मिट्टी के गणेश की मुहिम तेज: इस बार हर घर मे मिट्टी के इको फ्रेंडली गणेशजी..

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सलमान शैख़@ झाबुआ Live..
पेटलावद। सालभर के इंतजार के बाद प्रभु गजानन सोमवार को भक्तों के बीच पधारेंगे। 10 दिन तक चलने वाले गणेशोत्सव का शुभारंभ गणेश चतुर्थी से हो रहा है। घरों में भक्तों ने बप्पा के स्वागत की खास तैयारियां की हैं। श्रद्धा के इस पर्व को मनाने के लिए भक्तजन उत्साहित हैं। उल्लैखनीय है कि इस बार गणेशोत्सव में विशेष ये है कि पीओपी मूर्तियों के स्थान पर अब भक्त मिट्टी के गजानन घर-घर में विराजेंगे।
सरकार और स्वयंसेवी संगठनों के प्रयासों के चलते लोगों ने इस बार गणेशोत्सव का पर्व मिट्टी की गणेश प्रतिमाओं को स्थापित करके मनाने का संकल्प लिया है। उत्साही लोगों विशेषकर बच्चों ने मिट्टी के गणेशजी बनाना सीखा और मिट्टी के गणेशजी की ही झांकी सजाने का निर्णय लिया।
प्रशासन, पर्यावरण से जुड़े संगठन और सामाजिक संस्थाएँ इस पर खासा फोकस कर रही हैं। हालांकि इन सब प्रयासों के बावजूद अब भी बाजारों में पीओपी की प्रतिमाएँ देखी जा रही हैं। जैसे भगवान गणेश विघ्नों को हर लेते हैं, उसी तरह इस वर्ष लोगों ने नदी, तालाबों के पानी को प्रदूषण से बचाने का बीड़ा उठाया है। लोग मिट्टी की गणेश प्रतिमा विराजमान करने और उनका घरों में ही विसर्जन करने का संकल्प ले रहे हैं।
*लायंस क्लब की पहल को मिला भारी समर्थन-*
लायंस क्लब पेटलावद सेंट्रल की पहल को भारी समर्थन देकर नगर की सभी शैक्षणिक संस्थाओं के सैकड़ो नन्हे शिक्षार्थियो ने मिट्टी से गणेश प्रतिमाओं को आकृति देकर प्रकृति व जल संरक्षण को प्रोत्साहित करने में अपना अमूल्य योगदान दिया। सभी शैक्षणिक संस्थाओं शासकीय उत्कृष्ठ, शासकीय कन्या, प्रोग्रेसिव एकेडमी, शारदा विद्या मंदिर, एमराल्ड जूनियर कॉलेज, कल्पतरु विद्यालय, गुरु कुल, संपर्क बुनियादी, सरस्वती शिशु मंदिर शाला सहित सभी संस्थओ ने अपनी भागीदारी सुनिश्चित थी।
*इन्होनें बनाए 21 गणेशजी की प्रतिमा-*
नगर के राठौड़ परिवार की बेटी सुमन सोलंकी ने इस बार अपने हाथों से भगवान श्री गणेश की 21 मूर्ति बनाई और प्राकृतिक रंगों से मूर्ति को आकर्षक रूप दिया। इसी तरह नगर के राठौड़ परिवार के ही सुनील राठौड़ ने इस वर्ष भी अपने हाथों से मिट्टी के गणेश जी बनाये। वहीं हरिश चौधरी ने भी इको फ्रेंडली गणेशजी बनाए और आज अपने परिवार के साथ घर मे स्थापना कराएंगे। ग्रीन गणेश अभियान में लोगों को जुड़ते हुए देखकर बहुत हर कोई खुश है। पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष काफी लोग आगे आए हैं। लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ी है और वे पीओपी के स्थान पर माटी गणेश स्थापित करने पर बल दे रहे हैं। इस वर्ष कई अन्य संस्थाओं द्वारा भी माटी गणेश बनवाये जा रहे हैं। जिनको भी अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है। इसका उद्देश्य हमारे आने वाले कल के लिए तालाबों, कुंडों और अन्य जलस्रोतों की हिफाजत करना है। ये बात पूरी तरह साबित हो चुकी है कि प्लास्टर ऑफ पेरिस यानी पीओपी से बनी मूर्तियां पर्यावरण के लिए घातक होती हैं। इनमें जहरीले तत्व होने की वजह से हमें इसका पुण्य भी नहीं मिलता।
*पुराणों में भी इस बात का है जिक्र-*
गणेश पुराण में भी कहा गया है कि अगर हम मिट्टी के गणपति स्थापित कर पूजा करते हैं तो गणेश हमारी हर इच्छा पूरी करेंगे। हम ऐसा करते हैं तो यह न सिर्फ हमारे परिवार, बल्कि समाज और प्रकृति के लिए भी अच्छा होगा। आज ही प्रण लीजिए कि इस बार सिर्फ मिट्टी के गणेश और घर में ही विसर्जन।

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