झाबुआ / अलीराजपुर live राजनीतिक डेस्क
बिहार के बाद अब गुजरात के स्थानीय निकाय चुनाव के नतीजे कांग्रेस के लिए खुशखबरी लेकर आए हैं। राज्य में हार्दिक पटेल की अगुआई में हुए पटेल आंदोलन का असर ग्रामीण इलाकों में साफ दिखा है और ग्रामीण इलाकों के साथ ही बड़े शहरों में भी कांग्रेस ने पिछले बार के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया है।
शहर में बीजेपी ने प्रचंड जीत दर्ज करते हुए सभी 6 नगर निगमों और पर कब्जा जरूर किया है, लेकिन इसमें भी कांग्रेस के लिए अच्छी खबर छिपी हुई है। कांग्रेस ने 2010 के चुनाव के मुकाबले यहां बेहतर प्रदर्शन किया है, जबकि 6 में से 5 नगर निगमों में बीजेपी के सीटों की संख्या घटी है।
विधानसभा सीटों के लिहाज से इन नतीजों को देखा जाए तो 182 विधानसभा क्षेत्रों में से 90 पर कांग्रेस ने विजय पाई है, जबकि बीजेपी ने 72 सीटों पर। फिलहाल बीजेपी के पास 116 सीटें हैं जबकि कांग्रेस के पास 60।
मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल के घर में हारी बीजेपी
कांग्रेस ने ग्रामीण इलाके में जबर्दस्त प्रदर्शन किया है। राज्य की 31 जिला पंचायतों में कांग्रेस ने 23 पर कब्जा किया। 230 तालुका पंचायतों में भी उसे बढ़त मिली है। बीजेपी को मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल के मेहसाणा के बहुचारजी ब्लॉक पंचायत में भी हार का सामना करना पड़ा है। बीजेपी के लिए राहत की बात बस शहरी इलाकों से आई है, जहां 56 नगर पालिकाओं में से उसने 42 पर कब्जा किया है।
जाने-माने चुनाव विश्लेषक यशवंत देशमुख ने बीजेपी की खस्ता हालत को समझाते हुए ट्वीट किया, ‘बीजेपी को इन चुनावों में कितना बड़ा नुकसान हुआ है, इसका अंदाजा आप जिला पंचायतों से भी लगा सकते हैं। उसके पास पहले 31 में से 22 जिला पंचायतें थीं। अब बीजेपी लुढ़क कर सिर्फ 8 पर आ गई है। ऐसा कई साल बाद हुआ है। कांग्रेस के पास 2010 में सिर्फ 2 जिला पंचायतें थीं लेकिन इस बार वह 23 जिलों में जीतने में कामयाब रही है।
अहमदाबाद नगर निगम (192 सीटें)
अहमदाबाद नगर निगम की 192 सीटों पर बीजेपी ने जबर्दस्त प्रदर्शन करते हुए 139 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस को 52 सीटें हीं मिलीं। लेकिन यहां गौर करने वाली बात यह है कि 2010 के चुनाव में बीजेपी के पास 151 सीटें थीं और कांग्रेस के पास 38। ऐसे में बीजेपी को 12 सीटों का नुकसान हुआ है।
सूरत (116 सीटें)
सूरत नगर निगम की 116 सीटों में से बीजेपी ने 82 सीटें जीती हैं, जबकि कांग्रेस को 34 सीटों पर जीत मिली है। 2010 में बीजेपी के पास 98 सीटें थीं, जबकि कांग्रेस के पास 14 सीटें थी। इस तरह बीजेपी यहां जीती जरूर है, लेकिन उसे 16 सीटों का नुकसान हुआ है।
भावनगर (52 सीटें)
भावनगर नगर निगम की 52 सीटों में से 34 बीजेपी और 18 कांग्रेस ने जीती हैं। बीजेपी ने 2010 में 41 सीटें जीती थीं, इस तरह उस 7 सीटों का नुकसान हुआ है। कांग्रेस ने 10 सीटें जीती थी और उसे इस बार आठ सीटों का फायदा हुआ।
वडोदरा (76 सीटें)
बीजेपी ने वडोदरा की 76 सीटों में से 58 और कांग्रेस ने 11 पर जीत दर्ज की। 2010 में बीजेपी ने 61 सीटें जीती थी। इस तरह उसे 3 सीटों का नुकसान हुआ है। 2010 में 11 सीटें जीतने वाली कांग्रेस को तीन सीटों का फायदा हुआ है।
राजकोट(72 सीटें)
बीजेपी ने राजकोट की 72 में से 38 सीटों पर कब्जा किया, जबकि कांग्रेस 34 सीटें ही हासिल कर पाई। 2010 में बीजेपी ने यहां 57 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इस तरह उसे 19 सीटों का नुकसान हुआ है। वहीं कांग्रेस की सीटों की संख्या में 23 का इजाफा हुआ है।
जामनगर (64 सीटें)
जामनगर अकेला नगर निगम रहा, जहां बीजेपी को पिछले चुनाव के मुलाबले बढ़त मिली। बीजेपी ने यहां 64 में से 38 सीटों पर कब्जा किया, जबकि कांग्रेस 24 सीटें हासिल करने में कामयाब रही। 2010 में बीजेपी को यहां 35 और कांग्रेस को 16 सीटें मिली थी।
बता दें कि इन चुनावों को गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल के लिए बड़ी चुनौती के तौर पर देखा जा रहा था, क्योंकि नरेंद्र मोदी के गुजरात छोड़कर प्रधानमंत्री बनने के बाद यह पहले चुनाव हैं जो बड़े पैमाने पर हो रहे हैं।