जिम्मेदार विभाग के अधिकारियों की उदासीनता से अवैध ईंट भट्ठे संचालक बेखौफ नदियां-पर्यावरण कर रहे प्रदूषित

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भूपेंद्र बरमंडलिया, मेघनगर
झाबुआ जिले के मेघनगर सहित ग्रामीण क्षेत्र में मानक विहीन ईंट भट्ठे चल रहे हैं। इन लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने से अवैध ईंट भट्ठों की संख्या में लगातार इजाफा ह रहा है। क्षेत्र में मानकों की धज्जियां उड़ा रहे अनगिनत ईट भट्ठे चल रहे हैं। इन लोगों के खिलाफ कार्रवाई ना होने से अवैध ईंट भट्ठों की संख्या बढ़ती जा रही है। इससे पर्यावरण तो प्रदूषित हो ही रहा है। साथ ही राजस्व को भी होने वाली आय का भी नुकसान हो रहा है। किसी अन्य विभाग की तो बात छोडि़ए खनिज विभाग ने भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। इससे ईंट भट्ठा संचालकों के हौसले इतने बुलंद हो गए हैं ये लोग बड़े पैमाने पर ईंट का निर्माण कर शासकीय व निजी जमीन के खनन करने में लगे हुए हैं। ग्रामीण स्थानों पर ऐसे ईंटभट्ठे संचालित किए जा रहे हैं जिनका मानक से दूर-.दूर तक कोई वास्ता नहीं है। इसके बाद भी कार्रवाई नहीं हो रही है। आबादी, वनक्षेत्र निस्तार स्थल, पाठशाला, सडक़, शासकीय भवन से तय दूरी पर ईंट भट्ठे संचालित करना है। मगर यहा नियमो को ताक मे रखकर यह कार्य किया जा रहा है । खनिज विभाग के अधिकारियों द्वारा कार्रवाई न करना शासकीय आर्थिक क्षति को दर्शाता है। वायु को प्रदूषित करने और जमीन की उर्वरा शक्ति को कम करने में ईंट भट्ठे महती भूमिका निभा रहे हैं। भ_ा प्रदूषण न फैलाए, इसके लिए इनके संचालन का नियम काफी सख्त रखा गया है।

ईंट-भट्ठे चलाने के नियम-
आबादी से 200 मीटर दूर होना चाहिए भट्ठे, मिट्टी खनन के लिए खनन विभाग की अनुमति जरूरी, लोहे के बजाय सीमेंट की होनी चाहिए चिमनी, पर्यावरण लाइसेंस व प्रदूषण विभाग से एन ओ सी जारी होनी चाहिए। ईंट भट्ठे चलाने के लिए जिला पंचायतए प्रदूषण विभाग और पर्यावरण विभाग की अनुमति लेना जरूरी तय है प्रदूषण का मानक एक ईंट भट्ठे से सामान्यत: 750 एसएमपी तक प्रदूषण होता है।

कहा हो रहा है नियमो का पालन-
बात अगर नियमो की करे तो नगर मे नियमो की खुलेआम अवहेलना की जा रही है इस बारे में अनुविभागीय अधिकारी प्रीति संघवी द्वारा इस मामले को दिखवाने की बात तो कही है। मगर अब इन पर क्या कार्यवाही होती है यह तो वक्त बताएगा?
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