भगवान भाव के भूखे हैं, सच्चा प्रेम हो तो भगवान मिलते हैं : विदुषि ऋतु पांडेय

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झाबुआ लाइव के लिए मेघनगर से भूपेंद्र बरमंडलिया की रिपोर्ट-
मेघनगर विकासखंड के ग्राम रंभापुर में राम मंदिर रंभापुर के जीर्णोद्धार प्रतिष्ठा महोत्सव के अवसर पर 6 दिवस की राम कथा आयोजन स्थान खेल मैदान पर हनुमान मंदिर के प्रांगण में भागवत की राम कथा की कर्म ज्ञान विदुषी परम ऋतु पांडेय के मुखारबिंद से हजारों श्रद्धालु कथा का श्रवण कर रहे हैं। कथा के प्रथम दिन परमपूज्य विदुषी ऋतु पांडेय ने रामकथा का महत्व बताते हुए कहा की सारे शास्त्रों का निचोड़  राम कथा है। यह परिवारिक चरित्रों और मर्यादा का दस्तावेज है यदि संयम, अनुशासन और वर्तमान को जानना हो तो प्रत्येक मनुष्य को राम कथा का श्रवण करना चाहिए व उसका अनुसरण करना चाहिए। यदि राम को पाना है तो चरित्रवान बनना होगा। उन्होंने कहा कि भागीरथजी गंगा धरती पर लाये थे किन्तु उसमें स्नान करने से हजारों लाखों के पाप धूल जाते हैं तथा उनका पुण्य भी भागीरथ जी जेसा हो जाता है। उसी तरह कथा का आयोजन करने वाले आयोजक धन्यवाद के पात्र होते हैं कि इनके प्रयासों से हजारों लोगों दूरदराज से आकर अपना समय इस कथा को सुनने में बिता रहे है अत आयोजक भी कोटिश पुण्य के भागीदार बनते है। उन्होंने कहा की भगवान भाव के भूखे है अगर प्रेम सच्चा हो तो भगवान मिलते है। आपने कहा कि भगवान भाव के भूखे हैं आप आपने कहा कि सच्चा प्रेम हो तो भगवान मिलते हैं भाई को जानना हो तो पत्नी के चरित्र को जाना हो हो या पिता की भक्ति व आदेश को तो उसका निराकरण राम कथा है। मेरी लगन हरी से जोड़े रितुजी ने कई मार्मिक प्रसंग सूक्तियों व शायरी सहित बीच-बीच में संगीतमय भजनों से भी श्रावकों को जोड़े रखता है। आपके द्वारा प्रस्तुत भजन मेरी लगन हरि से जोड़े ऐसा संत कहा मिले पर भक्त भाव विभोर हो गए और भक्ति रस में नृत्य करने लगे कभी आगन नही बुहारा केसे आयेगे भगवान जेसे प्रिय भजनों से सारा पंडाल राममय हो गया। 15 फरवरी को रात्रि में 8 बजे सुप्रसिद्ध भजन गायक द्वारका मंत्री सुमधुर भजनों की प्रस्तुती देंगे। साथ ही आयोजक मंडल ने इस कथा महोत्सव में ज्यादा से ज्यादा श्रद्धालुओं से आने की अपील की।कथा स्थल पर नवलसिंह नायक, प्रहलाद नायक, कमलेश दतलाए डॉक्टर बसन्त सिंह खतेडिया, बाबूसिंह खतेडिया, शयम ताहेड, मंगल सिंह नायक, बहादुर सिंह हाड़ा, रामसिंह मेरावत, रमेश मेरावत, बाबू गणावा, राजेन्द्र पड़वाल, गोमत सिंह हाड़ा, उदेसिंग बामन, बाबूलाल झाड़, अर्जुन झाड़ आदि मौजूद थे।