‘आंचल कक्ष’ के नाम पर सिर्फ दीवारों पर लिखवाकर की महिला बाल विकास विभाग ने इतिश्री

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-वार्ड नंबर 6 में एक निजी घर पर लिखवाया आंचल कक्ष
-वार्ड नंबर 6 में एक निजी घर पर लिखवाया आंचल कक्ष

अलीराजपुर लाइव के लिए नानपुर से जितेंद्र वाणी (राज) की रिपोर्ट-
बच्चों को दूध पिलाने वाली माताओं को शर्मिंदगी न हो इसके लिए आंगनवाड़ी के पास तथा अन्य सार्वजनिक जगहों पर आंचल कक्ष बनाए जाने का प्रावधान है, लेकिन प्रदेश सरकार की इस महत्ती योजना का जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन कैसे हो रहा है इसकी बानगी देखनी हो तो नानपुर चले आइए। यहां पर महिला बाल विकास विभाग द्वारा आंचल कक्ष के नाम पर सिर्फ दीवारों पर लिखवा दिया गया है न तो आंचल कक्ष के लिए नानपुर व आसपास के क्षेत्रों में आंचल कक्ष है और न ही कोई इसकी वैकल्पिक व्यवस्था। नानपुर जिले की सबसे बड़ी पंचायत है, आंचल कक्ष के नाम पर यह महिला बाल विकास विभाग की ओर से दीवारों पर स्याही से सिर्फ लिखवा दिया कि ‘आंचल कक्ष’। वहीं वार्ड क्रमांक 6 में तो एक निजी मकान के आगे बकायदा आंचल कक्ष लिखवा दिया है, लेकिन अलीराजपुर लाइव ने जब इसकी पड़ताल की गई तो पता चला कि यह एक निजी घर है जो किराये पर है, न की आंचल कक्ष। गौरतलब है कि प्रदेश शासन की महत्वाकांक्षी आंचल योजना में जगह-जगह कक्ष बनाए जा रहे हैं जिसका मकसद यह है कि बच्चों को दूध पिलाने वाली माताओं को शर्मिंदगी न हो इसके लिए आंचल कक्ष बनाए जाए, इसके लिए करोड़ों रुपए राज्य सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च भी किए हैं। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान महिलाओं के सम्मान के लिए योजनाएं चला रहे हैं लेकिन नानपुर में यह कक्ष धरातल पर नहीं उतरे हैं और सिर्फ दीवारों पर आंचल कक्ष लिखवाकर महिला बाल विकास विभाग ने अपने कार्य की इतिश्री कर ली। इस संबंध में कांग्रेस नेता सिराजुद्दीन पठान का कहना है कि प्रदेश सरकार की योजनाओं की जमीनी हकीकत यही है सिर्फ योजनाएं कागजों पर चल रही है, कांग्रेस ने कई बार इस ओर ध्यान आकर्षित करवाया लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने अभी तक कोई सुध नहीं ली है।
जिम्मेदार बोल-
इसमें आगे से कोई फंड नहीं आया है मैंने खुद इस योजना के लिए दीवारों पर लिखवाया है। आंचल कक्ष के लिए चयनित जगह ढूंढी जा रही है। आंचल कक्ष के लिए जगह मिलने व फंड आने पर निर्माण कार्य करवा दिया जाएगा।
– ज्योति पांड्या, आंगनवाड़ी सेक्टर प्रभारी, महिला बाल विकास विभाग