गंदा पानी और मैला ढोते-ढोते हथिनी मैली हो गई

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मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ

कभी राम तेरी गंगा मैली हो गई गीत ने धूम मचाई थी उस एक गीत ने देश की पवित्र नदी मां गंगा की दुर्दशा को इंगित करते हुए देश की अनेक पवित्र नदियों की दुर्दशा का चित्रण भी कर दिया था,  जो कि आज शत् प्रतिशत सच दिखाई दे रहा है। आज देश की प्रत्येक नदी की हालत किसी से छुपी नहीं है। 

शहरों कस्बों की नालियों का गंदा पानी हो या फिर उद्योगों से निकलने वाला प्रदूषित जल तथा कचरा हो सभी ने नदियों को गंदा  ही किया। सरकारें रोज नदी सफाई के वादे करती रही है मगर नतीजा हम जहां से चले थे वहीं खड़े हैं। यही स्थिति अलीराजपुर जिले की नदियों के साथ ही आम्बुआ और बोरझाड़ की जीवन रेखा कही जाने वाली हथनी की भी हो रही है। इसमें भी कस्बे का गंदा पानी तथा इसके किनारे सुबह शाम खुले में शौच करने वाले अपनी गंदगी भर रहे हैं यूं तो गर्मी में पूरी नदी सूख गई है। मगर मंदिर क्षेत्र में जो पानी एकत्र हुआ है वह उसकी दुर्दशा का बयान कर रहा है।

          ग्राम सेजवाड़ा (आजाद नगर) के उद्गम स्थल से निकलकर ककराना में मां नर्मदा की सहायक नदी हथिनी जब आम्बुआ पहुंचती है तो बरसात में यह अपना हथिनी रूप (विशाल रूप) दिखाती है अपने उद्गम स्थल से अंतिम स्थल तक यह हथिनी नदी कितनों को जीवन देती है। पेयजल के साथ-साथ खेतों में लहलहाती  फसलों को तथा किनारे खड़े लाखों पेड़ पौधों को पोषणता प्रदान करती है। वर्तमान में  भीषण गर्मी के कारण यह सुखकर कंकर पत्थर का मैदान हो चुकी है। मगर आम्बुआ में शिव मंदिर के नीचे बने प्राकृतिक गड्ढों (डाबरो) में कस्बे की नालियों का गंदा पानी एकत्र होकर बदबू मार रहा है। स्थिति यह है कि शाम के समय यहां बैठना मुश्किल होता है कीट पतंगों तथा मच्छरों की भरमार यहां बनी रहती है । रात्रि में कोई धार्मिक आयोजन हो और तेज विद्युत प्रकाश हो तो यह कीट पतंगे परेशान कर देते हैं। गंदा पानी नहीं अपितु शासन की लाख कोशिशों के बाद भी लोग घरों में बने शौचालय का उपयोग ना करते हुए सुबह-सुबह मंदिर क्षेत्र तथा नदी के किनारे पर शौच कर मैले का ढेर लगाकर गंदगी में बढ़ोतरी करते हुए। शासन की स्वच्छता मुहिम का मुंह चिढ़ाते नजर आते हैं। घरों में शौचालय होने के बावजूद खुले में शौच करने वालों को विगत वर्ष कोरोना काल के पूर्व शासन प्रशासन की टीमों ने घरों में बने शौचालयों का उपयोग करने हेतु समझाइश के साथ-साथ कठोर कार्यवाही कर मजबूर किया था। मगर अब पुनः पूर्व की स्थिति हो रही है और हथिनी जैसी पवित्र नदी प्रदूषण का शिकार हो रही है, शासन को मंदिर क्षेत्र में व्यवस्था ठीक करना चाहिए।

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