नोटबंदी भारत का सबसे बड़ा घोटाला : रवि जोशी

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झाबुआ। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व महामंत्री रवि जोशी झाबुआ पहुंचे और उन्होंने प्रेसवार्ता की। इस दौरान उन्होंने कहा कि नोटबंदी, भारत के गरीब, किसानों, मजदूरों तथा व्यापारियों के साथ मध्यम वर्ग तथा छोटे कारोबारियों पर एक सर्जिकल स्ट्राइक है। 8 नवंबर को देश की 86 फीसदी करेंसी को बंद करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 प्रतिशत कालाधन धारकों को पकडऩे के लिए 99 प्रतिशत भारतीयों पर मुसीबतों का पहाड़ तोड़ दिया। भारत में तरक्की का पहिया जाम हो गया है और पूरे देश में आर्थिक अराजकता छा गई है।
नोटबंदी भारत का सबसे बड़ा घोटाला-
नोटबंदी स्वतंत्र भारत के इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला साबित हुआ है। नोटबंदी के दिन कोलकाता बैंक में भाजपा के खाते सं 554510034 में 500-1000 रुपए के नोटों में 3 करोड़ रुपए जमा किए गए। बार बार मांग उठाए जाने के बाद भी भाजपा और आरएसएस ने 1 मार्च 2016 से 8 नवंबर, 2016 के बीच देशभर में अपने खातों में जमा किए गए पैसे की जानकारी जनता के सामने नहीं रखी। साफ है कि पूरी दाल ही काली है।नोटबंदी से ठीक पहले भाजपा और आरएसएस ने पूरे देश में सैकड़ों करोड़ रुपए की संपत्तियां खरीदीं। कांग्रेस ने बिहार में 3.41 करोड़ रुपए मूल्य की 8 संपत्तियों तथा ओडिशा में 18 संपत्तियों की सूची जारी की है। इन संपत्तियों का वास्तविक बाजार मूल्य इससे भी कहीं ज्यादा है। इस सबके बावजूद नरेंद्र मोदी और अमित शाह पिछले एक साल में भाजपा-आरएसएस द्वारा खरीदी गई संपत्तियों का विवरण जनता के सामने नहीं रख रहे हैं। क्या इससे यह साबित नहीं होता है कि भाजपा को नोटबंदी की जानकारी पहले से थी और इसीलिए उन्होंने नोटबंदी से ठीक पहले अपने कालेधन को संपत्ति खरीदकर सफेद बनाने की साजिश रची जा रही थी, जहां एक तरफ देश के आम नागरिक बैंकों से अपना पैसा निकालने के लिए कई दिनों तक लाईनों में खड़े इंतजार कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ मोदी सरकार की सरपरस्ती में 30 प्रतिशत के कमीशन पर काले धन को सफेद बनाने तथा नए नोटों में बदलने के लिए एक काला बाजार फल फूल रहा है। गौरतलब बात यह है कि इसमें शामिल किसी भी भाजपा नेता की भूमिका की जांच नहीं की गई है।
नोटबंदी आर्थिक अराजकता तथा मुसीबत-
नोटबंदी के 50 दिनों में 115 से अधिक निर्दोश लोगों की दर्दनाक मौत हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इन परिवारों से माफी मांगकर उन्हें मुआवज़ा देना चाहिए। मोदी सरकार एवं आरबीआई जो अब रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया बन गया है ने 50 दिनों में 135 बार नियमों में बदलाव किया। सरकार तथा आरबीआई देश को भ्रमित करने का काम कर रहे हैं। नोटबंदी के फैसले ने 86 प्रतिशत करेंसी को चलन से बाहर कर दिया। विशेषज्ञों की मानें तो 500 रुपए के 1758 करोड़ नोट तथा 1000 रुपए के 668 करोड़ नोट यानि 15 लाख करोड़ रुपए के कुल 2326 करोड़ नोट चलन से बाहर हो गए। नोट छापने की दो सरकारी कंपनियों यानि भारतीय रिज़र्व बैंक नोट मुद्रण प्राईवेट लिमिटेड तथा सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड की नोट छापने की क्षमता से चलन से बाहर हुए नोटों के बराबर संख्या में नोट छापने में आठ महीने तक का समय लगेगा। इस दौरान जिला कांग्रेस अध्यक्ष निर्मल मेहता, पूर्व जिला कांग्रेस अध्यक्ष शांतिलाल पडियार, कार्यवाहक अध्यक्ष कलावती भूरिया एवं वीरसिंह भूरिया, प्रवक्ता हर्ष भट्ट एवं आचार्य नामदेव मौजूद थे।

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