आत्मा का परमात्मा से मिलन कराने का मार्ग है भागवत : जैमिन शुक्ल

May

झाबुआ लाइव के लिए थांदला से रितेश गुप्ता की रिपोर्ट-
मनुष्य संसार रूपी सागर मे डूबा हुआ है जहां पर नाव का काम करता है भागवत, जिसके श्रवण से मनुष्य को स्व साक्षात्कार व स्वका ज्ञान कराते है भागवत। द्वितीय दिवस के कथा क्रम में सृष्टि की उत्पत्ति की कथाए ब्रह्माजी द्वारा सृष्टि की रचना, सनत्कुमार की उत्पत्ति, नारदजी की उत्पत्ति, सरस्वती की उत्पत्ति, अश्वत्थामा द्वरा अर्जुन के पुत्रों की हत्या, अश्वत्थामा का मानमर्दन, गर्भमे परीक्षितका रक्षण, कृष्ण का द्वरका गमन, द्वारका में उनका राजा योग्य स्वागत, परीक्षित का जन्म, सद्यमुक्ति, क्रममुक्ति, ध्यानविधि का वर्णन, मनु के पुत्रों का वंश, धु्रव की कथा, ध्रुव के पुत्र वत्सर एवं उत्कल की कथा, अंग चरित्र, वेन राजा की कथा, पृथु राजा की कथाए प्राचीनबर्हि की कथाए दक्ष और शिवजी के बीच वैमनस्य सती का अग्नि प्रवेश, दक्ष के यज्ञ का विध्वंस, और यज्ञ की पूर्ति, प्रचेता की कथा सुनाई गई।
मनुजी के पुत्र प्रियव्रत का चरित्र- प्रियव्रत के वंश का वर्णन
भक्त प्रहलाद की कथाए नृसिंह अवतार, ऋषभदेव की कथा, भरतजी की कथा, उनका मृगयोनी में जन्म, आंगिरस गोत्र में जन्म एवं मुक्ति, रहूगण राजा को भवाटी का उपदेश, अजामिल उपाख्यान, विश्वरूप एवं वृत्रासूर की कथाए गजेन्द्र मोक्ष की कथा, समूद्र मंथन की कथा, कुर्म अवतार की कथा, मोहिनी अवतार की कथा, बली राजा की कथा, वामन जन्म आदी कथा का रसपान कराया गया। अनेक संत गणए ओर भक्तों ने कथा श्रवन का लाभ लिया। इसके बाद बावड़ी मंदिर के संत पुज्य गोपालदास महाराज, चिंतामणी महाराज, चैनपुरी आश्रम के संत रामदासज महाराज, चेनपुरी के सरपंच मुन्नाभाई मेडा, झीतराभाई मेड़ा आदि भक्त उपस्थित थे भक्त मंडल ने कथा विराम के बाद भंडारे में प्रसादी का लाभ लिया।