क्या बीजेपी अगला चुनाव ” शिवराजसिंह ” को चेहरा बनाकर लड़ेगी ? सिंधिया बनेंगे कांग्रेस का चेहरा

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झाबुआ लाइव डेसक

 ( यह लेख पत्रकार चंद्रभानसिंह भदौरिया का निजी लेख है उनके फैसबुक वाल से साभार लिया गया है ) download

नंवबर 2018 मे प्रदेश विधानसभा के चुनाव होने है ओर बडा सवाल यह है कि क्या बीजेपी वर्तमान ” मुख्यमंत्री शिवराजसिंह ” को एक बार फिर अपना चेहरा बनाकर मैदान मे आयेगी या कोई ओर चेहरा सामने आयेगा ? कांग्रेस का चेहरा कोन होगा ? इन सभी सवालो के  जवाब आपको मेरी  इस पड़ताल मे मिलेंगे ।

शिवराजसिंह मजबूरी है क्या बीजेपी के लिऐ ?

बडा सवाल  बीजेपी के  लिऐ यही है कि आखिर किस चेहरे के साथ वह अगले विधानसभा चुनाव मे जाये । शिवराज का तिलिस्म कडवी सच्चाई यह है कि अब कमजोर हो चला है डंपर तो ठीक है व्यापमं का भूत शिवराज का पीछा छोडता नजर नही आता । साथ ही साथ उनके भाषणों को एक दशक से एक जैसा सुनकर लोग भी अब बोर होने लगे है आलम यह है कि सरकारी योजनाए कागजों मे अच्छी है मगर जमीन पर लोगो को उतना लाभ नही मिलता जैसे किस शिवराज दावे करते  है  अटल ज्योति ठीकठाक  योजना है तो गरीब ओर मिडिल क्लास के लोग भारी भरकम बिलो से परेशान है ऐसा लगता है कि मध्यप्रदेश मे अगला बडा घोटाला या चुनावी मुद्दा बिजली के बिल ही  बनेंगे । मगर बीजेपी की दिक्कत यह है कि तमाम बातो के बाद भी उसके पास शिवराज जैसा चेहरा नही है हालांकि बीजेपी के पास अभी समय है वह चाहे तो कैलास विजयवर्गीय या नरेंद्र सिंह तोमर को मैदान मे उतार सकती है लेकिन दिक्कत यही है कि आखिर कब ऐसा होगा ? अगर नये चेहरे के साथ बीजेपी को अगले चुनाव मे जाना हो तो कम से कम उस नये चेहरे को 8 से 10 महीने  सीएम के रुप मे काम करने काम मोका देना ही होगा जैसा कि 2008 के चुनाव मे जाने के पहले शिवराज को दिया गया था । कैलास विजयवर्गीय को जिस तरह से अमित शाह प्रमोट कर रहे है ओर प्रदेश संगठन मंत्री को गुजरात से लाया जा रहा है उससे लगता है कैलास को लेकर कोई ना कोई ब्लू प्रिंट जरुर अमित शाह के मन मे है लेकिन एक सवाल यह भी है कि शिवराजसिंह के चाहने पर नंदकुमार चौहान को फिर से प्रदेश बीजेपी का अध्यक्ष बनाना यह भी दर्शाता है कि बीजेपी आलाकमान अभी शिवराजसिंह को समय देने के मूड मे है लेकिन इतना भी तय है कि अगर पश्चिम बंगाल ओर यूपी अगर बीजेपी नही जीत पाई तो अपने गढ एमपी को बचाने के लिए कोई ना कोई उठापटक जरुर करेगी ।

कांग्रेस मे सिंधिया होंगे चेहरा

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एक बडा सवाल कांग्रेस को लेकर भी है वह यह कि कांग्रेस का चेहरा अगले विधानसभा चुनाव मे क्या होगा ? क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया एमपी मे कांग्रेस कां बेडा पार लगा सकते है या अरुण यादव पिछड़े वग॔  के नेता के रुप मे सामने होगा ? अनुमान यह है कि सिंधिया के चेहरे को सामने रखकर कांग्रेस मैदान मे उतरेगी लेकिन सत्ता आने पर सीएम सिंधिया नही बल्कि कांतिलाल भूरिया या अरुण यादव को बनाया जायेगा क्योकि 10 जनपथ कभी नही चाहेगा कि किसी का राजनीतिक आभामंडल ” राहुल गांधी” से ज्यादा  दिखाई दे । सिंधिया के साथ एक बडी दिक्कत यह है कि उनके समर्थक उनकी महाराजा / श्रीमंत आदि छवियों से उनका आभामंडल प्रदर्शित करते है ओर बीजेपी इसी को भुनाती है कि आपको राजे महाराजे चाहिऐ या किसान – पिछड़ा ? इसलिए सिंधिया को चाहिऐ कि वे पहले सिंधिया फैंस क्लब के जिम्मेदारों को महाराजा /श्रीमंत  का इस्तेमाल से बचने की सलाह दे तब जाकर उद्धार होगा । कांग्रेस के लिऐ मजबूत पक्ष यह है कि कांतिलाल भूरिया के रुप मे उनके पास कद्दावर आदिवासी नेता मौजूद है ओर 47 आदिवासी बहुल सीटो पर प्रभाव डाल सकते है जबकि बीजेपी के पास आदिवासी नेता नही है फगगनसिंह को खुद बीजेपी ने कमजोर किया हुआ है ।