प्रदेश सरकार के सुस्त रवैये से 1 लाख 8 हजार बैकलॉग पद है रिक्त

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झाबुआ लाइव डेस्क।
संसदीय संघ नईदिल्ली आयोजित न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार की स्थाई समिति की बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें सांसद कांतिलाल भूरिया ने संसद सदस्य समिति के रूप में भाग लेते हुए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति समुदायों के प्रति केंद्र सरकार का ध्यान आकर्षित कर उल्लेख किया। इस दौरान उन्होंने मध्यप्रदेश शासन की सेवाओं में वर्तमान में लगभग एक लाख 8 हजार बैकलॉग के पद रिक्त पड़े हुए हैं जिनमें से 77 हजार से अधिक पद अनुसूचित जनजाति एवं 30 हजार से अधिक पद अनुसूचित जाति के हैं। इस दौरान भूरिया ने कहा कि सरकार का रवैया इन समुदायों के प्रति हमेशा से उदासीन रहा है एवं वर्तमान में भी यहीं नीति अपनाई जा रही है। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान 12 जून को घोषणा की थी कि इन बैकलॉग के पदों को शीघ्र ही भरा जाएगा। इसके पूर्व सीएम चौहान ने 13 दिसंबर 2015 को ग्वालियर में भी यहीं घोषणा की थी, लेकिन अभी तक स्थिति जस की तस है। सांसद भूरिया ने इस दौरान कहा कि मप्र की भाजपा सरकार द्वारा इन समुदायों के उत्थान के लिए कोई कार्य नहीं किया जा रहा है। 18 सितंबर को भोपाल में लगभग 20 हजार बेरोजगार एससी-एसटी युवकों ने बैकलॉग पदों को भरे जाने हेतु शांतिपूर्वक मार्च करते निकल रहे थे, तब युवकों को लाठीचार्ज में कई लोगों के हाथ-पैर फ्रैक्चर कर दिए गए, तो आंसू गैस के गोले का उपयोग कर उन्हें तितर-बितर किया गया। सांसद भूरिया ने समिति के सभापति रमेश बैस को कहा कि आपको इसका संज्ञान लेकर उचित कार्रवाई की जाए। सांसद भूरिया ने कहा कि एक ओर तो इन समुदायों के कल्याण की बात करते हैं तो दूसरी ओर प्रदेश सरकार की बर्बरता जारी है। सांसद भूरिया ने बताया कि राज्य सरकार की कैबिनेट की हर साल जुलाई में बैठक होती है, जिसमें बैकलॉग पदों को भरने की समीक्षा होती है। लेकिन वर्ष 2009 से अभी तक स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। राज्य सरकार को कोई परवाह नहीं है और आज स्थिति यह है कि लगभग 1लाख 8 हजार पद रिक्त पड़े हुए हैं। सांसद भूरिया द्वारा कुछ ओर मुद्दे भी समिति की बैठक में उठाए जिनमें से एससी-एसटी हेतु केंद्र सरकार द्वारा बजट कम किया जाना, विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति को कम किया जाना, आदिवासी विकास मंत्रालय का बजट लैप्स होना तथा अधिकारियों की जिम्मेदारी निर्धारित करना जो इसमें दोषी पाए जाते हैं, योजनाओं का क्रियान्वयन ठीक प्रकार से नहीं किया जाना मुख्य है। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या अनुपात के आधार पर बजट का प्रावधान केंद्र एवं राज्यों की सरकारों को किया जाना चाहिए, नही तो इसका प्रत्यक्ष लाभ इन समुदायों को नहीं मिल पाएगा। सांसद भूरिया ने बताया कि संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में अनुसूचित जाति-जनजाति के सभी संसद सदस्यों द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं केंद्रीय वित्त मंत्री से दिल्ली में मुलाकात निर्धारित की जाएगी और जो विसगंतियां जारी हैं जिससे इन समुदायों को कल्याणकारी योजनाओं का उचित लाभ नहीं मिल पा रहा है, उससे अवगत करवाया जाएगा।