आदिवासी छात्र संघ ने मुख्यमंत्री से की प्रदेश में लगभग 20 हजार स्कूलों को बंद करने के आदेश पर तत्काल रोक लगाने की मांग
पीयुष चन्देल, अलीराजपुर
। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा एक परिसर एक विद्यालय के नाम से 89 आदिवासी विकासखंडों में कुल 10,506 स्कूलों में से 5,760 अर्थात आधे से अधिक प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूलों को बंद करने के लिए सरकार ने आदेश जारी कर दिए हैं। इसके पूर्व में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा भी लगभग बीस हजार स्कूले बंद की जा चुकी है।साथ ही सरकार द्वारा प्रदेश में 51 कॉलेजों को भी बंद करने का निर्णय लिया गया है। आदिवासी छात्र संगठन जिला इकाई अलीराजपुर ने माननीय मुख्यमंत्री एवं माननीय शिक्षा मंत्री के नाम से कलेक्टर के प्रतिनिधि को ज्ञापन सोप कर उक्त आदेश पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है। एसीएस के पदाधिकारी अजमेरसिंह भिंडे ने कहा कि प्रदेश में स्कूलों की संख्या छात्रों की आबादी के अनुसार ओर शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के अनुसार पर्याप्त नही है। वर्ष 2011की जनगणना अनुसार प्रदेश में 25 लाख छात्र शाला त्यागी एवं शिक्षा से वंचित पाये गये थे। उसमें से प्रदेश में 20 लाख ऐसे बच्चे थे, जिन्होंने स्कूल में कदम ही नही रखा अर्थात शाला से अप्रवेशी थे।शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 अनुसार प्रत्येक एक किलोमीटर के दायरे में एक प्राथमिक एवं तीन किलोमीटर के अंदर एक माध्यमिक शाला खोलने का प्रावधान है। सरकार स्कूल में शिक्षकों की व्यवस्था करने की बजाय स्कुल बंद कर स्वीकृत पदों को समाप्त कर रही है, जिससे युवाओ में भारी आक्रोश व्याप्त है।
भावसिंह ओहरिया ने कहा कि वर्तमान में स्कूलों एवं कॉलेजों में पर्याप्त शिक्षक, व्यवस्थायें नही है, ओर ना ही पढ़ाई हो रही है, इस कारण से छात्र संख्या कम है। यह बेहद शर्मनाक बात है, कि शिक्षित बेरोजगारी चरम सीमा पर है। प्रदेश की स्कूलों में 91,972 शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं। इस ओर सरकार का ध्यान नहीं जा रहा है। रिक्त पदों की पूर्ति करने की बजाय स्कूलों को बंद किया जा रहा है,पर्याप्त मात्रा में छात्रों के लिए बैठने की व्यवस्था, पुस्तकालय, छात्रों की सुरक्षा के लिए बाउंड्रीवाल, बालिकाओं के लिए शौचालय, प्रयोगशाला, खेल मैदान, पानी तथा 80 प्रतिशत स्कूलों में बिजली की व्यवस्था नही है सरकार अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है, जिसका हम कड़ा विरोध करते हैं।
दिलीप भिंडे ने कहा कि प्रदेश में 9 माह से स्कूले बंद हैं, छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाई थोपी जा रही है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों की हालत बहुत खराब है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में 2.3 प्रतिशत परिवारों के पास ही ऑनलाइन सुविधा उपलब्ध है, ओर आदिवासी क्षेत्रों में इससे भी कम है। यह जानते हुए भी सरकार ने प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों को 31 मार्च तक बंद करने के लिए आदेश जारी किया गया है। ऑनलाइन शिक्षा सुविधा केवक शहरों के उच्च वर्ग के छात्र ही लाभ उठा पा रहे हैं। इस कारण से स्कूले खुलने की हम मांग करते हैं। राकेश मण्डलोई ने कहा कि एस टी एवं एस सी वर्ग के छात्रों को छात्रवर्ती ,आवास सहायता राशि का भुगतान नही हुआ है। छात्रावास बंद है, जिससे पढ़ाई कर रहे एवं परीक्षाओं की तैयारी करने वाले को भारी नुकसान हो रहा है। सरकार निजीकरण को बढ़ावा दे रही हैं, सरकारी स्कूलों को बंद कर कई निजी स्कूले एक ही केम्पस में खोली जा रही है, सरकारी स्कूलों के लिए दूरी की सीमा तय है, और निजी स्कूलों के लिए सीमा तय नही है। जब चाहे तब कही भी स्कूल खुल सकते हैं।
जिसका हम घोर विरोध करते हैं, ओर आदिवासी क्षेत्रों में स्कूले एवं कॉलेजों को बंद करने का निर्णय लिया है, उसे तत्काल सरकार वापस ले, अन्यथा पूरे आदिवासी क्षेत्रों में बड़े स्तर पर हड़ताल एवं उग्र आन्दोलन किया जावेगा। इस अवसर पर आदिवासी छात्र संघ के मुकेश रावत, प्रदीप जमरा, कैलास कनेश, बंसन्त कनेश, जगनसिंह बामनिया, मुकेश कनेश, लोकेश किराड़, भीमसिंह डावर, नरसिंह मासानीय, कमलेश कनेश, आजमसिंह मण्डलोई, भेरूसिंह सोलंकी एवं बोन्दरसिंह भिंडे सहित कई छात्र उपस्थित रहे।