ऐसी तान छेड़ी जिससे न तो पैर थमे रहे थे न ही सुर प्राचीन अम्बे माता मंदिर पर रविवार की रात अमृत का इस रस छलका जिसमें हजारों की संख्या में उपस्थित जनसमुदाय मंत्रमुग्ध हो गया। युवा, बच्चों, महिलाओं द्वारा अंतिम दिन जम कर गरबा रास किया गया।
1 क्विंटल की रंगोली और 2 क्विंटल की प्रसादी
मां के प्रांगण में बनाई गई एक क्विंटल फूलों की रांगोली आकर्षण का केंद्र रही। बालिकाओं द्वारा मां का विभिन्न रूप धारण कर मन मोह लेने वाली प्रस्तुति दी। इसके साथ ही देर रात्री में 2 क्विंटल दूध प्रसादी के लिए गर्म किया गया, जिसे चंद्रमा की रोशनी में रख कर अमृत प्राएंत कर भक्तों में वितरित किया गया। इसके साथ ही समिति द्वारा स्वल्पाहार की भी व्यवस्था रखी गई थी। आयोजन में देर रात्री में मां का स्वांग भी आया। भौर होने तक चले इस कार्यक्रम में हजारों लोग साक्षी बने। इस मौके पर 15 दिवसीय नवरात्री महोत्सव का समापन हुआ। इस मौके पर स्वर्गीय संपतबाई सोनी एवं शिक्षाविद स्वर्गीय कनकमल पटवा की स्मृति में गरबा खेलने वालों को पुरस्कार वितरण किए गए। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में जिला थोक उपभोक्ता भंडार अध्यक्ष अनोखीलाल मेहता, पूर्व अध्यक्ष नप विनोद भंडारी, पार्षद राकेश मांडोत, लोकेश भंडारी द्वारा बच्चों को पुरस्कार वितरण किया गया।