अतिथि शिक्षकों ने बैठक कर बनाई भोपाल महासम्मेलन की रणनीति

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अलीराजपुर लाइव के नानपुर से जितेंद्र वाणी (राज) की रिपोर्ट-
अतिथि शिक्षकों की नियमितिकरण की मांग को लेकर गुरूवार को नीलम पार्क में संयुक्त अतिथि शिक्षक संघ के प्रदेश पदाधिकारियों ने बैठक की। बैठक में अतिथि शिक्षकों की समस्याओं पर चर्चा करते हुए आगामी आंदोलन की रणनीति बनाई गई जिसमें सभी की सहमति से निर्णय लिया गया कि 17 दिसंबर को भोपाल के आंबेडकर मैदान, सेकंड स्टाप पर अतिथि शिक्षकों का महासम्मेलन आयोजित किया जाएगा। जिसमें प्रदेश के 20 हजार से अधिक अतिथि शिक्षक शामिल होंगे। बैठक में नवीन शर्मा, अजय पाल सिंह राठौर, सुनील परिहार, अतुल शर्मा, महेश भूरिया, कृष्ण कन्हैया सैनी, फहीम खान व मुकेश रघुवंशी उपस्थित थे। गौरतलब है कि अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति जनवरी 2007 से शासकीय विद्यालयों में की गई हैं। प्रति वर्ष जुलाई में नियुक्ति देकर अप्रैल में नियुक्ति निरस्त कर दी जाती है। ये प्रक्रिया पिछले आठ-नौ वर्षों से चल रही है। पर अतिथि शिक्षकों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए सरकार के द्वारा अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया। कई बार अतिथि शिक्षकों ने अपने नियमितिकरण की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन-ज्ञापन देकर सरकार को अवगत कराया है। पिछले वर्ष 18-19 जनवरी में अतिथि शिक्षकों के द्वारा शाहजानी पार्क में आंदोलन भी किया गया था, तब 19 जनवरी को शिक्षा मंत्री पारस जैन के द्वारा अतिथि शिक्षकों को आश्वासन दिया गया था कि अतिथि शिक्षकों की मांगों का निराकरण करने के लिए एक समिति बनायी जाएगी व 90 दिनों में अतिथि शिक्षकों की मांगों का निराकरण किया जाएगा। सरकार ने समिति तो बना दी, लेकिन उसके बाद क्या हुुआ अतिथि शिक्षक जानना चाहते हैं। इस बीच कई बार मुख्यमंत्री के द्वारा भी आश्वासन दिए गए। परंतु व केवल एक आश्वासन बनकर रह गए। उस पर कुछ ठोस कार्रवाई आज तक नहीं हुई। अतिथि शिक्षकों की मांगों का निराकरण करना तो दूर की बात है मप्र सरकार के शिक्षा मंत्री विजय शाह ने अतिथि शिक्षकों को टाइम पास बताकर अतिथि शिक्षकों का अपमान किया गया इससे अतिथि शिक्षक काफी आहत है व उनमें रोष है। एक तरफ जहां अतिथि शिक्षकों को अपमानित किया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ उनके हालात बद से बद्त्तर होते जा रहे हैं। पिछले आठ-नौ वर्षों से अल्प मानदेय में मात्र 100 रूपएए 150 रूपए एवं 180 रूपए प्रति दिवस के हिसाब से माह में अधिकतम 2500, 3500 व 4500 रुपए, दिए जा रहे है। उसमें भी छुट्टियों को पैसे काट लिए जाते है। इतने अल्प मानदेय में अतिथि शिक्षकों का परिवार का पालन पोषण करना संभव नहीं हो पा रहा है। अतिथि शिक्षकों का न तो भविष्य सुरक्षित है और न वर्तमान। क्योंकि पदोन्नति, पद पूर्ति होने पर अतिथि शिक्षकों को बीच सत्र में हटा दिया जाता है जिसके कारण अतिथि शिक्षक के सामने बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हो जाती है।