सिमटा जा रहा है सोशल डिस्टेंसिंग का दायरा, कहीं डेंजर झोन में न पहुंचा दे जिले को यह लापरवाही

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मयंक विश्वकर्मा,आम्बुआ

आम्बुआ (अलीराजपुर) “राम नाम की लूट है लूट सको तो लूट” के जुमले की तर्ज पर इन दिनों बैंकिंग सेवा के कार्य में लगे कियोस्क सेंटरों पर भीड़ जुट रही है। कोई खाता खुलवा रहा है ताकि शासन द्वारा भेजी जाने वाली राशि उनके खाते में भी आ जाए तो कुछ इस लिए आ रहे हैं कि उनके खातों में रकम आई या नहीं आई तो कितनी आई जिसे तत्काल निकाला लिया जाए वरना वापस न चली जाए सेंटर संचालक अपनी ओर से सावधानी बरत रहे हैं ।मगर यह कोरोना है अच्छे-अच्छे की सावधानियां धरी की धरी रह गई और कई चिकित्सक स्वास्थ्य कर्मी तथा सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए आम्बुआ में बढ़ रही भीड़ कई आम्बुआ को झाबुआ का हुडामोहल्ला न बना दे।

हमारे संवाददाता के अनुसार शासन की नित नई हो रही घोषणाएं जिसमें मजदूर छोटे व्यवसाय कृषको आदि के खातों में डाली जा रही नगद धनराशि के लिए प्रवासी मजदूर आदि सुबह होते ही बैंकों का कार्य कर रहे कियोस्क सेंटरों पर जुटना प्रारंभ हो जाते हैं खाते बंद तो नहीं है, पैसे कितने आए, जिनके खाते बंद हो गए हैं ।वे नए खाते खुलवाने के लिए कतार में लग रहे हैं सुबह से ही इन सेंटरों पर भीड़ जुटने लगी है ।क्योंकि लॉक डाउन में छूट दी गई है इस कारण सुरक्षा तंत्र भी सुस्त है इस भीड़ को कियोस्क संचालकों को ही नियंत्रण करना है इसके लिए वह क्या कर रहे हैं पूछने पर बैंक ऑफ बड़ौदा की कियोस्क संचालक मंजुला जयसवाल बताती है कि वे 50-60 लोगों की एक लिस्ट बना लेती है तथा उन्हें दूर दूर बैठने को कहते हैं इसके बाद क्रमानुसार आवाज देकर एक एक को बुलाया जाता है सेंटर के बाहर हाथ धोने हेतु साबुन पानी तथा सैनिटाइजर की व्यवस्था है ।मास्क लगाना अनिवार्य है इसके बाद एक निश्चित दूरी तथा अन्य सावधानी के साथ खाता खोलना पूर्व में जमा राशि निकालना पैसा खाते में आया या नहीं आदि की जानकारी ग्राहक को दी जाती है अंगूठा हस्ताक्षर के बाद सैनिटाइजर का छिड़काव किया जाता है।

एक अन्य किओस्क सेंटर जो कि स्थानीय बैंक मध्य प्रदेश ग्रामीण बैंक का है के संचालक विजय सिसोदिया ने बताया कि वह भी सीमित संख्या में आधार कार्ड बैंक पासबुक जमा करा लेते हैं तथा माइक पर नाम पुकार कर एक एक ग्राहक को बुलाते हैं यहां पर भी सैनिटाइजर आदि की व्यवस्था है । इतनी व्यवस्था के बावजूद आसपास एकत्र होने वाली भीड़ जोकि गलियों तथा घरों के चबूतरे पर एक साथ झुंड के रूप में बैठी रहती है तथा इनमें अधिकांश प्रवासी मजदूर है जो गुजरात राजस्थान इंदौर धार आदि स्थानों से आए हैं । हालांकि इनकी थर्मल स्कैनिंग हो चुकी है मगर इससे बीमारी का तत्काल पता नहीं चलता है और यदि कोई संक्रमित हुआ तो कहीं भविष्य में आम्बुआ झाबुआ का हुडामोहल्ला ना जाए बन जाए इसका ध्यान प्रशासन को भी रखना जरूरी माना जा सकता है ताकि भविष्य पुनः पूर्ण लोक डाउन या कर्फ्यू की नौबत ना आए।

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