झाबुआ जिले की राजनीतिक हलचल

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@चंद्रभानसिंह भदोरिया @ चीफ एडिटर

कांग्रेस के भूरिया के मुकाबले बीजेपी से कोन ?

लोकसभा चुनाव की तारीखों का एलान 10 मार्च के आसपास होने की संभावना है ऐसे मे कांग्रेस से कांतिलाल भूरिया का नाम तय है लेकिन बडा सवाल बीजेपी का है कि भूरिया के मुकाबले बीजेपी से कोन ? दरअसल इस समय बीजेपी मे मंथन चल रहा है कि जीते हुऐ को दे या हारे हुऐ विधायकों को ? या ना जीते ओर ना हारे विधायकों को यानी के ऐसे नेताओ को जो विधायक थे लेकिन पार्टी ने उनका टिकट काट दिया इसलिऐ वह ना हारे ओर ना जीते विधायक रहे माने जायेगे इस श्रेणी मे रतलाम जिले से संगीता चारेल का नाम है तो झाबुआ से शांतिलाल बिलवाल का नाम है । लेकिन पार्टी मे मौजूद हमारे उच्च स्तरीय सुत्र बता रहे है कि झाबुआ विधायक गुमानसिंह डामोर ओर अलीराजपुर के पूर्व विधायक ओर प्रदेश प्रवक्ता नागरसिंह चोहान के नामों पर पार्टी आलाकमान गंभीरता से विचार कर रहा है ।

क्या जैवियर मैडा को मिलेगा जयस ओर नाराज नेताओ का साथ ?

विधानसभा चुनाव मे झाबुआ सीट पर कांग्रेस की हार का सबब बने कांग्रेस के बागी जैवियर मैडा एक बार फिर लोकसभा मे निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी मे बताऐ जाते है .. इसके लिए जैवियर संसदीय क्षेत्र मे घुमकर सांसद कांतिलाल भूरिया के हर तरह के विरोधीयो की तलाश कर रहे है ताकी उनकी लामबंदी कर सके .. दरअसल जैवियर का उददेश्य चुनाव जीतना नही है बल्कि सांसद भूरिया को हराना है लेकिन बडा सवाल है कि क्या जयस का साथ जैवियर को मिलेगा ? मिलेगा तो क्या पैथाम के जयस ओर डाक्टर अलावा के जयस मे से किसका साथ मिलता है ? बडा सवाल यह भी है कि क्या जैवियर विधानसभा मे अपने साथ रहे सरपंचो को जोड़ पायेंगे क्योकि अधिकांश सरपंच विधानसभा चुनाव के बाद अब सांसद कांतिलाल भूरिया के खेमे मे देखे जा रहे है ।

बीजेपी की कमजोरी ओर लोकसभा चुनाव

लोकसभा चुनाव के पहले झाबुआ जिले के पार्टी कार्यकर्ताओ को सक्रिय करने के पहले बीजेपी सबकुछ करना चाहती है लेकिन कामयाबी थोडी दूर है अब कल की है विजय संकल्प रैली को देखिऐ जिसमे हर बुथ से एक बाइक सवार को बुलाया गया थे जो विधानसभा मुख्यालय पर आकर नगर भ्रमण कर अपने बुथ पर जाने थे लेकिन आलम यह है कि पेटलावद विधानसभा के लिए मात्र 24 बाइक ; थादंला विधानसभा के लिए 65 एंव झाबुआ विधानसभा के लिए 146 बाइक आई थी .. जबकि जिले मे 900 से अधिक बुथ है लेकिन संख्या मे कमी यह सवाल तो खडा करती है कि संभागीय संगठन मंत्री जयपाल सिंह चावडा आखिर कर क्या रहे है ?

सत्ता का अहसास कब ?

मध्यप्रदेश मे सत्ता परिवत॔न हो चुका है सरकार व्यवस्था परिवर्तन मे उच्च स्तर से लगी है मगर मैदानी कांग्रेसियो को 15 साल बाद आई सत्ता का अहसास नही हो रहा है आलम यह है कि छोटे स्तर के तबादलों के लिए उनको संघर्ष करना पड रहा है अब तो दबी जुबान यह कांग्रेसी यह भी बोलने लगे है कि अगर उनका मान नही रखा गया तो लोकसभा मे वह घर पर आराम करेगे !! ओर कुछ दबी जुबान से यह भी कहने लगे है कि बीजेपी के राज मे हमारे काम हो जाते थे मगर अब दिक्कत हो रही है ।

इधर आमने – सामने आये ” प्रभारी मंत्री ओर विधायक !

झाबुआ जिले के एक SDOP को लेकर इन दिनो झाबुआ जिले के प्रभारी मंत्री सुरेंद्र हनी बघेल ओर पेटलावद विधायक वालसिंह मैडा मे तनातनी की खबरें है .. दरअसल पेटलावद एसडीओपी बनाई गयी बबीता बामनिया मूलतः प्रभारी मंत्री के इलाके से आती है इसलिऐ शायद उनका तबादला इच्छानुसार पेटलावद हो गया ओर वहां काम कर रही स्टेलिया सुलिया का तबादला पहले उज्जैन फिर आलोट कर दिया गया .. बिना संज्ञान मे आये हुऐ इस तबादले से विधायक मैडा नाराज हो गये ओर भोपाल जाकर फिर से स्टेलिया सुलिया को पेटलवाद ओर बबीता बामनिया को आलोट तबादला करवा आये .. अब बताते है नाराज हनी बघेल ने एसपी को फिलहाल बबीता बामनिया को रिलीव ना करने को कहा है ..अब देखना है कि इस मामले मे प्रभारी मंत्री ओर विधायक मे से कोन किस पर भारी पड़ता है !

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