रसूखदार ‘गादिया’ के आगे झाबुआ पुलिस का सरेंडर, एफआईआर में नामजद लेकिन 6 महीने बाद भी चालान नही

May
शिकायतकर्ता वरुण बैरागी द्वारा अरिहंत इन्वेस्टमेंट को दिए गए 1-1 लाख रुपये के दो चेक

फिल्मों में तो आपने देखा होगा कि कैसे पुलिस रसूखदारों के आगे सरेंडर कर देती है लेकिन रील लाइफ के साथ साथ रियल लाइफ मे भी पुलिस ऐसा ही करती है। बानगी झाबुआ मे देखने मिल रही है जहां झाबुआ कोतवाली पुलिस राणापुर रोड आंबा खोदरा स्थित गादिया कालोनी उर्फ नेचुरल ग्रीन पार्क कॉलोनी की है। इस पार्क के डेवलपर उर्फ ऑनर लोकेश पिता कनकमल गादिया, रंजना पति श्रेणिक कोठारी एवं एक कथित मैनेजर अजय पिता विनोद जैन के खिलाफ झाबुआ कोतवाली पर 16 अक्टूबर 2018 को धारा 420-406 आयपीसी के तहत एफआईआर दर्ज करवाई गई थी जिसमे फरियादी द्वारा आरोप लगाया गया था कि उनके जैसै करीब 12 लोगों को प्लाट बेचने का वादा एक स्टाम्प पर कर उनसे मोटी रकम वसूली गई, लेकिन बाद मे पता चला कि प्लाट बेचे जा चुके है। इस मामले में पुलिस ने अजय पिता विनोद जैन को तत्काल गिरफ्तार कर जेल मे डाल दिया लेकिन लोकेश गादिया ओर रंजना पति श्रेणिक गादिया को हिरासत में नहीं लिया गया। मामले मे आज 6 महीने गुजर गये है पुलिस ने सभी 12 लोगो के बयान भी दर्ज कर लिये है लेकिन चालान नही कर रही है। दरअसल सूत्र बता रहे है कि पुलिस समय निकालकर लोकेश गादिया ओर श्रेणिक गादिया को पूरा मोका दे रही है कि वह इस दोरान शिकायत कर्ता से सेटेलमेंट कर ले ओर केस को कमजोर करे।

पुलिस की लापरवाही से फरियादी पलटा

झाबुआ कोतवाली पुलिस द्वारा आरोपियों को पर्याप्त समय देने का फायदा आरोपियों को मिलना शुरु हो गया है गादिया पर जिस चेतन राठोड़ ने फरियादी बनकर एफआईआर लिखाई थी उसने शपथ पत्र देकर कहा है कि शायद उससे भ्रमपूर्वक भूल हुई थी। इसलिए गलत नाम लिखा दिए जबकि हमारे सूत्र बता रहे है कि चेतन को इस शपथ पत्र के एवज मे एक मोटी रकम का डीडी दिया गया है जो शायद क्लियर भी हो चुका है इसी तरह शिकायत कर्ता महेश गिरी व शीला मनोहर भी शिकायत से पीछे हटते नजर आ रहे है मकसद साफ है कि पुलिस आरोपियों को पूरा मौका दे रही है कानून से बच निकलने का। इस मामले के अन्य शिकायत कर्ता गोविंद सिंह परमार यदीपक व्यास, वरुण बैरागी,जफर खान आदि को भी शपथ पत्र अपने पक्ष मे देने का प्रलोभन दिया जा रहा है लेकिन ठोस प्रस्ताव के बिना।

किसका है अरिहंत इन्वेस्टमेंट?

शहर की गादिया कालोनी उर्फ नेचुरल ग्रीन पार्क कॉलोनी में प्लाट बुक करते समय कुछ लोगो से अरिहंत इन्वेस्टमेंट के नाम से चेक लिये गये थे एक शिकायतकर्ता वरुण बैरागी ने 1-1 लाख रुपये के दो चेक दिये थे जो क्लियर हो गये थे, लेकिन झाबुआ पुलिस 6 महीने मे अरिहंत इन्वेस्टमेंट के प्रोपराइटर कोन है यह तक नहीं पता लगा सकी है इससे पुलिस की मिलीभगत का साफ संकेत मिलता है ।

पुलिस ने बनाया यह आधार

झाबुआ शहर ओर जिले का हर शख्स ओर खुद पुलिस यह जानती है कि कालोनी का कथित मैनेजर अजय पिता विनोद जैन किसका आदमी है ओर कहां रहकर पहले भी काम करता था ओर आज भी काम कर रहा है लेकिन पुलिस ने लोकेश गादिया ओर रंजना गादिया को बचाने के लिए यह कहानी गढ़वा ली कि अजय जैन ने यह फर्जीवाड़ा किया है जबकि अपराध के समय अजय जैन का इस कालोनी या टाउनशिप के प्लाट विक्रय मे कोई योगदान नही था। इसी थ्योरी के आधार पर पुलिस गादिया को लगभग क्लीन चिट दे चुकी है लेकिन बडा सवाल यह है कि क्या पुलिस ने अरिहंत इन्वेस्टमेंट के बैंक डिटेल्स य शिकायत कर्ताओ द्वारा शिकायत के पहले हुई गादिया से उनकी बातचीत की काल डिटेल्स निकाली। लोकेश गादिया ओर अजय जैन के बीच शिकायत के पहले की बातचीत की काल डिटेल्स निकाली। क्या अजय जैन के खातो के डिटेल्स खंगाले घ् अगर नही तो क्यो नही घ् पुलिस यह क्यो भुल रही है कि उसे कमजोर वर्ग की मदद करनी है ना कि रसूखदारों की गोद मे बैठना है। इस संबध मे एसपी विनीत जैन का कहना है कि जल्दी ही वे मामले मे संज्ञान लेंगे ओर केस डायरी बुलवाएंगे।

जमीन के दर्द की अगली किश्त इसी कालोनी के निर्माण के फर्जीवाडे पर

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