कोरोना के खिलाफ जंग, पुलिस-प्रशासन का मानवीय चेहरा: लॉकडाउन के दौरान मजदूरों को रोका, स्क्रिनिंग के बाद खाना खिलाया

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विजय मालवी, खट्टाली

बेहतर जिंदगी की आस लिए अपने गांव-घरों से निकले प्रवासी मजदूर मीलों दूर देश के विभिन्न हिस्सों में छोटे-बड़े रोजगार धंधों में लगे हुए थे। लेकिन कोरोना महामारी फैलने के कारण अब वे लॉकडाउन में जहां-तहां फंस गए हैं। पहले तीन हफ्ते के लॉकडान की अवधि को किसी तरह निकालने के बाद वह हर हाल में अपने-अपने घर लौटना चाहते थे। अब दो और हफ्ते के लॉकडाउन ने उनकी बेचैनी बढ़ा दी है और इस छटपटाहट में वह देश के कई शहरों में फसे हैं। इस बीच उनका रोजगार तो बंद हो ही गया, जो थोड़े पैसे बचे थे वह भी खत्म हो गए हैं।

वही अलीराजपुर जिले के बड़ी खट्टाली पुलिस का मानवीय चेहरा सामने आया है। दो युवक सूरत की कम्पनी में काम कर रहे थे वे अपने घर के लिए सूरत से पैदल ही निकल गए। आज वे 350 किलोमीटर का पैदल सफर कर जब ग्राम बड़ी खट्टाली पहुचे तो यहां के खट्टाली पुलिस चौकी प्रभारी कुलदीप सिंह राठौर व उप निरीक्षक सोबरन सिंह पाल ने उक्त युवकों को रोककर व पूछताछ कर उन्हें प्राथमिक स्वास्थ केंद्र में स्क्रीनिंग करवाई गयी जिसके बाद खट्टाली पुलिस प्रशासन द्वारा उन्हें चौकी पर ले जाकर उन्हें भोजन करवायाआपको बता दे कि प्रदीप प्रजापति 18 वर्ष सागर जिले का है ।वही आनंद कुमार राजपूत 19 वर्ष यूपी का है। दोनों सूरत की कंपनी में काम करते थे। प्रदीप प्रजापति ने बताया कि वह सूरत में धागा कंपनी में करीब 3 माह से काम कर रहा था। वही आनंद राजपूत ने बताया कि वह गेज कंपनी में 3 माह से काम कर रहा है। लॉगडाउन के तहत कंपनी में काम बंद हो गया। कंपनी द्वारा हमें रहने की सुविधा दी थी मगर खाने के लिए हमारे पास कुछ भी नहीं था। इस कारण हमें वहां से पैदल ही निकलना पड़ा निकलना पड़ा वहां से निकले हमें करीब 6 दिन हो गए हैं। हम जीपीएस की सहायता से चल रहे हैं। पूरे रास्ते हम मेन रोड से आए हैं। रास्ते में मैं खाने के लिए पुलिस प्रशासन का भरपूर सहयोग मिल रहा है।

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