जीर्ण-शीर्ण भवन की जिम्मेदार नहीं ले रहे सुध, दुर्घटना का भय

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मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ
आम्बुआ कस्बे में पुराने पंचायत भवन के समीप वर्षों पूर्व बने दो कमरे आज जीर्ण शीर्ण हो चुके हैं छत पर घास आदि उग रही है तो खिडक़ी दरवाजे भी सड़ चुके हैं यह दोनों कमरों में वर्षोंपूर्व शासन की ग्रामीण सचिवालय कार्यालय के रूप में तथा बाद में पटवारी कक्षा बने रहे थे पटवारी क्वार्टर बन जाने के कारण यह खाली पड़े कभी भी गिर सकते हैं। जानकारी के अनुसार आंबुआ में वर्षों पूर्व दो कमरे तत्कालीन पंचायत भवन के पास बनाए गए थे तत्कालीन सरकार द्वारा ग्रामीणों की सुरक्षा सुविधा के लिए कि उन्हें तहसील एवं विकास खंडों के चक्कर न लगाना पड़े और उनकी समस्याएं अधिकारी कर्मचारी यहीं पर हल कर दे। जैसे वर्तमान में जनसुनवाई की व्यवस्था है कालांतर में ग्रामीण सचिवालय व्यवस्था ना जाने कब बंद हो गई तथा इन दोनों कमरे में पटवारी निवास एवं कार्यालय व्यवस्था की गई जो कि विगत वर्षों तक चलती रही। हालांकि पुराने इन कमरों मे वर्षा का पानी तथा आसपास की दीवारों खिड़कियों से आने लगा यही कारण रहा कि शासन द्वारा पटवारी कक्ष का निर्माण पुलिस थाने के पास कराने के बाद पटवारी का कार्यालय वहां पर चल रहा है तथा हाट बाजार के दिन पटवारी ग्राम पंचायत भवन में भी बैठ कर ग्रामीणों के कार्य निपटाते है। जीर्ण शीर्ण हो रहे भवन की स्थिति यह है कि वह वर्षा काल में या उसके पहले भी गिर सकता है प्रशासन ध्यान देकर इसे तुड़वा कर कोई अन्य भवन बना सकता है जिसकी विधिवत कार्रवाई की जाना जरूरी है।
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