अपने अस्तित्व को तलाश रही पेटलावद की पंपावती नदी, सौंदर्यीकरण की उठ रही मांग…

May

सलमान शेख/झाबुआ Live 

पेटलावद से होकर गुजरने वाली पम्पावती नदी आज नदी का स्वरूप बदलकर नाले का रूप ले चुुकी हैं। एक समय था जब यह नदी पेटलावद ओर सभी ग्रामों से सटे आबादी वाले ग्रामों की पेयजल की आवश्यकता की पूर्ति तो करती ही थी बल्कि सिंचाई से लेकर निस्तार तक के सारे काम इसी नदी के जल से यहां के निवासी पूरा करते थे। आज वही नदी अपने अस्तित्व को तलाश रही है। अब इस नदी के सौंदर्यीकरण की मांग नगर में उठने लगी है।

बीते 10 सालों में तत्कालीन नगर परिषद ने इस और कोई ठोस कदम नहीं उठाए। नदी के गहरीकरण की कोई भी योजना नहीं बनाई, जिसकी वजह से 15 साल पहले जो नदी गहरी हुआ करती थी वह पूरी तरह से भरा चुकी हैं। पंपावती नदी की बात करे तो इसके सौंदर्यीकरण की योजना पिछले लंबे समय से फाइलों में झूल रही थी। अब ये धरातल पर उतरना चाहिए और सफाई का काम युद्धस्तर पर शुरू होना चाहिए। नई परिषद इस योजना को धरातल पर उतारे। जो गंदे नालो का पानी इसमें मिल रहा है उसे नदी से बाहर करने का प्लान बनाकर कार्य किया जाना चाहिए। ऐसे में इस बात की उम्मीद है कि साल 2024 में इसके सौंदर्यीकरण का काम शुरू हो जाएगा।

ग्राम बनी के बांध का वेस्ट वेयर नदी का उद्गम स्थल

पंपावती नदी के बारे में बात करे तो पेटलावद के रायपुरिया के पास ग्राम बनी में बने बांध का वेस्ट वेअर इस नदी में मिलता हैं ओर यही इसका उद्गम स्थल हैं। इसके बाद यह नदी 32 किमी का सफर करती हुई पहले लाड़की नदी ओर फिर माही नदी में मिलती हैं। इसका कैचमेंट एरिया 47 हजार 487 हैक्टेयर हैं। यह नदी 10 ग्राम पंचायत और एक नगर परिषद की सीमाओं के 25 गांवों को छुती हैं, लेकिन वर्तमान में नदी रीती हैं, इसमें अब वो बांकपन नहीं रहा जिसके लिए यह पहचानी जाती रही है। पंपावती नदी बुरी तरह प्रदूषित हैं और अब तो जैसे नाम भर की ही नदी बची हैं।

नगरवासी बोले: जल्द हो सौंदर्यीकरण, नदी को दिया जाए उसका पुराना स्वरूप

– पंपावती नदी कभी पेटलावद की आनबान और शान हुआ करती थी, आज अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही है, क्योंकि मिलने वाला गंदे नाले नालियों का पानी नदी के सौंदर्य को प्रदूषित कर रहा है। आज हम देखते हैं पेटलावद के विभिन्न धर्मो के धार्मिक स्थलों पर जाने वाले श्रद्धालुओं को नदी में मौजूद सड़न और गंदगी से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहीं दूसरी ओर कभी एक जमाने में नदी पार बना घाट पेटलावद नगर की शान हुआ करता था उसके आसपास का गंदे पानी और कीचड़ की वजह है आज वो भी पूरी तरह खत्म सा हो गया है। नगर परिषद या प्रशासन को इस और पहल करनी चाहिए। गंदे पानी के निकास के लिए ठोस कार्य योजना बनाएं क्योंकि सबसे बड़ी समस्या गंदे पानी की है जो नदी के अंदर मिल रहा है।

– जिनेंद्र कटकानी, सामाजिक कार्यकर्ता।

– हमारे पेटलावद नगर में एक ही नदी है, वो है पंपावती नदी। आज वो बिल्कुल नाले का रूप ले चुकी है। इस मामले में पहले भी नदी के सौंदर्यीकरण के नाम पर भ्रष्टाचार हो चुका है। हमारा यही कहना है कि ईमानदानरी से नगर परिषद इस और पहल करे और जल्द इसका गहरीकरण और सौंदर्यीकरण किया जाए।

– सुरेंद्र भंडारी, पूर्व नपं उपाध्यक्ष। 

– पंपावती नदी को हम पुनीत पावन नदी हैं और पेटलावद को मां अहिल्या की नगरी भी मानते हैं। ऐसे में हम यह चाहेंगे कि हमारी जो है पंपावती है, जिसमें कि अब माही का पानी भी अब प्रभावित होने लगा है, वह और अच्छी और सुंदर लगे और उसका लाभ हमारे सभी पेटलावद के लोग उठा सके और उसका जितना भी सौंदर्यीकरण हो सके उतना नगर सरकार करें। आगामी लोकसभा चुनाव में भी इसका फायदा मिलेगा और जितना पंपावती नदी का नाम आध्यात्मिक रूप से जुड़ा हुआ है तो आध्यात्मिक संबल भी यहां के लोगों को मिलेगा। हम यह चाहते है कि हमारी जो है पंपावती नदी है वो सजीव हो, सुंदर हो और सभी के लिए सूखसाता और समृद्धि वाली हो।

– जितेंद्र मेहता, पूर्व विधायक प्रतिनिधि।

– मैं नगर परिषद से आग्रह करूंगा के हमारी लाडली विधायक और केबिनेट मंत्री सुश्री निर्मला भूरिया का सहयोग लेकर एक कार्य योजना बनाकर गंदा पानी जितना भी बह रहा है, उसे नदी के बाहर करें और उज्जैन की शिप्रा नदी जैसा स्वरूप दे। ताकि इसका लाभ नगरवासियों को मिले।

– दिनेश व्यास, पूर्व पार्षद। 

अध्यक्ष बोली- जल्द होगा सौंदर्यीकरण

पंपावती नदी के सौंदर्यीकरण को लेकर हम प्रयासरत है। इसी को लेकर शासन द्वारा अमृत मिशन योजना के अंतर्गत उपयोगिता जल प्रबंधन की कार्ययोजना एवं सीवर ट्रीटमेंट प्लांट निर्माण कार्य हेतु साढ़े 6 करोड़ रुपए की कार्ययोजना बनाकर शासन को भेजी गई है। जल्द ही पंपावती साफ स्वच्छ और सुंदर दिखाई देगी। इसका फायदा समस्त नगरवासियों को होगा।

– श्रीमती ललिता योगेश गामड़, अध्यक्ष नगर परिषद पेटलावद।