एसपी विनीत जैन के कार्यकाल में अपराधों का घटता ग्राफ दिखाता है झाबुआ जिले में खाकी की चुस्ती

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त्वरित टिप्पणी झाबुआ लाइव डेस्क

पिछले 90 दिनों से झाबुआ में किसी भी प्रकार की लूट, डकैती जैसे संगीन अपराध नहीं हुए है, जो झाबुआ पुलिस की सजगता , सतर्कता एवं आरोपियों पर पुलिस की नकेल को दर्शाती है। एसपी विनीत जैन ने अपने एक वर्ष के कार्यकाल में अपराधों पर अंकुश लगाने के साथ ही अपराधियों पर भी लगातार कार्रवाई को अंजाम दिया है।झाबुआ जिले के सभी पुलिस थाने, चौकियों के पिछले 3 वर्षों के तुलनात्मक अपराध एवं प्रतिबंधात्मक कार्रवाई का अवलोकन करने पर पाया कि हत्या में 16 फीसदी की कमी आई है वहीं हत्या के प्रयास में मात्र 18 फीसदी वृद्धि को दर्शा रहा है जो कि सामान्य है। डकैती में शत प्रतिशत की कमी आई है। डकैती की तैयारी में 800 फीसदी की बढ़ोतरी है, तो पुलिस की सजगता, सतर्कता व बेहतर आपराधिक सूचनाओं के संकलन व प्रतिबंधात्मक कार्रवाई को दर्शाता है। लूट में पिछले वर्ष के मुकाबले 17 फीसदी कमी आई है। वहीं घरों में सेंधमारी के साथ कोई बड़ी चोरी न होना एसपी जैन के अपराधियों पर सख्त रुख होना प्रदर्शित कर रहा है। दुराचार में 52 फीसदी की कमी के साथ ही अपहरण में भी 60 प्रतिशत की कमी तो वहीं छेड़छाड़ में 64 फीसदी की कमी आई है जो मप्र में महिला अपराधों में सर्वाधिक कमी को जाहिर कर रहा है। इसका मुख्य कारण जिले में निर्भया मोबाइल द्वारा महिलाओं व बालिकाओं की सुरक्षा हेतु जागरुकता अभियान चलाए जाने के कारण महिला अपराधों में 61.19 प्रतिशत कमी को दर्शा रहा है। वहीं वर्ष 2019 में निर्भया मोबाइल द्वारा अब तक 248 स्कूल में लगभग 95 हजार 586 बालक-बालिकाओं व 88 स्वयं सहायता समूहों को जागरुक किया है। साथ ही असामाजिक तत्वों के खिलाफ सतत प्रतिबंधात्मक कार्रवाई किए जाने के चलते अवैध शराब के परिवहन, अवैध रूप से हथियार रखने वालों के विरुद्ध तथा जुआ-सट्टा, मादक पदार्थ आदि के खिलाफ लगातार की जाने वाली कार्रवाई के परिणामस्वरूप अपराधों में कमी आई है।
वहीं पिछले 3 माह में भादवि के अपराधों में आशातित कमी परिलक्षित हुई है, हत्या के प्रयासों में 33 फीसदी, डकैती व डकैती की योजना में भी कमी आई है। साधारण चोरी में 83 फीसदी की कमी, तो वहीं वाहन चोरियों में 34 फीसदी की कमी, दुराचार में 57 फीसदी की कमी, अपहरण में 70 फीसदी कमी, एसपी विनीत जैन की बेहतर पुलिसिंग को समझ को दर्शा रहा है, अपराधों में कमी होने पर जनमानस में पुलिस की छवि सकारात्मक बनी हुई है।

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