एड्स और सिकल सेल जागरूकता कार्यक्रम में विद्यार्थियों को रेड रिबन क्लब का महत्व समझाया

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झाबुआ डेस्क। शासकीय महाविद्यालय मेघनगर की रेड रिबन क्लब इकाई के द्वारा 18 दिसंबर 2023 को महाविद्यालय में “एड्स एवम सिकल सेल जागरूकता कार्यक्रम” का आयोजन किया गया।

महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो. मौलश्री कानुडे ने अपने संबोधन भाषण के साथ इस व्याख्यान कार्यक्रम की शुरुआत की।। उन्होंने विद्यार्थियों को रेड रिबन क्लब का महत्व समझाया की किस प्रकार से यह इकाई एक ओर समूचे देश में रक्तदान के लिए देशवासियों को प्रेरित कर रही है और दूसरी तरफ एड्स, कुष्ठ रोग, क्षय रोग, सिकल सैल, एनीमिया आदि जैसी भयावह बीमारियों के प्रति जागरूकता एवम निदान संबंधी कार्यक्रमों को सतत रूप से संचालित कर रही है।

इसी क्रम में महाविद्यालय के विद्यार्थीयों में से रेड रिबन एंबेसेडर का चुनाव किया गया जिसमें महाविद्यालय बी ए द्वितीय वर्ष की छात्रा चिंकी डामोर को छात्रा इकाई का एंबेसेडर बनाया गया एवं बी ए द्वितीय वर्ष के छात्र शैलेंद्र भूरिया को छात्र समूह का एंबेसेडर बनाया गया जिनको रेड रिबन बेज प्राचार्य महोदया द्वारा दिया गया, एवम इन एंबेसेडेर्स से उन्होंने यह आश्वासन लिया के वे पूरी लगन और मेहनत के साथ इस दायित्व को पूरा करेंगे।

कार्यक्रम के लिए व्याख्याता के रूप में विशेष रूप से आमंत्रित दीपिका मंडोरिया, RKSK काउंसलर, मेघनगर ने व्याख्यान की शुरुआत एड्स जैसी भयावह बीमारी के बारे में बताया की इसकी सर्वप्रथम इसका वायरस एक चिम्पांजी में पाया गया जो संक्रमण के द्वारा समूचे विश्व में एक गंभीर समस्या का रूप लेता गया। उन्होंने यह भी बताया की यह संक्रमण हमारे शरीर में प्रवेश कर जाने के बाद लगभग 10 वर्षो तक छुपे रहते हुए बीमारी के रूप में हमारे शरीर में अपनी जगह बना लेता है, इस बीमारी के प्रति जागरूकता संबंधी भिन्न प्रकार की सावधानियां और सुझाव मंडोरिया मैडम द्वारा बताए गए।

एड्स के साथ ही उन्होंने वर्तमान में सिकल सेल को एक उग्र विकराल रूप लेती हुई समस्या बताया। उन्होंने कहा की सिकल सेल में हमारी रक्त कोशिकाएं हंसिए के आकार की हो जाती हैं जो रक्त प्रवाह को प्रभावित करती है। सिकल सैल इस प्रकार से मानव स्वास्थ्य को प्रभावित करता है की शरीर में खून बनना बंद हो जाता है और शरीर पीला पड़ जाता हैं। उन्होंने कहा की यह बीमारी आनुवांशिकी होती है अतः विवाह के संबंध करते समय जन्म कुंडली मिलान से ज्यादा आवश्यक सिकल सेल जांच वाली कुंडली मिलान है क्योंकि अगर किसी रोगी व्यक्ति की शादी सामान्य व्यक्ति से होती है तो उनकी आने वाली पीढ़ि संपूर्ण रूप से बीमारी की वाहक होंगी।

बड़े ही रोचक रूप से सिकल सेल की कुंडली को उन्होंने विद्यार्थी और समस्त स्टाफ को समझाया ताकि महाविद्यालय से परे भी वे जागरूकता फैला सकें।

व्याख्यान पश्चात कार्यक्रम के अंत में प्राचार्य महोदया ने एड्स को भयावह संक्रमण के रूप में समझाया और बताया की सिकल सेल को मात्र आनुवांशिकी बीमारी ही नही माना गया बल्कि विवाह के बदलते स्वरूपों के चलते यह तेजी से फैलने की स्थिति में आ गई है। इस बीमारी को विकलांगता की श्रेणी में रखा जाने लगा है।

इसके साथ ही उन्होंने एनीमिया और रक्त दान संबंधी भ्रांतियों के बारे में बताया और कहा की प्रत्येक विद्यार्थी को अपने शरीर का ध्यान रख कर रक्त कि पर्याप्त मात्रा बनाए रखना चाहिए ताकि आवश्यकता के समय वे तत्परता के साथ रक्तदान कर सकें। इन सभी जानकारियों के चलते विभिन्न कक्षाओं विद्यार्थी कु. खुशबू भूरिया, कु. प्रेरणा राठौर आदि ने काउंसलर मैडम से जिज्ञासाओं से भरे सवाल किए। व्याख्यान का समापन एक सफलतम कार्यकम के रूप में हुआ। कार्यक्रम का संचालन डा. निधि सिंह गेहलोत ने किया और आभार डा. सोनिया शर्मा ने किया।

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