मानवता का परिचय देते हुए युवाओं ने तीन दिनों से रखे शव का किया अंतिम संस्कार

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इस प्रकार शव एक लकडी के बाक्स में तीन दिन तक पडा रहा.
इस प्रकार शव एक लकडी के बाक्स में तीन दिन तक पडा रहा.

झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
नगर के लोगों ने आज फिर मानवता का पाठ पढ़ाया है जब शरीर छोडऩे के बाद एक व्यक्ति का परिवार उसका साथ नहीं देता है तो पेटलावद वाले हमेशा आगे आकर किसका भी सहयोग कर सकते है। 12 सितम्बर को ब्लास्ट के समय भी जब पेटलावद में 32 शव एक साथ जले थे तब भी लोगों ने वहीं जीवटता दिखाई थी। मुक्तिधाम पर किसी को नहीं मालूम की लकडिय़ों की व्यवस्था किसने की या अन्य व्यवस्था कहां से हुई और आज फिर एक शव का वारिस नहीं मिल तो उसका अंतिम संस्कार किया। जानकारी के अनुसार तमिलनाडु के अधेड़ रवि कुमार का शव चार दिन पूर्व 23 नवंबर को कानवन मार्ग पर पेट्रोल पंप के पास निर्माणाधीन मकान के होद में मिला था, शव को पोस्टमार्टम रूम के बाहर एक लकड़े की पेटी में रखा गया था, जिसमें बर्फ रखी गई थी और कुछ केमिकल लगाया गया था, किन्तु फिर भी शव बदबू मारने लगा था। युवाओं ने मुंह पर कपडे बांध कर किया अंतिम संस्कार।
तीन दिन तक करा इंतजार-
पुलिस ने मृतक की सूचना उसके परिजनों को तमिलनाडु में उसके गांव तक भेज थी, किन्तु तीन दिन बाद भी कोई नहीं आया। उस शव को लेने जो कि खुले में एक लकड़े की पेटी में रखा हुआ था। आखिर उस शव को कितने दिन रखा जाए। यह समस्या पुलिस व प्रशासन के सामने थी, फिर उनके परिजनों से चर्चा की गई। बताया गया कि पिता बूढ़े है वह यहां तक नहीं आ सकते है। वहीं मृतक रवि कुमार के बच्चों के बारे में कोई जानकारी नहीं दे पाया, जिस कारण पुलिस असमंजस की स्थिति में थी। तब नगर के कुछ युवा आगे आए और उन्होंने पुलिस प्रशासन की मंजूरी के बाद शव का अंतिम संस्कार किया। पुलिस प्रशासन में असमंजस में था की आखिर क्या करें? नगर के युवा राकेश जैन, गोपाल वैरागी,राजू भाई, नगर परिषद के कर्मचारियों के सहयोग से शव को पंपावती नदी के तट स्थित मुक्तिधाम पर लाया गया जहां अंतिम संस्कार किया गया। पूरे विधि विधान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। नगर में शव वाहन और शव को सुरक्षित रखने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। तीन दिनों तक रवि कुमार का शव एक लकडी के बक्सें में पोस्टमार्टम रूम के बाहर खुले में ही पडा रहा, जो की मानवता की दृष्टि और आसपास के रहवासियों के स्वास्थ्य के अनुकूल नहीं था, जिसके लिए नगर में मांग उठ रही है कि एक शव वाहन और यदि किसी शव को अधिक दिन तक सुरक्षित रखना है तो एक शव कक्ष का भी निर्माण होना चाहिए, जिससे शव को सुरक्षित रखा जा सके.।