किसान कर रहे उन्नतीशील खेती- शॉपिंग माल में बिकने वाली स्ट्राबेरी बिक रही ठेलों पर
झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
झाबुआ-अलीराजपुर जिला कृषि प्रधान क्षेत्र होकर इस क्षेत्र के रहवासियों का मुख्य व्यवसाय कृषि है ओर आबादी की करीब 70 प्रतिशत की जनसंख्या खेती एवं मजदूरी करती है। आजादी के बाद इस क्षेत्र के किसानों के द्वारा परम्परागत कृषि करते हुए मक्का-कपास की फसल बोई जाती थी किन्तु पिछले 20 वर्षो में किसानों के द्वारा तरकी करते हुए गेहूं, चना, तिलहन, दाल सब्जीयां व टमाटर ओर हरी मीर्ची की खेती की जाने लगी। पेटलावद क्षेत्र का टमाटर तो पाकिस्तान तक निर्यात होता है। लेकिन 2014-15 के बाद अब इस क्षेत्र का किसान उन्नतीशील एवं व्यवसायिक खेती की ओर बड़ रहा है। जिसका सीधा प्रमाण यह है कि इस क्षेत्र के किसानों के द्वारा कश्मीर क्षेत्र में उत्पादीत होने वाली स्ट्राबेरी की फसल बोकर बाजार में बेची जा रही है।
स्ट्रॉबेरी बिकी
सोमवार को नगर के कृषक रामचन्द्र परमार के द्वारा जब अपने ठेले पर सब्जी के साथ स्ट्राबेरी को बेचना प्रारंभ किया तो देखते ही देखते इस किसान के ठेले के आसपास सैकड़ों लोगों का हुजूम स्ट्राबेरी जेसे फल को देखने के लिये उमड़ पड़ा। देखते ही देखते 90 से 100 रुपए किलो के भाव पर ठेले में रखी हुई स्ट्राबेरी हाथोहाथ बिक गई।
अनुकूल जलवायु
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार स्ट्रबेरी की फसल के लिए जलवायु का शीतल ओर ठंडा होना आवश्यक है ओर इसी लिए विशेष रूप से इसका उत्पादन कश्मीर जैसे ठंडे क्षेत्रों में होता है। किन्तु झाबुआ जिले में पेटलावद के आसपास एवं सारंगी तथा तीतरी क्षेत्र में किसानों के द्वारा विशेष व्यवस्था एवं तकनिको के साथ स्ट्राबेरी फल का उत्पादन किया जा रहा है। जिसका सीधा अर्थ यह है कि इस फल के उत्पादन के लिए जलवायु को अनुकूल बनाया जा रहा है ओर इस क्षेत्र की जलवायु इसके लिए उपयोगी साबित हो रही है।
स्टेंडर्ड का प्रतीक
बड़े-बड़े उद्योग घरानों के द्वारा खोले गए बड़े-बड़े शॉपिंग माल में वीआयपी ग्राहकों को विशेष पैकिंग के साथ छोटे से पैक पर 200 से 500 रुपए तक में बिकने वाली स्ट्राबेरी का स्वाद लेना सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार के व्यक्ति के लिए दिवास्वपन किन्तु हमेशा निराला झाबुआ के रूप में अंतराष्ट्रीय पहचान बना चुके झाबुआ जिले के किसानों की मेहनत ओर लगन से शॉपिंग माल में बिकने वाली स्ट्राबेरी आज ठेलो पर बिक रही है।
सरकार से दरकार
विदेशो में निर्यात होने वाली स्ट्रबेरी फल जो कि औषधी का भी काम करती है का उत्पादन करने वाले इस क्षेत्र के गरीब किसानों को यदि शासन की ओर से आर्थिक सहायता एवं उन्नत तकनिक व संसाधन मुहाया करवाया जाये तो निश्चित तोर पर स्ट्राबेरी के फल की खेती लाभ का धंधा बन सकता है ओर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ओर प्रधानमंत्री का खेती को लाभ का धंधा बनाने का सपना साकार हो सकता है।