प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में छह माह से नहीं है विशेषज्ञ डॉक्टर, मरीज परेशान

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अलीराजपुर लाइव के लिए नानपुर से जितेंद्र वाणी (राज) की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट-
नानपुर में छह माह से अधिक का समय बीत चुका और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में अभी तक एक भी डॉक्टर नहीं है जिससे अलीराजपुर जिले की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत नानपुर में डॉक्टर व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर के अभाव में मरीजों को परेशान होते देखा जा सकता है। इसके लिए नानपुर क्षेत्र के सैकड़ों मरीज प्रतिदिन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचते हैं और स्वास्थ्य केंद्र प्रतिदिन की भांति खुलता है और वे इलाज के लिए डॉक्टर का इंतजार करते स्वास्थ्य केंद्र के बाहर व अंदर बैठे देखे जा सकते हैं। ग्रामीण मरीजों के इलाज के लिए एक आयुष डॉक्टर है लेकिन विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं होने से ग्रामीण का सही ढंग से इलाज नहीं हो पाता और वे बंगाली, झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज कर अपना वक्त व धन बर्बाद करते देखे जा सकते है। इसी के साथ विंडबना यह है कि झोलाछाप-बंगाली डॉक्टर ग्रामीण मरीजों का जमकर आर्थिक शोषण करते है लेकिन स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार आला अधिकारी ने इन पर कार्रवाई करना उचित नहीं समझा। विंडबना यह है कि नानपुर से खंडवा-बड़ौदा हाइवे गुजरता है जहां पर प्रतिदिन दुर्घटनाएं घटित होती है लेकिन डॉक्टर के अभाव में दुर्घटना का शिकार व्यक्ति तड़पता रहता है और उसकी जिंदगी होती है अलीराजपुर जिला चिकित्सालय पहुंच जाता है नहीं तो दुर्घटना का शिकार व्यक्ति की जान चली जाती है। क्षेत्र के नागरिकों ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में विशेषज्ञ डॉक्टर की मांग को लेकर कलेक्टर गणेश शंकर मिश्रा को एक आवेदन सौंपा। जागरुक नानपुर वासियों ने मांग पूरी नहीं होने पर नानपुर बंद व चक्काजाम करने की चेतावनी प्रशासन को दी है। इस दौरान मीसाबंदी ओमप्रकाश नागर व कांग्रेसी नेता सिराज पठान ने बताया कि नानपुर अंचल के सैकड़ों लोगों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज नहीं मिल पाने के कारण गुजरात व मध्यप्रदेश के शहरो में इलाज के लिए जाना पड़ता है जिससे धन व समय दोनों की बर्बादी हो रही है और मानव स्वास्थ्य से जुड़े इस अहम मुद्दे पर जिला के आला अधिकारी गंभीर नहीं है। ग्रामीण महिलाएं अपने छोटे-छोटे बच्चों को इलाज करवाने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचती है लेकिन डॉक्टर नहीं होने पर फर्जी चिकित्सकों से इलाज करवा कर अपने गांव लौट जाती है, और पर्याप्त इलाज नहीं मिलने से बच्चों की बीमारी ठीक नहीं होने से ग्रामीण महिलाएं सबसे ज्यादा परेशान हो रही है।