रत्न तो लाखों कमा लिए, लेकिन धर्मरत्न नहीं मिला- राजेश मसा

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झाबुआ लाइव के लिए बामनिया से लोकेंद्र चाणोदिया की रिपोर्ट-
इंसान को संसार मे रत्न तो लाखो मिले लेकिन धर्मरत्न नही मिला, घर तो लाखो मिले लेकिन सुख चैन नही मिला। अगर इंसान धर्मरत्न की प्राप्ति कर ले तो उसका जीवन सुखी हो सकता है। संसार में हमने घर हर स्थान पर बनाये लेकिन फिर भी हमे सुख शांति नही मिली, किधर मंजिल है, किधर तलाश है। सुख की तलाश में भी दुख हमारे पास आता जा रहा है। हमने कल्पना के कई महल बनाये, कल्पना साकार नही होती है तो वह दुख का कारण बन जाती है। यही कारण है कि हम सुख की तलाश में दुखी होते जा रहे है। हमें हमारी सोच छोटी नही रखना है। सोच छोटी रहेगी तो हम दुखी रहेंगे। जिस प्रकार हम भिखारी को दिए हुए पैसो का हिसाब नहीं रखते तो हम छोटे मोटे विवादित प्रसंगों को क्यो याद रखते है। आपकी सोच बड़ी रहेगी तो आप सुखी रहेंगे। श्रीराम भगवान का वनवास का दृष्टांत बताते हुए कहा कि श्रीराम से माता कैकई माफि मांगने आयी की बेटा मुझे माफ कर देना, तब श्रीराम ने कहा कि माता मुझे उस वनवास में भी 8 अनुभव मिले है जो कि शायद मैं राजा बनकर नहीं जान सकता था। पहला पिता का विश्वास, दूसरा लक्ष्मण का प्यार, तीसरा सीता का साथ, चौथा हनुमान की भक्ति, पांचवा दुश्मन के घर मित्र, छठा अपनी शक्ति का परीक्षण, सातवा दुश्मन का कभी कमजोर न समझना, आंठवा भरत के त्याग की अनाश्क्ति देखी कि भरत ने मेरे 14 वर्षो के वनवास के बाद भी इतना बड़ा राज्य मेरे आते ही त्याग दिया। महापुरूष ऐसे होते है जो दुख को दुख नहीं समझते उसमें भी सुख का अनुभव करते है। इसी प्रकार अगर आपकी सोच अच्छि रही तो आपका मनुष्य भव तर जाएगा। उक्त प्रवचन महावीर भवन में धर्मसभा को संबोधित करते हुए राजेश मसा ने दिए। धर्मसभा को भारजी मसा ने संबोधित करते हुए कहा कि कांटो में रहकर भी फूल सुखी है और महलो में रहकर भी इंसान दुखी है। हम सुखी रहना चाहते है तो हर परिस्थिति में रहो मस्त तो जीवन बन जाएगा प्रशस्त। आप विपरीत परिस्थितियां आने पर समझौता करोगे तो सुखी रहोगे, परिस्थिति का सामना न करो। हमे भी फूलो की तरह कांटो के बीच खुश रहना चाहिए। बामनिया में वर्तमान में शिरोमणी महाराज, प्रमिता महाराज, श्वेता महाराज, हर्षिता महाराज आदि ठाणा छह विराजित हैं।