धार्मिक स्थल पर निर्माण कार्य करने का किया विरोध, सौंपा ज्ञापन

May

झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट

पेटलावद बसोड समाज के देवता का वर्षो पुराना ओटला एंव इमली का वृक्ष।
पेटलावद बसोड समाज के देवता का वर्षो पुराना ओटला एंव इमली का वृक्ष।

स्थानीय मार्केटींग सोसाइटी के नवीन भवन एवं दुकानों का किया जा रहा निर्माण कार्य सोमवार को उस समय विवादों मे घिर गया जब नगर के सैकड़ों समाजजनों के द्वारा उनके एक धार्मिक स्थान के प्रवेश द्वारा को अतिक्रमण करते हुए रास्ता बंद कर दिए जाने से नाराज होकर बसोड समाज, मेहत्तर समाज व धानुक समाज एक साथ लामबंद हो गए और काम रुकवाने एंव रास्ते की मांग को लेकर अनुविभागीय अधिकारी पेटलावद के नाम एक ज्ञापन तहसीलदार वीएस कलेश को सौंपा।
क्या है मामला
ज्ञापन मे बताया गया है की कस्बा पेटलावद मे पटवारी हल्का नंबर 5 में वर्षो पूर्व से शीतला माता मंदिर और भेरूजी का स्थान है साथ ही इस स्थान पर लगभग 100 वर्ष पुराना इमली का वृक्ष है जिसके नीचे भेरूजी एंव शीतला माता की शीला व ओटला है। जिस पर समाज जन के द्वारा प्रतिवर्ष शीतला सप्तमी एंव भेरू पूर्णिमा के दिन पूजन अर्चन किया जाता है। वहीं बसोड समाज में आयोजित होने वाले विवाह समारोह का शुभारंभ इस स्थान पर पूजन करके प्रारंभ होता है। वर्षो पुराने इस स्थान पर आने जाने के लिए ही छोटा सा मार्ग बचा हुआ है। जिस पर विपणन सहकारी संस्था और हास्पिटल के साथ आसपास के लोगों द्वारा अतिक्रमण कर धार्मिक स्थल पर आने जाने वाले रास्ते को अवरुद्ध करने का नाजायज रूप से प्रयास किया जा रहा है। साथ ही सोसाइटी के द्वारा जो निर्माण कार्य किया जा रहा है। इसे रोकते हुए समाजजनों को आने जाने के लिए रास्ता छोड़े जाने की मांग समाजजनो के द्वारा की जा रही है।
वर्ष 2000 में भी उठा था विवाद।
समाजजनो के द्वारा ज्ञापन देते हुए बताया की इस संबध में वर्ष 2000 में भी विवाद उठा था और तत्समय प्रशाासन के हस्तक्षेप के पश्चात मामला शांत हुआ था। समाजजनो के द्वारा आरोप लगाया गया की अस्तपाल परिसर एंव मार्केटिंग सोसाइटी के साथ आस पास के लोगो के द्वारा अतिक्रमण किया जा रहा है। जबकी पुराने समय से उपरोक्त भूमि समाजजनों के धार्मिक कार्यो के लिए रिक्त थी।
आंदोलन की राह पर।
समाज के राजेन्द्र कुमार, छन्नुलाल, कल्लु, नितीन परमार, बाबूलाल बसोड, राजेन्द्र चंदेल, सुगनाबाई, मोहनलाल, रमेशचन्द्र अटकान, रतनलाल अटकान, जगदीश, शोभा बाई, सुजाता, मेहसन, शारदा, कविता मेहना समेत लगभग 100 अधिक समाजजनो ने उपस्थित होकर बताया की यदि प्रशासन के द्वारा उनके धार्मिक स्थल के लिए आने जाने का रास्ते को अतिक्रमण से मुक्त नही कराया तो समाजजनो को इसके लिए आंदोलन की राह पर जाना पडेगा और समाजजन न्यायालय की शरण लेने को मजबूर होंगे। तहसीलदार कलेश ने बताया कि बसोड समाज के द्वारा आवेदन दिया गया है। जल्द ही मौका मुआयना किया जाएगा।