झाबुआ विधानसभा उपचुनाव चुनाव के अजब गजब रंग

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चंद्रभानसिंह भदोरिया @चीफ एडिटर

– भानु के मंच से गायब क्यो थे दावेदार ?

30 तारीख को बीजेपी की नामांकन रैली मे राजवाडा चोक पर जो सभा हुई उसमे एक दिलचस्प तथ्य देखने को मिला वह यह कि मंच पर बीजेपी के लिए टिकट मांग रहे दावेदारों मे से एक भी नही था ना गोविंद अजनार ; ना सुनिता गोविंद ना शांतिलाल बिलवाल ; ना मैगजी ओर ना कल्याण .. जबकि बताते है कि भानु भूरिया सहित चार दावेदार भोपाल मे कहकर आये थे कि भाई साहब हम चारो मे से किसी एक को टिकट दे दो हम जीता लायेगे । इसीलिए तो कहते है राजनीति मे भी हाथी की तरह खाने के दांत अलग ओर दिखाने के अलग ।

 इधर सिंधिया खेमे के मंत्री ओर विधायक प्रचार से किनारे किये गये

गुटबाजी तो कांग्रेस मे भी कम नही है अब देखिऐ झाबुआ विधानसभा उपचुनाव कांग्रेस यह कहकर लड रही है कि हम सब एक है लेकिन सिंधिया खेमे को इस उपचुनाव से दिग्विजय सिंह + कमलनाथ गुट द्वारा अलग रखा गया है ना उमंग सिंगार की ड्यूटी लगाई गयी ना राजवध॔न की ।समझ गये ना क्यो ?

– इधर शिवराज से हुई कांति लाल भूरिया की शिकायत

30 सितंबर को नामांकन के लिए शिवराज अपनी टीम के साथ झाबुआ मे थे हैलीपैड से सभा स्थल के बीच पूर्व कांग्रेस विधायक स्वरुपबाई का घर पडता है अचानक शिवराज का काफिला रुका ओर स्वरुप बाई के घर सभी दिग्गज पहुंच गये ।10 मिनट की इस मुलाकात के दोरान स्वरुप बाई की सचिव पुत्री ने शिवराज से कांतिलाल भूरिया की शिकायत यह कहते हुऐ की कि भूरिया जी उनका अब तक चार बार तबादला करवा चुके है ।

 जबरन रायता फैला गये भार्गव !

नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव झा बुआ आये तो थे बीजेपी के लिए नामांकन रैली मे वोट मांगने लेकिन पाकिस्तान की इंट्री जबरन करवाकर बीजेपी की फजीहत करवा गये .. एफआईआर हो गयी। सो अलग .. खैर, नेताओ को एफआईआर से फर्क नही पड़ता लेकिन फर्क झाबुआ के बीजेपी को पडता है जिन्हे फैला हुआ रायता समेटना पड़ता है ।

– बाहरी नेताओ से किनारा करने के मूड मे दोनो दल

आपको याद होगा 2015 का लोकसभा उपचुनाव , जिसमे मुख्यमंत्री रहे शिवराज ओर उनकी कैबीनेट लग गयी थी लेकिन उपचुनाव कांग्रेस जीती थी। इस बार उलटा है कांगेस की सरकार झाबुआ विधानसभा उपचुनाव मे लग गयी है । दोनो पार्टी के 40/40 स्टार प्रचारकों की सूची जारी हो गयी है इंदोरी भिया लोग खूब घुमने लगे है लेकिन खबर है कि दोनो दलो के नेता अब अपने अपने आलाकमान से यह फरियाद कर रहे है कि ज्यादा बडे चेहरे ना भेजे । यह चुनाव फलियों मे लडा जाना है जहां लोकल नेता ओर लोकल इश्यू महत्वपूर्ण होते है ।

– दशहरे से जमेगा रंग

चुनाव प्रचार के मात्र 20 दिन बचे है ओर इसी बीच नवरात्रि पर्व आ गया । ऐसे मे प्रचार अभियान कमजोर पड गया है ऊपर से बारिश दिक्कत दे रही है सो अलग। इसलिऐ खबर है कि दशहरे पर रावण दहन के साथ ही वास्तविक चुनाव प्रचार शीर्ष पर होगा ओर बडी सभाऐ ओर दिग्गज झाबुआ रहेंगे ।

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