दुसरो को सुकून देने वाले सो गए चीर निद्रा में.., अंतिम दीदार पर बरसीं आंखें

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सलमान शैख़@ पेटलावद
मालवा-निमाड़ अंचल के प्रसिद्ध सूफी संत लाल बादशाह (बापू) हजारों चाहने वालों को छोड़कर विदा हो गए। शनिवार देर शाम उनके निधन से अनुयायियों में शोक की लहर है। रविवार को अंतिम दीदार के लिए रूनिजा गांव में हजारों अनुयायी उमड़े। उनकों यकीन नहीं हो रहा था कि थोड़े ही दिन पहले दातार अब्दुल्लाह शाह बियाबानी का उर्स मनाने वाले लाल बापू एेसे सभी को छोड़कर चले जाएंगे। अनुयायियों की आंखें बरस पड़ी। उनका जनाजा सुबह 11 बजे मदीना मस्जिद से निकला। यहां से निकले जनाजे को छूने और कांधा देने के लिए हजारों जायरीन पहुंचे। जनाजा करीब दो किमी दूर खानगाह ले गए। यहां विभिन्न रस्मों के बाद बाबा को सुपुर्देखाक किया गया।

 

गुजरात-राजस्थान, महाराष्ट्र से भी आए जायरीन-
बाबा लाल बादशाह के इंतकाल की खबर मिलते ही बाबा के चाहने वाले गमजदा हो गए। हिंदू-मुस्लिम सिख इसाई सभी समाज के लोग दरगाह में उनसे मिलने के लिए बड़ी संख्या में पहुंचते थे।रविवार को मदीना मस्जिद से खानगाह तक निकले जनाजे में राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र तक के जायरीन पहुंचे।
आपने पूरी उम्र दीन की सेवा व इबादत में ही गुजार दी। वह लगातार एकता भाईचारे का संदेश दे रहे थे।
जहां भी वह रुकते तो उनका दरबार फरियादियों से भरा रहता था। उनके दरबार से कोई निराश नहीं लौटता था।
यही वजह है कि एमपी के मालवा और निमाड़ के अलावा राजस्थान, यूपी, महाराष्ट्र, बिहार आदि प्रांतों में भी उनके मुरीद हैं।

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