दीक्षार्थी सचिन-रूपेश की शोभायात्रा में झूमा झकनावदा

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झाबुआ लाइव के लिए झकनावदा से जितेंद्र राठौड़ की रिपोर्ट-
IMG-20160515-WA0007जय महावीर की गूंज से गूंजायमान नगर व नगरवासियों का अभिवादन करती दीक्षार्थी शोभायात्रा पर विराजमान दीक्षार्थी भाई दीक्षार्थियों बग्गी के चारों और झूमते समाजजन हर जगह होता स्वागत ढोल ताशों की थाप पर नाचते गाते युवाओं की टोली। जी हां एक बार फिर झकनावदा में धर्म आस्था संपर्ण व एकता का अद्भुत नजारा देखने को मिला जब दो दीक्षार्थी भाई सचिन कांसवा झकनावदा, भाई रूपेश कोलकत्ता के सम्मान में जैन श्वेताम्बर तेरापंथ सभा द्वारा इनके सम्मान में विशाल वरघोडा निकाला गया, जिसमें समग्र जैन समाज की महिलाएं, पुरूष युवक-युवतिया बड़ी संख्या में शामिल हुए।
नगर के सभी समाजों ने किया दिक्षार्थी शोभा यात्रा का स्वागत
हर होर निहारने वालों व सराहना करने वालो का तांता लग गया वरघोड़े के स्वागत में जेसे होड लग गई पुरे मार्ग पर जैन समाज के अलावा नगर के सभी समाजजनों जैसे राठौड समाज, सीर्वी समाज, ब्राम्हण समाज आदि ने स्वागत किया। जगह जगह शोभायात्रा का स्वागत किया गया।
पुरानी चौकी ग्राउण्ड पर हुआ समापन
तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशम आचार्य श्री महाश्रमण के 55 वें जन्मदिवस पर तेरापंथ सभा द्वारा आयोजित समारोह में बोलते हुए मुनिश्री पृथ्वीराज ने कहा आचार्य महाश्रमण का जीवन वीतराग तुल्य है। उनके भीतर मानवता के कल्याणकारी भावनाएं हैं। इसी लक्ष्य को लक्ष्य लेकर सुुदूर प्रान्तों व नेपाल भुटान असम बिहार की धरती पर अपनी पदयात्रा के साथ कर रहे हैं। दीक्षार्थी सचिन-रूपेश के अभिवादना के बारे में अपनी बात को आगे बढाते हुए कहा असंयम से संयम, अज्ञान से ज्ञान व योग की ओर प्रस्थान करने वाले मुमुक्षुओं संसार मार्ग से प्रस्थान कर अपना सर्वस्थ गुरू चरणों मे संर्पण कर सत्य का जीवन जीने का प्रयास करें मुनि श्री चैतन्य कुमार ने कहा जिनके कंठो में सरस्वती विराजमान है जिनके वचनों में सर्वग्य का फरमान है। जिनकी श्रद्दा समर्पण में गुरू का वास है गुरू आज्ञा ही जिनका आत्म धर्म रहा हे वहीं व्यक्ति जीवन में महाश्रमण का पद पा सकता है। मुनिश्री अतुल कुमार ने कहा आर्चाय श्री महाश्रमण एक पुण्यषाली आचार्य हे उन्होने ने अपनी जीवन की असीम शक्ति को अंहिसा यात्रा के साथ मानवता की भलाई में लगा दिया मुमुक्षु सचिन कांसवा अपनी संयम साधना विषय विकारों की चट्टानों को तोडऩे एवं सहिष्णुता समता की चट्टानों को मजबूत दिशा में लगाने का प्रयास करें।
पांडाल हो गया भाव विभोर
दीक्षार्थी भाई सचिन कांसवा नें कहा रागी से वित्तरागी बनने की हमारी भावना सार्थक हो झकनावदा मेरी जन्मभूमि है, जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर होती है, सचिन ने अपने शब्दों को आगे बढ़ाते हुए कहा कि अब में अपनी जन्मभूमि को छोड़ रहा हूं। साथ ही उन्होंने कहा में नतमस्तक हूं, अपने माता-पिता के चरणों में जिन्होंने खुद अनाथ होकर मुझे नाथ के चरणों में सौंप दिया। साथ ही उन्होंने ने अपनी जीवनी का वखान किया व अपने परिवारजनों को धन्यवाद प्रदान किया।
मुमुक्षु का हुआ अभिवादन
मुमुक्षु भाई सचिन कांसवा एवं रूपेश का अभिनन्दन पत्र भेंट कर दीक्षार्थी का नागरिक अभिनन्दन किया गया जिसमें जैन तेरापंथ सभा, महिला मंडल, तेरापंथ युवक परिषद्, कन्या मण्डल, किशोर मण्डल, श्री जैन श्रीसंघ, श्री रा.जैन.नवयुवक तरूण परिषद् एवं महिला परिषद्, क्षत्रिय राठौर समाज, क्षत्रिय सीर्वी समाज, सर्व ब्राम्हण समाज, टेलर समाज,व ग्राम पंचायत झकनावदा के लोग शामिल हुए। अहमदाबाद के डालिम चन्द्र, सूरत से विनोद, इन्दौर से सुरेन्द्र डाकोनिया, दीक्षार्थी सचिन की मातुश्री, मामा नरेन्द्र कोठारी, भाई मनीष कोठारी व बहनों ने अपने-अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन सचिन मुणत पेटलावद ने किया व आभार सभा के मंत्री अजय व्होरा ने माना।