आरओ वॉटर संचालक छलावा कर, मानव स्वास्थ्य को पहुंच रहे नुकसान, जिम्मेदार अधिकारियों को है शिकायत का इंतजार

- Advertisement -

मेघनगर से भूपेंद्र बरमंडलिया की रिपोर्ट-
आरओ वॉटर के नाम पर बिकने वाला पानी एक सादे पानी के समान ही है। प्लास्टिक की कैनों में बंद सादा पानी होने पर आरओ के नाम पर धडल्ले से बेचा जा रहा है जिसकी ओर न ही स्थानिय अधिकारी ओर न ही प्रशासन इस ओर ध्यान दे रहे है। मिलावट के नाम पर सिर्फ सादे पानी को ही लोगों के घरों तक पहुंचाया जा रहा है। जिलेभर में संचालित आरओ (कैम्फर) वॉटर कैने बड़ी ही सरलता से उपलब्ध हो पा रही है। इन कैनो में सादा पीने के पानी को सिर्फ ठंडा कर इसे आरओ नाम देकर बाजारो में लोगो तक बेचा जा रहा है। जिसमें आरओ कंटेंट के नाम पर कुछ भी मानक मात्रा नही मिली हुई है। केवल सादे पानी को ही आरओ का नाम दिया गया है। इन ठंडे पानी की कैनो को लोगो के घरों तक पहुंचाकर उन्हे भ्रमित किया जा रहा है कि यह आरओ का साफ एवं स्वच्छ पीने योग्य पानी है लेकिन उस पानी की शुद्धता की कोई भी जांच नही हुई है। सादे हौद के पानी को ठंडा करके कैनों में सप्लाइ कर आरओ पानी का नाम दिया जा रहा है। ऐसे में लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। अच्छी सेहत के लिये डॉक्टर भी आरओ मिनरल वॉटर का ही सुझाव देते है लेकिन इस तरह के पानी से लोगों के स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड रहा है। बात अगर मेघनगरए और रम्भापुर की करे तो कई आरओ प्लांट कहकर सादे पानी को लोगों तक पहुंचाया जा रहा है। लोगो से केवल पानी को ठंडा करने के लिये 50 से 100 रूपये तक ऐठे जा रहा है। कई लोगों को पानी की इन कैनो में आरओ की जगह सादे पानी को पीकर ही लोगों के स्वास्थ्य के साथ भी खिलवाड़ किया जा रहा है। लेकिन उनके मानक पैमाने के आधार पर उपयोग न करके लोगों तक सादे पानी को ही पहुंचाया जा रहा है। 
अधिकांश के पास नही है लाइसेंस
नगर में चल रहे अधिकांश आरओ वॉटर सेटअप बिना किसी लाइसेंस के संचालित किये जा रहे है। इस आरओ के प्लांट को शुरू करने से पहले भारतीय मानक द्वारा जारी आइएसआई लाइसेंस लेना आवश्यक होता है जिसमें फर्म या कंपनी का रजिस्ट्रेशन होता है। इसके बिना आरओ वॉटर प्लांट डालना अपराध की श्रेणी में आता है। बिना लाइसेंस के आरओ वॉटर प्लांट का संचालन भी धड़ल्ले से किया जा रहा है। किसी का कोई रोकटोक नहीं होने के कारण आरओ प्लांट के संचालक बिना डर के अपना व्यवसाय करते जा रहे है। इस पर प्रशासन भी कोई ध्यान नहीं दे पा रहा है, जिसके कारण संचालक बेखौफ आरओ वॉटर के नाम पर दूषित पानी का संचालन कर लोगों तक सादा पानी पहुंचा रहे है। 
मानक मात्रा का नही है अनुपात.
आरओ वॉटर में टीडीएस अधिक एवं कम होने पर पानी की शुद्धता को प्रभावित करता है। पानी में घुले हुई संख्या को टीडीएस कहते है जिसके अन्तर्गत खनिज लवण जैसे सोडियम, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, मैग्नीज आइरन, आयोडिन क्लोराइड बाइकार्बोनेट, कार्बनिक पदार्थ, अकार्बनिक पदार्थ, सूक्ष्म जीव आदि। आरओ फिल्टर जल में प्राकृतिक रूप से मौजूद शरीर के लिए आवश्यक खनिज तत्वों को भी छान देता है जिसके परिणाम स्वरुप शरीर में खनिज तत्वों की कमी हो जाती है। जिससे शरीर की हड्डी कमजोर हो जाती है, मांसपेशियों में एठन होती है। शुद्ध प्राकृतिक जल का पीएच 7 होता है। आरओ का पानी 5 से 6 पीएच का होता है। 5 पीएच का पानी 7 पीएच वाले जल से 100 गुना अधिक एसिडिक होता है। आर ओ पानी पीने से शरीर के खून का पीएच बदल जाता है। जिसका मानक पैमाने पर उपयोग न करके सादे पानी को आरओ वॉटर कहकर लोगों के घरों तक पहुंचाया जा रहा है। इस तरह के मानक पैमाने का उपयोग न करके आरओ के पानी को पीकर लोगों के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है।                                                       नही होती कार्रवाई-
अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है की इन आरओ वॉटर का संचालन करने वाले प्लांटो पर कार्रवाई क्यों नही होती? तो इस बारे में कोन सा विभाग कार्रवाई करेगा। इस मामले खाद्य अधिकारी का कहना है कि हमारे दायरे में नहीं है पीएचई का मामला है जब इस  बारे में पीएचई अधिकारी से बात की गयी तो उन्होंने कहा की आप की जो भी समस्या है तो एसडीएम को बताये वह जिस विभाग को कार्रवाई के लिए निर्देशित करेगे वह कार्रवाई करेंगे।
मामले में कार्रवाई करेंगे-
मामला जिस विभाग के अंतर्गत आता है उसे कार्रवाई करना चाहिए अगर कोई शिकायत मिलती है तो हम उसको जरुर दिखवाएंगे। – अशफाक अली, एसडीएम