मयंक विश्कर्मा@आम्बुआ
आम्बुआ में आसपास के ग्रामीण क्षेत्र के कृषक नगदी फसल के रूप में सब्जियां उगा रहे हैं तथा बाजार में बेचने आते हैं । मगर बाजार में उचित स्थान नहीं मिलने के कारण पूर्व में यह पुराने बस स्टैंड क्षेत्र में तो अब नए बस स्टैंड क्षेत्र में सड़क किनारे धूप वर्षा तथा ठंड में बैठने को मजबूर है नालियों तथा सड़क पर बहने वाले गंदे पानी एवं धूल से प्रदूषित सब्जियां ग्राहक खाने को मजबूर है न इनकी परेशानी देखने वाला कोई है और ना ही सब्जी बिक्री सड़क स्थल जिसे अतिक्रमण की भेंट चढ़ा दिया गया है उसे खाली कराकर वहां बैठाने की व्यवस्था करने वाला भी कोई दिखाई नहीं देता है।
हमारे संवाददाता के अनुसार आम्बुआ क्षेत्र में ग्रामीण बगैर किसी रासायनिक खाद्य तथा केमिकल के शुद्ध सब्जी बेचने आते हैं कम पानी में तथा शीघ्र नगदी लाभ मिलने के कारण कृषकों की रूचि सब्जी उत्पादन की ओर बढ़ती रही है पुरुष खेतों में कार्य करते हैं तो महिलाएं बाजार में आकर सब्जियां बेचती है शहरी क्षेत्र से बहुत कम भाव में शुद्ध सब्जियां मिल जाया करती थी। यह सब्जी विक्रेता वर्षों से पुराने बस स्टैंड क्षेत्र में स्थानीय लोगों व्यापारियों के घरों के बाहर बैठकर सब्जियां बेचते रहे हैं मगर दो-तीन वर्षों से धीरे-धीरे सब्जी विक्रेता नए बस स्टैंड क्षेत्र में यह व्यवसाय करने लगे यहां स्थान प्राप्त नहीं होने के कारण वे सड़क किनारे बैठने को मजबूर है जिस कारण पीछे संचालित बाल काटने वाले कपड़े सिलने वालों तथा दुकानों से निकलने वाले कचरा एवं घरों का गंदा पानी जो कि सड़क पर बहता है। नालियों का गंदा पानी भी बहता रहता है साथ ही दिनभर निकलने वाले वाहनों से उड़ती धूल सब्जियों को प्रदूषित करती है जिन्हें मजबूरी में ग्राहक खरीदते हैं सब्जी विक्रेता वर्षात में वर्षा से गर्मी में धूप से ठंड में भी खुले में बैठकर परेशान होते रहते हैं सब्जी विक्रेता हेतु लाखों रुपए खर्च कर टीन शेड बनाया गया था। मगर वहां पर उन्हें बैठने के लिए प्रशासन ने कोई प्रयास नहीं किया जिस कारण वे अतिक्रमण की चपेट में आकर कबाड़ खाने में तब्दील हो चुका है जिसे खाली कराने के बाद सब्जी विक्रेताओं को समझा कर बैठाया जा सकता है।
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