जिले में ई-स्टाम्प से वेंडर की हुई चांदी, स्टाम्प 500 का 700 में 1 हजार का 1200 में

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झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट।

मूल कीमत से अधिक में खरीदा स्टाम्प दिखाता सोनी।
मूल कीमत से अधिक में खरीदा स्टाम्प दिखाता सोनी।

स्टाम्प वेंडरों द्वारा स्टाम्प की कालाबाजारी को रोकने के लिए औेर आमजन की लगातार शिकायतों के चलते प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के डिजिटल इंडिया के तहत ई-स्टाम्प सेवा शुरू की गई है। जिससे स्टाम्प जरूरतमंदों को समय पर और बिना कालाबाजारी के मिल सके। लेकिन नगर के ई-स्टाम्प वेंडर अब जमकर स्टाम्प की कालाबाजारी में लगे हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि तहसील मुख्यालय के सामने ही ई-स्टाम्प के वेंडर कालाबाजरी जोरों पर कर रहे हैं यहां तक की लाखों रुपए के स्टाम्प रजिस्ट्री के नाम पर निकल जाते है पर किसी को अनुबंध या और कोई आवश्यक कार्य के लिए स्टाम्प की जरूरत होती है तो यह स्टाम्प वेंडर उनकी चपले घीसा देते है। अगर स्टाम्प दे भी दिया जाए तो 500 के स्टाम्प की जगह 700 रुपए, एक हजार के स्टाम्प की जगह 1300 रुपए आसानी से वसूल लिए जाते हैं। मगर स्टाम्प वेंडरों की इस मनमर्जी पर पता नहींजिम्मेदार अधिकारी क्यों चुप है, यह आसानी से समझा जा सकता है….।
रजिस्ट्री के स्टाम्प निकल रहे, अन्य किसी कार्य के नहीं
देवली निवासी रतन डिंडोर ने बताया कि अनुबंध के कार्य के लिए वह तहसील कार्यालय के सामने एक ई-रजिस्ट्री की दुकान पर गया। घंटों तक बैठने के बाद भी 500 रुपए का स्टाम्प लिंक नहीं होने का कहकर भगा दिया, जबकि इसी दौरान स्टाम्प वेंडर के यहां लाखों रुपए के स्टाम्प रजिस्ट्री के निकले गए। यहां स्टाम्प नहीं मिलने पर वह दूसरी ई-स्टाम्प की दुकान पर पहुंचा यहा भी बहुत देर तक उसे बैठाया गया। आखिर में जाकर उसे 500 रुपए के स्टाम्प के एवज में 700 रुपए ले लिए। घंटो तक स्टाम्प के लिए भटकने के बाद भी उसे परेशान होकर 500 रुपए के स्टाम्प के 700 रुपए चूकाने पड़े। इसी तरह की पीड़ा पेटलावद निवासी निलेश सोनी ने भी सुनाई। सोनी को एक हजार रुपए के स्टाम्प की जरूरत अनुबंध करवाने के लिए थी। स्टाम्प के लिए वह तहसील कार्यालय के सामने ई-स्टाम्प लेने के लिए पहुंचा, यहां उसे पहले लिंक नहींहोने का कहकर जाने का कहा गया। वह नहीं माना तो उसे एक हजार रुपए के स्टाम्प के 1200 रुपए आसानी से वसूल लिए। मजबूर और परेशान होकर सोनी ने दूसरे ई-स्टाम्प वाले के यहां से एक हजार रुपए स्टाम्प 1200 रुपए में खरीदा। ऐसे ओर भी कई परेशान लोग है जो स्टाम्प वेंडरों के आतंक से परेशान है। सब कुछ जिम्मेदार अधिकारियों के सामने हो रहा है लेकिन अधिकारी हैं कि इस तरह ई-स्टाम्प के नाम पर की जा रही अवैध वसूली को रोक ही नहींपा रहे हैं।
स्टाम्प वेंडरों की दलाली रजिस्ट्री ऑफिस तक
नगर में रजिस्ट्रियों का ऐसा खेल जिम्मेदार अधिकारी और स्टाम्प वेंडरो ने मिलकर खेला है कि जिसमें अधिकारी औेर स्टाम्प वेंडर दोनों की मोटी कमाई हो जाती है। दलाल से सेटिंग कर स्टाम्प वेंडर अनिभिज्ञ लोगों से स्टाम्प के मोटे दाम वसूल रहे हैं, इसमें अधिकारी भी इनका साथ देते है। स्टाम्प वेंडरों की दलाली का कार्य आसानी से रजिस्ट्री ऑफिस में देखा जाता है। जहां यहां घंटें तक मंडराते रहते हैं। कभी-कभी तो आधी रात को भी रजिस्ट्री का कार्य किया जाता है। लेकिन आमजन को यह जरूरत के लिऐ स्टाम्प मुहैया नहीं करवाते है।